वेबदुनिया Exit Poll 2019 : उत्तरप्रदेश में भाजपा को हो सकता है बड़ा नुकसान
वरिष्ठ पत्रकार रामदत्त त्रिपाठी का अनुमान
भोपाल। पिछले चुनाव में सहयोगियों के साथ मिलकर उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों में 73 सीटें जीतने वाली भाजपा के लिए इस बार राज्य में बड़ा नुकसान हो सकता है। सपा, बसपा और रालोद का गठबंधन इस बार भाजपा के लिए मुश्किल का सबब बन सकता है। आइए जानते हैं इस संबंध में क्या कहते हैं वरिष्ठ पत्रकार रामदत्त त्रिपाठी।
उत्तरप्रदेश में भाजपा को बड़ा नुकसान : त्रिपाठी कहते हैं कि दिल्ली की सत्ता का रास्ता उत्तर प्रदेश से होकर जाता है, इसलिए वेबदुनिया ने उत्तरप्रदेश के साथ देश की सियासी तस्वीर कैसी होगी, इसको जानने के लिए लखनऊ में वरिष्ठ पत्रकार रामदत्त त्रिपाठी से बात की।
वेबदुनिया से बातचीत में रामदत्त त्रिपाठी मानते हैं कि उनके नजरिए से इस बार थर्ड फ्रंट सबसे ज्यादा सीटें लेकर आएगा। त्रिपाठी कहते हैं कि गैर कांग्रेस और गैर बीजेपी दल सबसे बड़ी शक्ति के रूप में उभरेंगे, जो सरकार बनाने में निर्णायक भूमिका निभाएंगे।
चुनाव नतीजों में भाजपा और उसके सहयोगी दल यानी एनडीए दूसरे नंबर और कांग्रेस और उसके सहयोगी दल (यूपीए) तीसरे नंबर पर रहेंगे।
रामदत्त त्रिपाठी मानते हैं कि बीजेपी और उसके सहयोगी दलों को इस बार काफी नुकसान होने जा रहा है और विकल्प के अभाव में लोगों ने क्षेत्रीय दलों की ओर रुख किया है।
रामदत्त त्रिपाठी कहते हैं कि उत्तरप्रदेश जैसे बड़े राज्य जहां भाजपा ने अपने सहयोगी दलों के साथ 73 सीटों पर कब्जा किया था, इस बार वहां भाजपा का काफी नुकसान होगा। सात चरणों में हुए चुनाव में महागठबंधन ने हर सीट पर भाजपा को तगड़ी चुनौती दी है।
वरिष्ठ पत्रकार रामदत्त त्रिपाठी के नजरिए से उत्तर प्रदेश में अखिलेश, मायावती और अजित सिंह के महागठबंधन को 40-45 सीट, भाजपा को 25-30 सीटें और कांग्रेस को 8-10 सीटें मिल सकती हैं। रामदत्त कहते हैं कि महागठबंधन ने इस बार अधिकांश सीटों पर लोगों के सामने एक विकल्प प्रस्तुत किया, जो जातीय समीकरण को भी साधते हुए यादव, दलित और मुस्लिमों का वोट अपने साथ ले जाने में सफल होता दिख रहा है।
त्रिपाठी कहते हैं कि 2014 में मोदी ने लोकसभा चुनाव में जो विकास का मॉडल प्रस्तुत किया था, उसके विपरीत इस बार पूरा चुनाव प्रचार एंटी मुस्लिम यानी वोटों के ध्रुवीकरण पर ज्यादा केंद्रित किया।
इसमें पुलवामा अटैक और एयर स्ट्राइक का भी खूब इस्तेमाल किया गया, वहीं रामदत्त त्रिपाठी मानते हैं कि इस बार भाजपा में कलेक्टिव कैंपेनिंग का अभाव दिखा। पार्टी का पूरा प्रचार नरेंद्र मोदी के आसपास केंद्रित होता दिखा जिसका नुकसान पार्टी को चुनावी नतीजों में दिख सकता है।
भाजपा और विपक्ष में बराबरी की टक्कर : उत्तरप्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार महेंद्र प्रताप सिंह कहते हैं कि इस बार उत्तरप्रदेश में चुनावी मुकाबला काफी कांटे का हुआ और अब चुनाव परिणाम में भी यह दिखेगा।
महेंद्र प्रताप सिंह कहते हैं कि उत्तरप्रदेश की कुल 80 सीटों में से इस बार भाजपा और विपक्षी दल आधी-आधी सीटों पर रहेगा।
महेंद्र प्रताप सिंह के अनुमान के मुताबिक भाजपा को 40 सीटें, महागठबंधन और कांग्रेस को कुल मिलाकर 40 सीटें मिलेंगी।
रालोद को एक सीट अपना दल को एक सीट और कांग्रेस को चार सीटें मिल सकती हैं। कांग्रेस इस बार अमेठी, रायबेरली के साथ धौरहरा और कुशीनगर सीट जीत सकती है।
महेंद्र प्रताप सिंह कहते हैं कि महागठबंधन ने इस बार भाजपा को तगड़ा नुकसान पहुंचाया है और इस बार बसपा, सपा और रालोद के इस गठबंधन को वोट ट्रांसफर हुए हैं।
इसके साथ ही महेंद्र प्रताप सिंह कहते हैं कि अगर कांग्रेस भी इस महागठबंधन में शामिल होती तो भाजपा को और भी नुकसान होता।