पंजाब BJP में बगावत, गुरदासपुर से चुनाव लड़ेंगे सरवन सलारिया
कहा, मैं यह सीट ढाई लाख से अधिक मतों के अंतर से जीतूंगा
Sarwan Salaria will contest elections from Gurdaspur: भारतीय जनता पार्टी (BJP)के नेता सरवन सिंह सलारिया (Sarwan Singh Salaria) ने अपनी पार्टी के खिलाफ बगावत करते हुए ऐलान किया है कि वे गुरदासपुर संसदीय सीट से लोकसभा चुनाव (Lok Sabha elections) लड़ेंगे। इस सीट से भाजपा पहले ही अपने उम्मीदवार की घोषणा कर चुकी है। सलारिया ने निर्दलीय चुनाव लड़ने से इंकार किया है और कहा है कि वह एक 'अच्छी पार्टी के चिन्ह पर चुनाव लड़ेंगे।
सलारिया ने कहा कि यह 13 अप्रैल तक साफ होगा। यह एक अच्छी और जीतने वाली पार्टी होगी। सलारिया ने 2017 में गुरदासपुर लोकसभा सीट के लिए उपचुनाव भाजपा के टिकट पर लड़ा था और कांग्रेस के सुनील जाखड़ से चुनाव हार गए थे। जाखड़ फिलहाल भाजपा में हैं और पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष हैं। गुरदासपुर के तत्कालीन सांसद विनोद खन्ना के निधन के बाद इस सीट पर उपचुनाव कराया गया था।
मैं यह सीट ढाई लाख से अधिक मतों के अंतर से जीतूंगा : सलारिया ने कहा कि मैं पिछले कई वर्षों से क्षेत्र में काम कर रहा हूं। मेरे इलाके के लोग कह रहे हैं कि वे मेरी जीत सुनिश्चित करेंगे। मैं गारंटी देता हूं कि मैं यह सीट ढाई लाख से अधिक मतों के अंतर से जीतूंगा। भाजपा ने पूर्व विधायक दिनेश बब्बू को गुरदासपुर से अपना उम्मीदवार बनाया है, जहां से फिलहाल बॉलीवुड अभिनेता सनी देओल सांसद हैं। बब्बू पठानकोट के सुजानपुर से 3 बार विधायक रह चुके हैं।
भाजपा से कोई शिकायत नहीं : सलारिया ने कहा कि भाजपा के टिकट नहीं देने को लेकर उन्हें पार्टी से कोई शिकायत नहीं है। उन्होंने कहा कि मैंने भाजपा से टिकट की मांग नहीं की थी। जिन्हें भी पार्टी ने टिकट दिया है, उन्हें शुभकामनाएं। विनोद खन्ना की पत्नी कविता खन्ना भी गुरदासपुर से टिकट के दावेदारों में शामिल थीं।
भाजपा पंजाब में पहली बार लोकसभा चुनाव अकेले लड़ रही : भाजपा पंजाब में 1996 के बाद पहली बार लोकसभा चुनाव अकेले लड़ रही है। पंजाब में भाजपा की सहयोगी पार्टी शिरोमणि अकाली दल ने केंद्र के तीन कृषि कानूनों का विरोध करते हुए 2020 में राजग से नाता तोड़ लिया था। हालांकि किसानों के विरोध प्रदर्शन के कारण केंद्र को बाद में इन कानूनों को वापस लेना पड़ा था।
विनोद खन्ना के 1998 में गुरदासपुर से जीत हासिल करने से पहले इस सीट को कांग्रेस का गढ़ माना जाता था। खन्ना ने 1998 में 5 बार की कांग्रेस सांसद सुखवंश कौर भिंडर को हराया था। इसके बाद 1999, 2004 और 2014 में खन्ना ने यहां से जीत दर्ज की थी। हालांकि 2009 में वे कांग्रेस के प्रताप सिंह बाजवा से चुनाव हार गए थे।(भाषा)
Edited by: Ravindra Gupta