Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

उत्तर कोरिया को गुपचुप बदल रही हैं महिलाएं: शोध

हमें फॉलो करें उत्तर कोरिया को गुपचुप बदल रही हैं महिलाएं: शोध

DW

, शुक्रवार, 29 दिसंबर 2023 (09:19 IST)
-विवेक कुमार
 
उत्तर कोरिया में महिलाएं धीरे-धीरे पूंजीवाद को फैला रही हैं। ऑस्ट्रेलिया के 3 शोधकर्ताओं ने मिलकर एक किताब लिखी है जिसमें बदलते उत्तर कोरिया के बारे में बताया गया है। सिडनी की यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी में मैनेजमेंट विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर ब्राउनन डाल्टन और उनके 2 सहयोगियों एसोसिएट प्रोफेसर क्यूंग्जा जुंग व फेलो लेजली पार्कर की नई किताब 'नॉर्थ कोरियाज विमिन-लेड ग्रासरूट कैपिटलिज्म' में उत्तर कोरिया में धीरे-धीरे हो रहे बदलावों के बारे में विस्तार से बताया गया है।
 
किताब में कई महिलाओं से बात की गई है जिन्होंने तानाशाही शासन के बावजूद कुछ अलग करने की कोशिश की। इनमें से अधिकतर महिलाओं की पहचान उजागर नहीं की गई है। मसलन कंग नाम की एक महिला का उदाहरण दिया गया है। लेखक बताते हैं कि कंग उन चंद महिलाओं में से हैं जिन्होंने किताब पर शोध के दौरान उनसे बात की।
 
वे लिखते हैं, 'कंग तब 20 साल की थीं जब उन्होंने उत्तर कोरिया में आलू पर शोध की अपनी नौकरी छोड़ दी। वह उन महिलाओं में शामिल होना चाहती थीं, जो अवैध काम कर रही थीं। पहले इसका मकसद 1990 के दशक के मध्य में पड़े अकाल में किसी तरह जीवित रहना था और बाद में सरकार के सख्त नियंत्रण के बाहर अपने और अपने परिवार के लिए बेहतर जीवन बनाना।'
 
इस किताब के मुताबिक कंग ने चावल, धातुओं और पेट्रोलियम जैसी चीजों का व्यापार शुरू किया। इस व्यापार से उन्हें नौकरी के मुकाबले कहीं ज्यादा आय होने लगी। उसके बाद उन्होंने उत्तर कोरिया की महिलाओं को चीनी फैक्टरियों में काम करने के लिए भेजना शुरू किया। 2013 में वे दक्षिण कोरिया चली गईं।
 
कंग ने लेखकों को बताया, 'इस काम की सबसे बढ़िया बात थी, पैसा। मैं अपनी छोटी बहन और अपने सौतेले बच्चों की यूनिवर्सिटी की फीस दे पा रही थी। मैंने अपने पति के लिए पार्टी की मेंबरशिप खरीदी और बाद में वह पार्टी के सचिव बन गए।'
 
अन्य समाजों के लिए सीख
 
लेखक लिखते हैं, 'उत्तर कोरिया में जमीन पर महिलाओं के जरिए घट रहे पूंजीवाद से पितृसत्तात्मक समाज यह सीख सकता है कि महिलाओं को कम करके आंकना उसके लिए कितना बड़ा खतरा है।' 'द कन्वर्सेशन' नामक पत्रिका में छपे एक लेख में लेखक लिखते हैं, 'हमने अपने शोध में यह पाया कि महिलाओं को सार्वजनिक क्षेत्र और औपचारिक अर्थव्यवस्था से बाहर रखकर उत्तर कोरिया की सरकार ने असल में उन्हें उद्यमी बनने का रास्ता दे दिया जिसका समाज पर बहुत बड़ा असर हुआ।'
 
किताब के मुताबिक उत्तर कोरियाई अधिकारी जनता को आतंक, डर और निगरानी से दबाने में लगे हुए हैं,जिसका मकसद पूंजीवाद का प्रसार रोकना है। लेकिन उनका मुख्य निशाना पुरुष होते हैं, महिलाएं नहीं। वे कहते हैं, 'नजरअंदाज की जा रहीं और छिपकर काम कर रहीं उत्तर कोरिया की महिलाएं आधिकारिक निगरानी और नियंत्रण को धता बताने में लगातार बेहतर हो रही हैं और वे बड़े सामाजिक व आर्थिक बदलाव का रास्ता बना रही हैं।'
 
गुपचुप विद्रोह
 
'नॉर्थ कोरियाज विमिन-लेड ग्रासरूट कैपिटलिज्म' में उत्तर कोरिया से भागीं महिलाओं और समाजसेवी संस्थाओं से जुड़े कुल 52 लोगों से बातचीत की गई है। इसके अलावा लेखकों ने कई बार उत्तर कोरिया और उत्तर पूर्वी चीन की यात्रा भी की।
 
वे लिखते हैं, 'महिलाओं की रूढ़िवादी छवि बेचारी पीड़िताओं की बनाई गई है लेकिन असल में हमने पाया कि उत्तर कोरिया की महिलाएं मजबूत और रचनात्मक हैं। इस गुपचुप विद्रोह के जरिए वे पारिवारिक रिश्तों, महिलाओं की यौनिकता और बच्चे पैदा करने से लेकर उनकी सांस्कृतिक पहचान तक बहुत से पहलुओं में बदलाव की वाहक बन रही हैं।'
 
इस किताब के मुताबिक अनौपचारिक अर्थव्यवस्था में महिलाएं स्थानीय बाजारों में केंद्रित हैं और कोविड महामारी से पहले घरों की आय का 80 फीसदी हिस्सा जुटा रही थीं। परिवार के खाने और बाकी मूलभूत जरूरतों का 60 फीसदी वही कमा रही थीं।
 
लेखकों के मुताबिक अधिकतर उत्तर कोरियाई परिवारों में महिलाएं ही रोजी-रोटी कमाने का जिम्मा संभाल रही हैं जिससे उनके लिए कहीं ज्यादा मौके पैदा हुए हैं। ये मौके सरकार और महिलाओं को नियंत्रित करने वालों के लिए बड़ी चुनौतियां भी बन रहे हैं।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

अयोध्या में राम मंदिर की मूर्ति बनाने के लिए नेपाल से आई शिलाओं का क्या हुआ