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लालकृष्ण आडवाणी के बारे में 6 खास बातें जो किसी को नहीं पता

हमें फॉलो करें लालकृष्ण आडवाणी के बारे में 6 खास बातें जो किसी को नहीं पता
, शनिवार, 11 मई 2019 (12:29 IST)
पूर्व उपप्रधानमंत्री और वरिष्ठ भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी का नाम देश के दिग्गज नेताओं में शुमार किया जाता है। भाजपा में भले ही उनकी बढ़ती उम्र को देखते हुए उन्हें हाशिए पर धकेल दिया हो लेकिन भाजपा-जनसंघ का एक पूरा दौर अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्‍ण आडवाणी के नाम रहा है। आइए जानते हैं आडवाणी के बारे 5 खास बातें... 
 
- भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी 20 साल की उम्र तक कराची में रहे। यहां तक कि उन्हें हिंदी पढ़ना-लिखना नहीं आता था और वे सिंधी भाषा में रामायण और महाभारत पढ़ते थे। हां, हिंदी सिनेमा देखने की वजह से इसे थोड़ा-बहुत समझ लेते थे। उन्होंने राजस्थान में हिंदी सीखी।
 
-उनकी शुरुआती पढ़ाई लिखाई कराची और फिर लाहौर से हुई। इसके बाद उन्होंने मुंबई के गर्वनमेंट लॉ कालेज में एडमिशन लिया। जहां से कानून में स्नातक किया। पढ़ाई के दौरान ही आडवाणी ने आरएसएस का दामन थाम लिया था। उन्हें 1947 में कराची में राष्‍ट्रीय स्‍वयंसेवक संघ में सचिव बनाया गया। 
 
-आडवाणी को आखिर बार-बार आंसू क्यों आ जाते हैं। कई बार यह भी बात सामने आई कि उनके मन में प्रधानंमत्री न बन पाने की पीड़ा है या फिर कुछ ऐसी बात है जो उन्हें दुखी कर रही है। उन्होंने एक बार कहा था कि जब आलोचना होती है तब भी आंसू आ जाते हैं और जब प्रसन्नता का अवसर  होता है तब भी आंखें छलक पड़ती हैं। उन्होंने कहा था कि पहली बार मेरी आंखों में तब आंसू आए थे, जब देश को आजादी मिली थी।
 
-मुंबई के अधिवेशन में आडवाणी ने खुद अटल बिहारी वाजपेयी का नाम प्रधानमंत्री पद के चेहरे के तौर पर प्रोजक्ट किया था। उनकी राम रथ यात्रा, जनादेश यात्रा, स्‍वर्ण जयंती रथ यात्रा, भारत उदय यात्रा, भारत सुरक्षा यात्रा, जनचेतना यात्रा आदि दर्जनभर से ज्यादा यात्राएं हमेशा चर्चा में रहीं। 
 
-एक समय आडवाणी की पार्टी और सरकार, दोनों में तूती बोलती थी। एक समय ऐसा भी था जब वे संसद में सदन से निकलकर अपने कमरे तक जाते तो 25-30 सांसद उन्हें कमरे तक छोड़ने आया करते थे।
 
-आडवाणी ने 2007 में राजनीति छोड़ने का मन बना लिया था। उन्होंने तय कर लिया था कि वे अस्सी साल की उम्र में राजनीति छोड़ देंगे। उस समय वे अपनी आत्मकथा 'माई कंट्री माई लाइफ' लिख रहे थे तब उनके मन में राजनीति छोड़ने का विचार आया था। उन्हें भरोसा था कि अस्सी साल की उम्र पूरी होने तक उनकी आत्मकथा पूरी हो जाएगी, लेकिन किसी कारणवश आत्मकथा पूरी होने में ज्यादा वक्त लग गया और फिर भाजपा ने उन्हें प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार भी घोषित कर दिया।

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