पाकिस्तान में बलात्कारियों और यौन अपराधियों के लिए सजा के तौर पर 'केमिकल कैस्ट्रेशन' पर विचार किया जा रहा है। लेकिन क्या यह तरीका प्रभावी और नैतिक है? यूरोपीय देशों में इसके अलग-अलग अनुभव हैं।
आम भाषा में जिसे 'केमिकल कैस्ट्रेशन' कहा जाता है, चिकित्सीय भाषा में उसे 'एंटी-लिबिडिनल' इलाज कहते हैं। इसका मतलब है, इंजेक्शन या गोलियों के जरिये महिला हार्मोन प्रोजेस्टेरोन के जैसी दवा के इस्तेमाल से पुरुष टेस्टोस्टेरोन को कम करना। दूसरे शब्दों में कहें तो पुरुषों की यौन क्षमता को कम करके उसे नपुंसक बना देना। गोएटिंगन के रहने वाले न्यूरोलॉजिस्ट और फोरेंसिक मनोचिकित्सक युएर्गेन मुलर ने डॉयचे वेले को बताया कि इस बात के संकेत मिले हैं कि यह काम करता है। हालांकि, यह तरीका कितना प्रभावी है, इसकी पुष्टि नहीं हुई है।
आज तक कोई ऐसा अंतरराष्ट्रीय अध्ययन नहीं किया गया है जो इस इलाज की सफलता के प्रभाव को पता कर सके। हालांकि जर्मनी सहित यूरोप के कई देशों में संभावित और दोषी पाए गए यौन अपराधियों को 'कैस्ट्रेशन' का विकल्प दिया जाता है। यह सजा के तौर पर नहीं, बल्कि इलाज के तौर पर होता है। उसमें भी यह पूरी तरह उन अपराधियों पर निर्भर करता है कि वे यह इलाज करवाना चाहते हैं या नहीं।
पाकिस्तान के लिए एक मॉडल
पाकिस्तान में अभी इस बात पर बहस चल रही है कि यौन अपराधियों के लिए सजा के तौर पर 'केमिकल कैस्ट्रेशन' का इस्तेमाल करना चाहिए या नहीं। बलात्कारियों और बच्चों के साथ यौन हिंसा करने वाले अपराधियों के लिए, पाकिस्तान के आपराधिक कोड के तहत आजीवन कारावास और मौत की सजा देने का विकल्प मौजूद है। हालांकि, देश में बढ़ते बलात्कार के मामलों को देखते हुए दूसरे कदम उठाने पर विचार किए जा रहे हैं।
साल 2018 में लाहौर के समीप कसूर जिले में 7 साल की जैनब के साथ बलात्कार किया गया था और उसकी हत्या कर दी गई थी। इस घटना के बाद कसूर में हिंसक प्रदर्शन हुए। पूरे देश के लोगों ने सड़कों पर उतर जैनब के लिए इंसाफ की मांग की। इस मामले में गिरफ्तार किए गए संदिग्ध व्यक्ति की डीएनए जांच की गई। जांच में पता चला कि उसने करीब 5 अन्य के साथ भी बलात्कार की घटना को अंजाम दिया था। दोषी पाए जाने पर आरोपी को उसी साल फांसी की सजा दी गई।
साल 2020 में लाहौर के पास सड़क पर दो बच्चों के सामने एक महिला के साथ सामूहिक बलात्कार किया गया। इस घटना के बाद भी देश में बड़े पैमाने पर विरोध-प्रदर्शन हुए। इस मामले पर अभी भी अदालत में मुकदमा चल रहा है। इन मामलों को देखते हुए प्रधानमंत्री इमरान खान ने बलात्कारियों और बच्चों के साथ यौन हिंसा करने वाले अपराधियों को खुलेआम फांसी पर लटकाने का सुझाव दिया। हालांकि, उन्होंने जोर देकर कहा कि अंतरराष्ट्रीय दबाव की वजह से उन्हें अपना फैसला वापस लेना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि इस फैसले से यूरोपीय संघ के साथ पाकिस्तान के व्यापार की स्थिति को नुकसान हो सकता है।
रुक जाएंगे बलात्कार?
खान ने सुझाव दिया था कि मेरी राय है कि हमें केमिकल कैस्ट्रेशन का इस्तेमाल करना चाहिए। हमें ऐसे कानून चाहिए जो ऐसे लोगों को नपुंसक बना दें। उस समय एक अध्यादेश का प्रस्ताव भी लाया गया था जिसके तहत दंड संहिता में 'एंटी-लिबिडिनल' को जोड़ने की बात की गई थी। केमिकल कैस्ट्रेशन से पुरुष में सेक्स करने की क्षमता और वीर्य कम हो जाता है। हालांकि, इससे यौन हिंसा और आक्रामक व्यवहार पर रोक नहीं लगती है। यहां तक कि टेस्टोस्टेरोन के स्तर को शून्य तक कम करने से सेक्स करने की संभावना समाप्त नहीं होती है।
डॉर्टमुंड यूनिवर्सिटी के समाजशास्त्री आंद्रेय कोएनिग कहते हैं कि बच्चे को छेड़ने या किसी व्यक्ति का बलात्कार करने में सक्षम होने के लिए इरेक्शन की आवश्यकता नहीं है। अगर कोई पेनिट्रेट नहीं भी कर सकता है, तो वह आक्रामक व्यवहार कर सकता है या किसी तरह की चोट पहुंचा सकता है।
गंभीर दुष्प्रभाव और नैतिक पहलू
'केमिकल कैस्ट्रेशन' में समय लगता है। लंबे समय तक दवा दी जाती है। इसका काफी ज्यादा दुष्प्रभाव भी होता है। स्तन बढ़ जाते हैं। अवसाद और ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा बढ़ जाता है। जर्मनी और यूरोप के अन्य देशों में कैस्ट्रेशन का इस्तेमाल सहमति से किया जाता है। यह स्वैच्छिक आधार पर यौन अपराधियों के साथ किया जाता है। ब्रिटेन के ब्रॉडमोर अस्पताल में फोरेंसिक मनोचिकित्सक कैलम रॉस ने डॉयचे वेले को बताया कि कुछ अपराधियों को अपने किए पर शर्मिंदगी महसूस होती है। उनके लिए यह रासायनिक उपचार प्रायश्चित की तरह है।
युएर्गेन मुलर कहते हैं कि ड्रग का ज्यादातर इस्तेमाल व्यवहार या मनोचिकित्सा से जुड़े इलाज के लिए होता है। सिर्फ ड्राइव-केमिकल ट्रीटमेंट पर्याप्त नहीं है। यह यौन अपराधियों से निपटने के लिए अपनाए जाने वाले कई तरीकों में से एक है। सजा के तौर पर ऐसे इलाज करना जिससे कई सारी समस्याएं होती हैं, मेडिको-इथिकल नजरिए से बहुत ही 'समस्याग्रस्त विचार' है।
समाजशास्त्री कोएनिग का मानना है कि अपराधियों को बदलने के लिए जबरदस्ती कैस्ट्रेशन का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए। अगर वे खुद से इसके लिए तैयार होते हैं, तो ठीक रहेगा। उदाहरण के लिए, जर्मनी और ब्रिटेन के कुछ कैदियों ने कैस्ट्रेशन के लिए सहमति दी। उन्हें लगा कि ऐसा करने पर उनकी सजा कम हो सकती है या पेरोल मिलने में आसानी हो सकती है।
ऑक्सफोर्ड यूहिरो सेंटर फॉर एप्लाइड एथिक्स में अप्लाइड फिलॉसफी के प्रोफेसर थॉमस डगलस चेतावनी भरे लहजे में कहते हैं, 'जेल प्रणाली में सुधार के लिए केमिकल कैस्ट्रेशन का विकल्प नहीं होना चाहिए। वह अपराधियों के पुनर्वास कार्यक्रमों और समाज में उनको फिर से शामिल करने की वकालत करते हैं।
केमिकल बनाम सर्जिकल कैस्ट्रेशन
यूरोप ने सर्जिकल और केमिकल कैस्ट्रेशन, दोनों का इस्तेमाल किया है। ऐसा कुछ आक्रामक और हिंसक यौन अपराधियों के साथ किया गया था। फिलहाल, सर्जिकल तरीका सिर्फ चेक रिपब्लिक में अपनाया जाता है। इसके तहत, ऑपरेशन करके जननग्रंथि को निकाल दिया जाता है।
चेक रिपब्लिक के मसरिक यूनिवर्सिटी में समाजशास्त्री कटरिना लिसकोवा कहती हैं कि यह अपराधियों के सबसे आक्रामक व्यवहार से निपटने का एकमात्र विश्वसनीय तरीका है। सर्जिकल कैस्ट्रेशन का विकल्प चुनने वाले यौन अपराधियों की संख्या कम है। लिसकोवा ने चेक रिपब्लिक में हुए एक अध्ययन के हवाले से कहा कि 100 में से सिर्फ 4 यौन अपराधियों का सर्जिकल कैस्ट्रेशन किया गया क्योंकि उन्हें फिर से अपराध करते हुए पकड़ा गया था।
2012 तक जर्मनी ने भी यौन अपराधियों को सर्जिकल कैस्ट्रेशन का विकल्प दिया। लेकिन यातना, अमानवीय व्यवहार और अपमानजनकर सजा की रोकथाम के लिए बनी यूरोप की कमिटी की आलोचना के बाद इसे समाप्त कर दिया गया। फिलहाल, जर्मनी में मानसिक बीमार, खतरनाक, और उच्च सुरक्षा वाले अस्पतालों में रखे गए यौन अपराधियों को केमिकल कैस्ट्रेशन का विकल्प दिया जाता है।
पाकिस्तान में ढांचागत सुधार की जरूरत
पाकिस्तान में यौन अपराधियों के लिए सजा के तौर पर 'केमिकल कैस्ट्रेशन' का विकल्प दिए जाने के बजाए इसे अनिवार्य बनाए जाने पर विचार किया जा रहा है। फोरेंसिक मनोचिकित्सक कैलम रॉस कहते हैं कि कठोर तरीका अपनाकर जनता का वोट लिया जा सकता है। लेकिन केमिकल कैस्ट्रेशन एक उपचार हो सकता है, सजा नहीं।
स्विट्जरलैंड के ज्यूरिख यूनिवर्सिटी में जाव इंस्टीट्यूट ऑफ डेलिनक्वेंसी के क्रिमिनोलॉजिस्ट डिर्क बायर कहते हैं कि केमिकल कैस्ट्रेशन से कोई भी समाज सुरक्षित नहीं बन सकता है। इसके बावजूद, रूढ़िवादी या दक्षिणपंथी पार्टियां यौन अपराधों से निपटने के समाधान के तौर पर इसका प्रचार करती हैं। उन देशों में इसे ज्यादा समर्थन मिलता है, जहां के लोगों को लगता है कि इससे वहां का माहौल सुरक्षित हो जाएगा। हालांकि, इसके कोई सबूत नहीं हैं।
पाकिस्तान में महिलाओं और बच्चों के अधिकारों का आंदोलन 'औरत मार्च लाहौर' इस विचार का आलोचक है। इस आंदोलन के तहत एक सुधार की मांग की गई है। इसमें कहा गया है कि केमिकल कैस्ट्रेशन के लिए कानूनी प्रावधान जैसे 'अल्पकालिक उपायों' के बजाय पितृसत्तात्मक संरचनाओं को बदलना जरूरी है।