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भोपाल लोकसभा सीट परिचय

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कांग्रेस ने भोपाल में 1952 से 1977 तक लगातार जीत हासिल की है। जबकि 1989 से यहां भाजपा भी लगातार विजयी रही है। वर्ष 1989 से 1999 तक 4 बार यहां से भाजपा के सुशीलचंद्र वर्मा सांसद रहे। कांग्रेस विरोधी लहर के चलते 1977 में जनता दल के आरिफ बेग यहां से जीते तो 1980 में शंकरदयाल शर्मा दो बार लोकसभा पहुंचे।
 
परिचय : मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल की स्थापना 11वीं शताब्दी में परमार राजा भोज ने की थी। इसे नवाबों के शहर और झीलों की नगरी के नाम से भी जाना जाता है। सर्राफा चौक, मोती मस्जिद, ताज उल मस्जिद, गौहर महल और एक से बढ़कर एक स्थापत्य के नमूने इस शहर की समृद्ध विरासत और संस्कृति की शानदार मिसाल हैं। पर्यटन की दृष्टि से भी भोपाल का विशेष महत्‍व है।
 
जनसंख्‍या : 2011 की जनगणना के अनुसार भोपाल की जनसंख्या 18 लाख है। हालांकि एक अनुमान के मुताबिक भोपाल की जनसंख्‍या 23 लाख से ज्यादा है।
 
अर्थव्यवस्था : भोपाल में भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (भेल) का एक कारखाना है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र ने यहां अपना दूसरा 'मास्टर कंट्रोल फ़ैसि‍लिटी' भी स्थापित किया है। भोपाल में भारतीय वन प्रबंधन संस्थान भी है, जो भारत में वन प्रबंधन से जुड़ा एकमात्र संस्थान है। पर्यटन की दृष्टि से भी भोपाल का विशेष महत्‍व है। यह भारत के पसंदीदा पर्यटन स्‍थलों में से एक है।
 
मतदाताओं की संख्‍या : लोकसभा चुनाव 2014 के मुताबिक यहां मतदाताओं की कुल संख्‍या 19 लाख 56 हजार 936 है, जिसमें 10 लाख 39 हजार 4 पुरुष और 9 लाख 17 हजार 932 महि‍लाएं हैं।
 
भौगोलिक स्थिति : भोपाल भारत के मध्य भाग में स्थित है और यह विंध्य पर्वत श्रृंखला के पूर्व में है। यह एक पहाड़ी इलाके पर स्थित है, किंतु इसका तापमान अधिकतर गर्म रहता है। इसका भू-भाग ऊंचा-नीचा एवं इसके दायरे में कई छोटे पहाड़ हैं। भोपाल नगर निगम की सीमा 289 वर्ग किलोमीटर है।
 
16वीं लोकसभा में स्थिति : भाजपा नेता आलोक संजर सोलहवीं लोकसभा के सांसद हैं। 1952 से 1977 तक यहां कांग्रेस ने लगातार जीत हासिल की। 1989 से यहां से भाजपा लगातार चुनाव जीत रही है।

लोकसभा चुनाव के आंकड़ों पर नजर डालें तो 1957 में यहां से कांग्रेस की मैमूना सुल्तान सांसद चुनी गईं। उन्हें 1962 में भी कांग्रेस के उम्मीदवार के रूप में जीत मिली। इसके बाद 1967 में यहां से भारतीय जनसंघ के जेआर जोशी जीते लेकिन 1971 में शंकरदयाल शर्मा ने यह सीट फिर कांग्रेस की झोली में डाल दी। कांग्रेस विरोधी लहर के चलते 1977 में जनता दल के आरिफ बेग यहां से जीते तो 1980 में शंकरदयाल शर्मा दो बार लोकसभा पहुंचे। वर्ष 1984 में कांग्रेस के केएन प्रधान सांसद बने।

इस सीट पर 1989 से भाजपा का कब्जा है। वर्ष 1989 से 1999 तक चार बार यहां से भाजपा के सुशीलचंद्र वर्मा सांसद रहे। साल 1999 में यहां से भाजपा की उमा भारती सांसद चुनी गईं। वर्ष 2004 में भाजपा ने यहां से कैलाश जोशी पर दांव खेला, जो 2014 तक भोपाल के सांसद रहे।
 

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