Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

अमृतपाल सिंह को पंजाब पुलिस क्यों नहीं गिरफ्तार कर पाई

हमें फॉलो करें अमृतपाल सिंह को पंजाब पुलिस क्यों नहीं गिरफ्तार कर पाई

DW

, मंगलवार, 21 मार्च 2023 (08:53 IST)
पंजाब में सिख उपदेशक अमृतपाल सिंह के खिलाफ पुलिस की कार्रवाई अभी जारी है। पुलिस ने अमृतपाल के 112 समर्थकों को गिरफ्तार किया है। आखिर कौन है अमृतपाल जिसे लेकर पंजाब में पुलिस इतनी सरगर्मी दिखा रही है।
 
सिख उपदेशक अमृतपाल सिंह अब तक पुलिस की गिरफ्त से बाहर है। पंजाब में इंटरनेट शनिवार से ही बंद है। केंद्रीय सुरक्षा बलों की तैनाती के बाद अब एनआईए को भी जांच में शामिल करने की तैयारी है।
 
दो दिन की कोशिश के बाद पुलिस ने अमृतपाल के 112 सहयोगियों और समर्थकों को गिरफ्तार किया है। इनमें से 34 की गिरफ्तारी रविवार को हुई। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक गिरफ्तार लोगों में से कुछ को असम के डिब्रूगढ़ ले जाया गया है।
 
कौन है अमृतपाल सिंह
बीते कुछ महीनों में सिखों के लिए अलग होमलैंड, खालिस्तान बनाने की मांग के साथ अमृतपाल सिंह का उभार हुआ है। अमृतपाल ने "वारिस दे पंजाब" नाम का संगठन बनाया है। कुछ लोग उसकी सभाओं में आते रहे हैं लेकिन पंजाब में कोई बड़ा तबका उसका समर्थक नहीं है।
 
पंजाब के ग्रामीण इलाकों में 30 साल के अमृतपाल की सभाओं में सिख धर्म की कठोर व्याख्या की जाती है। कुछ लोग उसे भिंडरावाले की राह पर चलने वाला मानते हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि उसके समर्थक कहीं कहीं नजर आते हैं लेकिन उनका कोई बड़ा जनाधार नहीं है। अपुष्ट खबरों के मुताबिक तीन करोड़ की आबादी वाले पंजाब में अमृतपाल के समर्थकों की संख्या कुछ हजार तक हो सकती है।
 
पिछले महीने पुलिस ने मारपीट और अपहरण के आरोप में उसके एक समर्थक को गिरफ्तार किया था। इसके बाद अमृतपाल सिंह और तलवार, चाकू और बंदूकों से लैस उसके समर्थकों ने एक पुलिस थाने पर हमला बोल दिया था। दिन के उजाले में अमृतसर के बाहरी इलाके में हुए इस हमले में कई पुलिसवाले घायल हो गये।
 
इसके बाद अधिकारियों पर अमृतपाल के खिलाफ कार्रवाई के लिए दबाव बना। स्थानीय लोगों का यह भी कहना है कि थाने पर हमले के बाद पुलिस अमृतपाल के खिलाफ हो गई जिसके बाद यह कार्रवाई हुई है।
 
सरकार की कार्रवाई
शनिवार को अमृतपाल की गिरफ्तारी की कोशिश शुरू करने के बाद पंजाब पुलिस ने ट्वीट कर 78 लोगों की गिरफ्तारी की जानकारी दी। हालांकि इन लोगों में अमृतपाल सिंह शामिल नहीं था। रविवार को पुलिस ने बताया, "34 लोगों को आज गिरफ्तार किया गया है, कुल मिला कर 112 लोग गिरफ्तार हो चुके हैं। राज्य में पूरी तरह शांति और सौहार्द है।"
 
स्थानीय मीडिया के मुताबिक रविवार को पंजाब में पुलिस की मौजूदगी दिखाई दी। खासतौर से अमृतपाल सिंह के गांव जल्लुपुर खेड़ा और आसपास के इलाकों में यह ज्यादा थी। पुलिस ने ज्यादातर लोगों को यहीं से गिरफ्तार किया और इस दौरान कोई अशांति या हिंसा नहीं हुई। स्थानीय लोगों ने पुलिस के साथ पूरा सहयोग किया। हालांकि अमृतपाल के अब तक गिरफ्तार नहीं होने से पुलिस की काबिलियत पर भी सवाल उठे हैं।
 
कहां है अमृतपाल सिंह
आशंका जताई जा रही है कि अमृतपाल देश के बाहर जाने की कोशिश में है। आशंका यह भी  है कि पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया है और घोषणा के लिए उचित समय और जगह का इंतजार कर रही है। केंद्रीय एजेंसियां पूरे मामले पर नजर रख रही हैं लेकिन फिलहाल पूरी कार्रवाई पंजाब पुलिस के हाथ में ही है। पंजाब में जनजीवन सामान्य है लेकिन मोबाइल फोन पर इंटरनेट सेवा शनिवार से ही (सोमवार शाम तक) बंद है।
 
अमृतपाल और उसके समर्थकों के खिलाफ आर्म्स एक्ट के तहत मामले दर्ज किये गये हैं। अपुष्ट खबरों में कहा जा रहा है कि उसके कुछ समर्थकों के खिलाफ एनआईए जांच कर सकती है।
 
लंदन में तोड़फोड़
अमृतपाल सिंह के कुछ समर्थक कथित रूप से लंदन में भारत के उच्चायोग में घुस गये और वहां तोड़फोड़ की। ये हरकत पंजाब में अमृतपाल के खिलाफ चल रही कार्रवाई पर विरोध जताने के लिए की गई। भारत ने रविवार को नई दिल्ली में ब्रिटेन के उच्चायुक्त को सम्मन भेजा।
 
भारत के विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा है कि यह सम्मन लंदन में, "अलगाववादी और चरमपंथी तत्वों की हरकतों के खिलाफ कड़ा विरोध दर्ज कराने के लिए था।" भारत सरकार ने संदिग्धों की, "तुरंत पहचान करने, गिरफ्तारी और अभियोग चलाने" की मांग की है। साथ ही आधिकारिक परिसर में सुरक्षा नहीं होने पर लेकर जवाब मांगा है। ब्रिटिश उच्चायुक्त ने इस घटना की कड़ी निंदा करते हुए इसे पूरी "तरह अस्वीकार्य" बताया है।
 
खालिस्तान की मांग
पंजाब में करीब 58 फीसदी सिख और 39 फीसदी हिंदू रहते हैं। 1980 से ले कर 1990 के दशक के शुरुआती सालों तक यहां खालिस्तान के नाम पर हिंसक आंदोलन चला था। इस दौरान हजारों लोगों की मौत हुई। सरकार की लंबी कार्रवाई के बाद आखिरकार पंजाब में शांति आई। खालिस्तान के समर्थक भारत और पाकिस्तान के पंजाबी भाषी इलाकों को मिला कर एक अलग देश बनाने की मांग करते रहे हैं।
 
भारत सिख चरमपंथियों की गतिविधियों के बारे में अलग अलग सरकारों से शिकायत करता रहा है। सरकार का कहना है कि ये चरमपंथी भारी मात्रा में धन के साथ उग्रवाद को दोबारा फैलाने की साजिशों में जुटे हैं। कई और देशों में खालिस्तान समर्थक सक्रिय हैं। इसी साल जनवरी में ऑस्ट्रेलिया के मेलबर्न में इस मुद्दे पर कथित रूप से एक जनमतसंग्रह भी हुआ था। 
 
निखिल रंजन (एएफपी)

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

शी जिनपिंग को दोस्ती और शांति के बीच चुनाव करना होगा