भोपाल। मध्यप्रदेश में लोकसभा चुनाव में टिकटों के ऐलान के साथ ही एक बार फिर पार्टियों की अंतर्कलह खुलकर सामने आ गई है। बीजेपी और कांग्रेस में नेताओं के बीच चली आ रही गुटबाजी अब खुलकर सामने आ गई है। चुनाव में टिकट के दावेदार एक ओर टिकट न मिलने पर विरोध जता रहे हैं तो दूसरी ओर पार्टी के उम्मीदवारों का खुलकर विरोध भी कर रहे हैं।
सबसे पहले बात राज्य में सत्तारुढ़ पार्टी कांगेस की। कांग्रेस में गुटबाजी किस कदर हावी है, इसकी बानगी भोपाल में ही देखने को मिली, जहां पार्टी के दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह को भोपाल से टिकट मिलने के बाद टिकट के दूसरे दावेदार और पार्टी के कोषाध्यक्ष गोविंद गोयल ने खुलकर नाराजगी जाहिर की है।
अगर बात बीजेपी की हो तो पार्टी में पहली लिस्ट आने के बाद सिर फुटौव्वल शुरू हो गया है। सीधी से वर्तमान सांसद रीति पाठक को दोबारा टिकट मिलने के बाद सिंगरौली बीजेपी जिला अध्यक्ष कांति देव सिंह ने इस्तीफा दे दिया है तो बीजेपी विधायक केदारनाथ शुक्ला ने रीति पाठक से दूरी बना ली है।
पार्टी ने नाराज नेताओं को मनाने और लोकसभा चुनाव में डेमेज कंट्रोल करने के लिए राज्यसभा सांसद अजय प्रताप सिंह को जिम्मेदारी सौंपी है, वहीं मंदसौर से वर्तमान सांसद सुधीर गुप्ता को टिकट मिलने के बाद पार्टी के कार्यकर्ताओं ने खुलकर नारेबाजी की। पार्टी के कार्यकर्ता मंदसौर से प्रदेश महामंत्री बंशीलाल गुर्जर को टिकट देने की मांग कर रहे हैं।
इसी तरह भिंड में संध्या राय को टिकट मिलने के बाद पार्टी के दिग्गज नेता और पांच बार के सांसद और मुरैना से महापौर अशोक अर्गल ने पार्टी छोड़ने के ही संकेत दे दिए हैं। इसके साथ ही टीकमगढ़ से भी वर्तमान सांसद को दोबारा टिकट दिए जाने का खुलकर विरोध पार्टी के कार्यकर्ता कर रहे हैं। विधानसभा चुनाव में बीजेपी को कार्यकर्ताओं की नाराजगी भारी पड़ी थी, इसलिए बीजेपी इस बार अभी से नाराज नेताओं को मनाने और डेमेज कंट्रोल में जुट गई है।
गोविंद गोयल का बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से मिलना भी काफी सुर्खियों में है। अब गोयल ने सोशल मीडिया पर पोस्ट लिखकर अपना दुख व्यक्त किया है। वहीं खंडवा से अरुण यादव को टिकट मिलने की संभावना से पहले ही उनका विरोध शुरू हो गया है।
सरकार को समर्थन दे रहे निर्दलीय विधायक और पार्टी के स्थानीय नेता रहे सुरेंद्र सिंह शेरा ने ऐलान कर दिया है कि अगर अरुण को टिकट मिला तो वे निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे। इसके साथ ही विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को समर्थन देने वाली जयस भी अब कांग्रेस के लिए मुसीबत बन गई है।