भोपाल। मध्यप्रदेश में लोकसभा चुनाव से पहले एक बार फिर सवर्ण आरक्षण का मुद्दा गर्मा गया है। तीन राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव से पहले एट्रोसिटी एक्ट को लेकर मध्यप्रदेश सहित पूरे देश में जो आंदोलन चला था, उसका खामियाजा बीजेपी को तीन राज्यों में सत्ता खोकर चुकाना पड़ा।
लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी ने आरक्षण की आग को ठंडा करने के लिए गरीब सवर्णों को नौकरी और शिक्षा में दस फीसदी आरक्षण देने का कानून बनाया, लेकिन सवर्णों के आरक्षण पर मध्य प्रदेश में पेंच फंस गया है। मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार ने सवर्णों को आरक्षण देने पर अब तक कोई फैसला नहीं किया है और अब जब लोकसभा चुनाव की आचार संहिता कभी भी लग सकती है।
ऐसे बीजेपी ने आरक्षण के मुद्दे पर कांग्रेस सरकार को घेरना शुरू कर दिया है। पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी उपाध्यक्ष शिवराजसिंह चौहान ने गरीब सवर्णों को आरक्षण नहीं देने पर सीधे मुख्यमंत्री कमलनाथ पर हमला बोलते हुए कहा कि सरकार जनबूझकर गरीब सवर्णों को आरक्षण नहीं दे रही है।
इससे पहले विधानसभा के बजट सत्र में नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने गरीब सवर्णों को दस फीसदी आरक्षण नहीं देने पर कमलनाथ सरकार को जमकर घेरा था। वहीं कमलनाथ पहले ही साफ कर चुके हैं कि कांग्रेस ने अपने वचन पत्र में आरक्षण को लेकर जो वादा किया है, उसको पूरा करेगी।
सवर्ण आरक्षण को मध्यप्रदेश में लागू करने के लिए मुख्यमंत्री मंत्रिमंडल समिति बनाए जाने की बात कह चुके हैं, जिसकी रिपोर्ट पर कोई आखिरी फैसला होगा। बीजेपी अब लोकसभा चुनाव से पहले कमलनाथ सरकार को घेरने के लिए आंदोलन की तैयारी कर रही है।
सपाक्स पार्टी ने भी खोला मोर्चा : वहीं सामान्य वर्ग को आर्थिक आधार पर आरक्षण को लेकर चुनावी राजनीति में कूदने वाली पार्टी सपाक्स पार्टी ने भी गरीब सवर्णों के आरक्षण नहीं देने पर कमलनाथ सरकार को घेरा है। सपाक्स अध्यक्ष अध्यक्ष हीरालाल त्रिवेदी कहते हैं कि पार्टी गरीब सवर्ण आरक्षण को लोकसभा चुनाव में मुदा बनाएगी।
वेबदुनिया से बातचीत में हीरालाल कहते हैं कि पार्टी ने हमेशा जाति के आधार पर आरक्षण का विरोध किया है, लेकिन केंद्र सरकार ने आर्थिक आधार पर गरीब सवर्णों को आरक्षण दिया है। इसलिए कांग्रेस सरकार जल्द इसको मध्य प्रदेश में लागू करें।