Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

Lok Sabha Elections 2024 : उधमपुर लोकसभा सीट, जानिए किसका चलेगा जादू, क्यों कम होती जा रही है उम्मीदवारों की संख्या

उधमपुर लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में अलग ट्रेंड नजर आ रहा

हमें फॉलो करें Lok Sabha Elections 2024 : उधमपुर लोकसभा सीट, जानिए किसका चलेगा जादू, क्यों कम होती जा रही है उम्मीदवारों की संख्या
webdunia

सुरेश एस डुग्गर

, मंगलवार, 2 अप्रैल 2024 (18:11 IST)
Lok Sabha Election 2024 : हालांकि इसके प्रति कोई सर्वेक्षण नहीं हुआ है कि आखिर ऐसा क्‍यों हो रहा है, पर यह सच है कि जम्मू और कश्मीर में उधमपुर (Udhampur) लोकसभा निर्वाचन (Lok Sabha) क्षेत्र में संसदीय प्रतिनिधित्व के लिए उम्मीदवारों की संख्या और विविधता में एक अलग ट्रेंड नजर आ रहा है। यह चुनाव मैदान में उतरने वालों की संख्‍या को लेकर है।

अपने पहले चुनाव में मामूली 3 दावेदारों से लेकर 1996 में चौंका देने वाले 40 उम्मीदवारों तक उधमपुर के चुनावी परिदृश्य ने क्षेत्र के गतिशील राजनीतिक उत्साह को प्रतिबिम्बित किया है। 1967 में अपनी स्थापना के बाद से निर्वाचन क्षेत्र ने एक उल्लेखनीय प्रगति पथ तय किया है।
 
1967 में 3 उम्मीदवार थे मैदान में : 1967 में अपने उद्घाटन चुनाव में उधमपुर में 3 उम्मीदवारों के साथ मामूली प्रतिस्पर्धा देखी गई। दावेदारों में कांग्रेस, भारतीय जनसंघ और जम्मू-कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस के प्रतिनिधि शामिल थे। कांग्रेस उम्मीदवार जीएम ब्रिगेडियर विजयी हुए जिसने बाद की चुनावी गतिशीलता के लिए मंच तैयार किया।

 
1971 में उम्मीदवारों की संख्या दोगुनी हुई : इसके उपरांत 1971 में उम्मीदवारों की संख्या दोगुनी होकर 8 हो गई, जो बढ़ते राजनीतिक परिदृश्य को दर्शाता है। कांग्रेस और भारतीय जनसंघ के अलावा पहली बार पंजाब का राजनीतिक दल शिरोमणि अकाली दल भी मैदान में उतरा। राजनीतिक भागीदारी का विस्तार हुआ जिससे उधमपुर की संसदीय सीट में रुचि बढ़ी।

 
1989 में उधमपुर से 24 उम्मीदवार मैदान में उतरे : इसी तरह से 1989 में उधमपुर से 24 उम्मीदवारों के चुनाव लड़ने से चुनावी क्षेत्र का और विस्तार हुआ। निर्दलीय उम्मीदवारों की संख्या बढ़ गई जिनमें अधिकांश दावेदार शामिल थे। कांग्रेस, जनता दल, भाजपा, पैंथर्स पार्टी और प्रोटिस्ट ब्लॉक ऑफ इंडिया ने भी अपने उम्मीदवार मैदान में उतारे।

 
1996 में रिकॉर्डतोड़ मतदान हुआ : यह भी सच है कि 1996 में रिकॉर्डतोड़ मतदान हुआ जिसमें अभूतपूर्व 40 उम्मीदवार जीत के लिए प्रतिस्पर्धा कर रहे थे। भाजपा, कांग्रेस, जनता दल, बसपा और पैंथर्स पार्टी जैसी प्रमुख पार्टियों ने 34 स्वतंत्र उम्मीदवारों के एक महत्वपूर्ण दल के साथ चुनाव लड़ा। कड़ी प्रतिस्पर्धा के बीच भाजपा उम्मीदवार चमन लाल गुप्ता विजयी हुए, जो चुनावी उत्साह का उदाहरण है।
 
2004 में उम्मीदवारों की संख्या घटी : लेकिन 2004 में उम्मीदवारों की संख्या घटकर 20 हो गई, जो राजनीतिक भागीदारी में एकीकरण को दर्शाता है। निर्दलीय उम्मीदवार उल्लेखनीय रहे जिनमें प्रतियोगियों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा शामिल था। कम दावेदारों के बावजूद विविध राजनीतिक विचारधाराओं के प्रतिनिधित्व के साथ चुनावी परिदृश्य जीवंत बना रहा।

 
इस वर्ष हैं 12 उम्मीदवार मैदान में : इस वर्ष आगामी चुनाव में 12 उम्मीदवार संसदीय प्रतिनिधित्व के लिए प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं, जो उम्मीदवारों की संख्या में गिरावट की प्रवृत्ति को जारी रखता है। कांग्रेस, भाजपा और नेकां जैसे प्रमुख दल स्वतंत्र उम्मीदवारों के साथ-साथ अपने उम्मीदवारों को मैदान में उतार रहे हैं। हालांकि उम्मीदवारों की संख्या में कमी आई है, राजनीतिक प्रतिनिधित्व की विविधता उधमपुर के लोकतांत्रिक प्रवचन का अभिन्न अंग बनी हुई है।(भाषा)
 
Edited by: Ravindra Gupta

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

राजस्थान में बोले PM मोदी, 10 साल का काम सिर्फ ट्रेलर, ऐतिहासिक और निर्णायक फैसले अभी बाकी