Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

सीधी में मोदी मैजिक के सहारे हैट्रिक की तैयारी में भाजपा

हमें फॉलो करें सीधी में मोदी मैजिक के सहारे हैट्रिक की तैयारी में भाजपा

विकास सिंह

भोपाल। प्रदेश में 29 अप्रैल को होने वाले लोकसभा चुनाव में विंध्य की सीधी लोकसभा सीट ऐसी है जिसका चुनावी परिणाम इस क्षेत्र के दिग्गज नेता अजय सिंह के राजनीतिक भविष्य का फैसला करेगा। विंध्य के दिग्गज नेता और पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह का मुकाबला वर्तमान सांसद और भाजपा उम्मीदवार रीति पाठक से है।
 
पार्टी ने तमाम स्थानीय नेताओं के विरोध को दरकिनार करते हुए रीति पाठक को एक बार फिर चुनावी मैदान में उतारा है, वहीं कांग्रेस ने इस सीट पर आखिरी समय तक सस्पेंस बनाए रखने के बाद अपने दिग्गज नेता अजय सिंह को टिकट देकर चुनावी मैदान में उतारा। कांग्रेस आलाकमान के इस फैसले पर कई सवाल भी खड़े हुए। ऐसे में जब अजय सिंह विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद सतना से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे थे तब पार्टी ने उनको सीधी से चुनाव लड़वा दिया।
 
खुद अजय सिंह ने भी कहा कि जब पिछली बार मैं सीधी से लड़ना चाह रहा था तो पार्टी ने सतना से और इस बार जब मैं खुद सतना से लड़ना चाह रहा था तो पार्टी ने उनको सीधी से चुनावी मैदान में उतार दिया। अजय सिंह क्षेत्र में अपने पिता और खुद के किए गए कामों के आधार पर वोट मांग रहे हैं, वहीं भाजपा उम्मीदवार रीति पाठक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नाम और चेहरे पर चुनाव लड़ती हुई दिखाई दे रही हैं।
 
रीति पाठक के सामने सबसे बड़ी चुनौती उनका चुनाव जीतने के बाद क्षेत्र में सक्रिय न रहना और पार्टी के स्थानीय संगठन से दूरी बनाकर रखना है। रीति पाठक के खिलाफ उनकी अपनी ही पार्टी के कई नेताओं और कार्यकर्ताओं ने विरोध का झंडा बुलंद कर रखा है, जो चुनाव में उन पर भारी पड़ सकता है। अगर वोटिंग के ठीक पहले सीधी संसदीय सीट के समीकरणों को देखें तो अजय सिंह के सामने चुनौती रीति पाठक नहीं, नरेन्द्र मोदी का वो चेहरा है, जो आज भी ओबीसी बाहुल्य वोटों वाली इस सीट पर खासा प्रभाव रखता है।
 
वरिष्ठ पत्रकार का नजरिया :  सीधी के वरिष्ठ पत्रकार नंदलाल सिंह कहते हैं कि ऐसे में जब मतदान की तारीख इतनी नजदीक आ गई है, तब भी सीधी संसदीय सीट का मतदाता खमोश है। चुनावी ऊंट किस करवट बैठेगा, इस पर कुछ भी कहना मुश्किल होगा। नंदलाल सिंह कहते हैं कि विंध्य के बड़े नेता अजय सिंह का मुकाबला इस बार भाजपा उम्मीदवार से नहीं बल्कि सीधे नरेन्द्र मोदी से होता दिख रहा है।
 
भाजपा उम्मीदवार रीति पाठक ने अपना पूरा चुनावी कैंपेन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के चेहरे पर ही केंद्रित कर रखा है। रीति पाठक लोगों के पास जाकर मोदी सरकार की योजनाओं को गिनाकर लोगों से वोट की अपील कर रही हैं और ऐसे में अब जब चुनाव प्रचार के आखिरी समय को खुद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सभा करने के लिए सीधी आ रहे हैं तो उसका असर वोटरों में पड़ सकता है।
 
वहीं नंदलाल सिंह कहते हैं कि कांग्रेस के उम्मीदवार अजय सिंह के टिकट पर अंतिम समय तक सस्पेंस बनाए रखने का निगेटिव असर उनके चुनावी कैंपेन और रणनीति में देखने को मिल रहा है। कांग्रेस उम्मीदवार और उनके पिता पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह के प्रति संसदीय क्षेत्र के वोटरों में खासा सम्मान होना नंदलाल सिंह, अजय सिंह की सबसे बड़ी ताकत मानते हैं। वहीं नंदलाल कहते हैं कि आदिवासी ग्रामीण वोटर जिसकी तरफ रुख करेगा, उसकी राह उतनी ही आसान होगी।  
 
सीट का सियासी समीकरण : सीधी संसदीय सीट में आने वाली 8 विधानसभा सीटों पर विधानसभा चुनाव के नतीजे हैरान कर देने वाले थे। 8 सीटों पर भाजपा ने कांग्रेस का सफाया करते हुए 7 सीटों पर जीत हासिल की थी। केवल 1 सीट सिहावल पर कांग्रेस उम्मीदवार कमलेश्वर पटेल चुनाव जीते थे।
 
कमलेश्वर पटेल कमलनाथ सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं। ऐसे में उन पर चुनाव में अजय सिंह को जीत दिलाने की बहुत बड़ी जिम्मेदारी है, वहीं भाजपा ने 7 सीटों पर एकतरफा जीत हासिल कर कांग्रेस की मुश्किल बढ़ा दी है। कांग्रेस उम्मीदवार अजय सिंह विधानसभा चुनाव में अपनी पारंपरिक सीट चुरहट से चुनाव हार गए थे, ऐसे में लोकसभा चुनाव में उनके लिए राह आसान नहीं होगी।
 
क्या थी 2014 की तस्वीर? : सीधी संसदीय सीट पर वर्तमान में भाजपा का कब्जा है। पिछले चुनाव में भाजपा उम्मीवार रीति पाठक ने कांग्रेस उम्मीदवार इंद्रजीत सिंह को 1 लाख से अधिक वोटों से हराया था। चुनाव में रीति पाठक को 4,75,678 और कांग्रेस उम्मीदवार इंद्रजीत सिंह को 3,67,632 वोट मिले थे। सीधी संसदीय सीट पर कांग्रेस को आखिरी बार जीत 2007 के लोकसभा के उपचुनाव में हासिल हुई थी लेकिन इसके बाद 2009 और 2014 में इस सीट पर भाजपा को जीत हासिल हुई।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

जेट कर्मचारियों के लिए बुरी खबर, बैंकों का मदद से इंकार