शोधकर्ताओं ने वाई-फाई नेटवर्क से जुड़ी ऐसी खामी की पहचान की है जो दुनिया में वाई-फाई नेटवर्कों को प्रभावित कर सकती हैं। विशेषज्ञों ने कहा है कि वाई-फाई प्रोटोकॉल से जुड़ा यह मसला दुनिया के हर इंसान को प्रभावित कर सकता है।
इंटरनेट सिक्योरिटी एक्सपर्ट और अमेरिकी अधिकारियों ने वाई-फाई नेटवर्क में एक बड़ी खामी की चेतावनी देते हुए कहा है कि नेटवर्क में खामी के चलते हैकर्स को मेलवेयर फैला सकते हैं और संवेदनशील डाटा भी चुरा सकते हैं। अमेरिका की कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम (सीईआरटी) ने एक बयान जारी कर कहा है, "वाई-फाई नेटवर्क की इस खामी के चलते हैकर्स के लिये वायरलैस नेटवर्क से जुड़े इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को हाइजैक करना और उन्हें हैक करना आसान हो सकता है।"
अमेरिका के आंतरिक सुरक्षा विभाग से जुड़ी एजेंसी सीईआरटी ने साफ किया कि नेटवर्क की ये कमियां किसी साइबर हमलावर को सिस्टम पर पूरा नियंत्रण स्थापित करने का मौका देती हैं। अमेरिका की इस चेतावनी से पूर्व बेल्जियम के दो शोधकर्ता मैथी वनहॉफ और फ्रैंक पिसेंस ने अपने शोध नतीजों में इस बग से जुड़े अपने निष्कर्ष प्रकाशित किए थे। इस स्टडी में बग को क्रैक (की रिइंस्टालेशन अटैक) कहा गया था। यह बग WPA2 को प्रभावित करता है, यह एक एन्क्रिप्शन प्रोटोकॉल है जिसे वाई-फाई नेटवर्क सुरक्षित करने के लिए उपयोग में लाया जाता है। यह प्रोटोकॉल रूटर और हॉटस्पॉट से कनैक्ट होने वाली डिवाइस मसलन लैपटॉप, मोबाइल फोन के बीच होने वाले संचार की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार होता है।
शोधकर्ताओं के मुताबिक, यह बग क्रेडिट कार्ड नंबर, पासवर्ड, चैट मैसेज, ईमेल और फोटो जैसी संवेदनशील जानकारियों को नुकसान पहुंचा सकता है। शोधकर्ताओं के मुताबिक क्रैक अटैक तभी हो सकता है जब संभावित लक्ष्य या सिस्टम, हैकर की रेंज में हो लेकिन किसी वाईफाई नेटवर्क पर ऑफिस, कॉफी शॉप और घरो में यह संभव है। कारोबारी समूह द वाई-फाई अलायंस ने कहा है कि अब तक इस बात का कोई सबूत नहीं हैं कि इस खामी का गलत तरीके से इस्तेमाल किया गया है।
समूह के मुताबिक, "यह समस्या सॉफ्टवेयर अपडेट के जरिये सीधे तौर पर सुलझ सकती है।" वहीं कंप्यूटर वैज्ञानिकों ने इस पूरे मसले पर चिंता व्यक्त की है। वैज्ञानिकों के मुताबिक, लाखों वायरलैस सिस्टम में सुधार करना मुश्किल होगा। फिनलैंड की सिक्योरिटी फर्म एफ-सिक्योर ने एक बयान जारी कर कहा, "सबसे खराब बात यह है कि वाई-फाई प्रोटोकॉल से जुड़ा यह मसला दुनिया के हर उस इंसान को प्रभावित कर सकता है जो वाई-फाई नेटवर्क से जुड़ा है।"
एए/ओएसजे (एपी,एएफपी, रॉयटर्स)