ज्योतिष एक वृहद शास्त्र है। कोई भी पंडित पूर्ण ज्ञानी नहीं है फिर भी कुछ बातें शास्त्रों में ऐसी मिलती है जो हमें चौंका सकती है। हम लाए हैं सिर्फ 4 जरूरी बातें आपके लिए...
(1) गुरु की दृष्टि अमृत बरसाती है। इस संदर्भ में यह तय करना अनिवार्य है कि गुरु लग्न- त्रिकोण स्थानों का स्वामी है या त्रिक स्थानों का स्वामी। अष्टमेश अथवा मार्केश होने की जांच भी की जानी चाहिए। यदि गुरु लग्नेश त्रिकोणेश है तब ही उसकी दृष्टि अमृत बरसाने वाली होगी अन्यथा नहीं।
(2) शनि के संदर्भ में मान्यता है कि जिस स्थान पर बैठता है उसकी वृद्धि करता है। वह जहां दृष्टि डालता है उस स्थान को बिगाड़ता है। शनि के कुंडली में कारक होने पर वह जिस स्थान पर बैठता है उस स्थान की भी वृद्धि करता है व जिस स्थान को देखता है उस पर भी अपना शुभ प्रभाव छोड़ता है। अत: मान्यता के संदर्भ में हमेशा एक-सा दृष्टिकोण न अपनाएं।
(3) यदि हाथ में शनि का पर्वत दबा हुआ हो व उसकी अंगुली का झुकाव सूर्य की अंगुली की ओर हो तो जीवन में शनि का प्रबल अवरोध दृष्टिगोचर होता है।
(4) मंगल उत्तेजना एवं आनंद प्राप्त करने हेतु उकसाने वाला ग्रह है व इसकी प्रवृत्ति लड़ाकू है। मंगल दोष का विचार मंगल ग्रह की इन्हीं प्रवृत्तियों की वजह से किया जाता है, क्योंकि अधिक उत्तेजना एवं आनंद प्राप्त करने की इच्छा गृहस्थ जीवन के लिए घातक हो सकती है।