भोपाल। मध्यप्रदेश में विधानसभा सत्र को लेकर मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष के बीच पत्र पॉलिटिक्स शुरू हो गई है। पहले जहां नेता प्रतिपक्ष ने राज्यपाल को पत्र लिखकर विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने की मांग की तो नेता प्रतिपक्ष के जवाब में मुख्यमंत्री कमलनाथ ने उनको जवाब देने के लिए एक पत्र लिखा।
मुख्यमंत्री ने अपने पत्र में नेता प्रतिपक्ष को जवाब देते हुए लिखा कि सरकार बनने के बाद 76 दिन में सरकार ने अपने 85 वचन पूरे किए हैं। इसमें सबसे महत्त्वपूर्ण फैसला कर्जमाफी का है।
मुख्यमंत्री ने अपने तीन पन्ने के पत्र में सिलसिलेवार सरकार की प्रमुख कार्यों का ब्योरा देते हुए इशारों ही इशारों उन पर तंज कसा है।
नेता प्रतिपक्ष ने फिर भेजा पत्र : मुख्यमंत्री के इस पत्र के बाद अब फिर नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने जवाबी पत्र भेजा है।
नेता प्रतिपक्ष ने अपने पत्र में सीएम के पत्र का जिक्र करते हुए लिखा कि जिन मुद्दों पर विधानसभा सत्र आहूत किए जाने की मांग उन्होंने की थी, उनके बारे में आपने सतही तरीके से जानकारी देकर विषयों की गंभीरता को कम करने का प्रयास किया है।
प्रदेश में समस्याएं इतनी विकराल हैं कि आप अपने दो पृष्ठों के पत्र के माध्यम से इनका उत्तर नहीं दे सकते हैं। इसलिए इन मुद्दों पर चर्चा व्यापक हो, प्रश्न-उत्तर हो, ध्यानाकर्षण हो, आवश्यक हो तो स्थगन सूचनाओं, नियम 139 अथवा आधे घंटे की चर्चा के द्वारा सभी पक्षों के विधायक चर्चा में भाग ले सकें। इसके लिए विधानसभा ही एकमात्र उचित और सक्षम माध्यम है।
नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने मुख्यमंत्री को भेजे गए अपने पत्र के जवाब में कहा कि मेरे सत्र आहूत करने की मांग को राजनीतिक नजरिए से न देखकर जनसमस्याओं को उठाने एवं हल कराने के सार्थक व पवित्र दृष्टिकोण से ही देखें तथा जनहित में शीघ्र और उचित निर्णय लें।