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आयुष्मान भारत योजना की तारीफ कर रही थीं सुमित्रा महाजन, गुस्से में डॉक्टर ने हाथ से छीना माइक

हमें फॉलो करें आयुष्मान भारत योजना की तारीफ कर रही थीं सुमित्रा महाजन, गुस्से में डॉक्टर ने हाथ से छीना माइक
, शनिवार, 11 मई 2019 (13:08 IST)
इंदौर। लोकसभा स्पीकर और भाजपा सांसद सुमित्रा महाजन को डॉक्टरों के सामने मोदी सरकार की आयुष्मान भारत योजना की तारीफ करना महंगा पड़ गया। महाजन की बात से नाराज एक डॉक्टर ने गुस्से में उनके हाथ से माइक छीन लिया। 
 
दरअसल, महाजन शुक्रवार को इंदौर के इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के एक कार्यक्रम में सरकारी योजनाओं का गुणगान कर रही थीं। उन्होंने कहा कि सुमित्रा महाजन ने कहा कि लोकसभा चुनाव राष्ट्रवाद का चुनाव है। उन्होंने मोदी सरकार की स्वच्छ भारत योजना, उज्ज्वला योजना सहित अन्य योजनाओं के बारे में बताते हुए कहा सरकार के एक भी मंत्री पर एक पैसे के भ्रष्टाचार का आरोप नहीं लगा है। जैसे ही उन्होंने आयुष्मान भारत योजना का नाम लिया डॉक्टर आक्रोशित हो गए।
 
न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. केएल बंडी और डॉ. नरेंद्र पाटीदार ने मेडिक्लेम और आयुष्मान भारत योजना को गलत बताया। इस पर महाजन ने कहा कि सामान्य ऑपरेशन के अस्पताल तीन से चार लाख रुपए ले रहे हैं। महाजन ने कहा लोग मेरे पास मदद के लिए आते हैं। कई बार अस्पताल के बिल देखकर मैं चौंक गई। इस पर डॉ. बंडी को गुस्सा आ गया। उन्होंने सुमित्रा महाजन के हाथ से माइक छीन लिया। डॉ. ने कहा आप मुझे एक बिल बताएं, जिसमें अस्पताल ने एवरेज बिल तीन से चार लाख का दिया हो। मैं डॉक्टरी छोड़ दूंगा।
 
बंडी इतने पर ही नहीं रुके। उन्होंने कहा कि वकील परामर्श के लिए 5 हजार रुपए शुल्क लेते हैं। आप बताएं कौन-सा डॉक्टर पांच हजार फीस लेता है। इस पर महाजन ने कहा कि मैं विरोध नहीं कर रही हूं। यहां सेवा करने वाले भी हैं। डॉ. बंडी बोले हमारे पेशे को गिराया जा रहा है। मरीज के पास आयुष्मान कार्ड है। बीपीएल कार्ड होता है। यह डॉक्टरों के साथ कौन-सा अन्याय है।
 
उन्होंने कहा कि योजनाओं का पैसा सरकार हमें समय पर नहीं देती। अस्पताल से काम करवा लेती है, लेकिन पैसा बरसों नहीं आता। कारण आपको भी पता है कि सरकारी अफसरों को कुछ चाहिए। इसलिए आप ऐसा कानून लाएं कि यदि रिफंड समय पर नहीं होता तो छह प्रतिशत ब्याज से पैसा दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस पेशे का सत्यानाश हुआ है और इसमें सरकार का बहुत बड़ा योगदान है। सरकार हमें पीछे कर रही है। कम से कम हमारे पेशे को तो इज्जत बख्शो।

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