जन्मकुंडली का सामान्य अर्थ मनुष्य के शरीर की संरचना से भी लगाया जाता है। कुंडली में 12 भाव होते हैं और प्रत्येक भाव शरीर के विभिन्न अंगों को दर्शाता है। अत: कुंडली में जिस भाव का स्वामी ग्रह या स्वयं वह भाव कमजोर होगा, उससे संबंधित शरीर के अंग में तकलीफ अवश्य होगी। अत: कुंडली को देखकर रोग का पहले ही अनुमान लगाकर सावधानियाँ बरती जा सकती हैं।
विशेष : यदि कुंडली में कोई भाव या उसका स्वामी ग्रह कमजोर है तो उसे अन्य उपायों द्वारा मजबूत करके संबंधित अंगों में होने वाली परेशानियों से बचा जा सकता है।
ये तकलीफें प्राय: उस ग्रह की महादशा, अंतर्दशा, प्रत्यंतर दशा या गोचर भ्रमण के समय फलीभूत होती है।