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वेब3 क्या है और यह आपकी जिंदगी कैसे बदल देगी?

हमें फॉलो करें वेब3 क्या है और यह आपकी जिंदगी कैसे बदल देगी?

DW

, रविवार, 17 अप्रैल 2022 (07:50 IST)
आखिर क्या वजह है कि टेक्नोलॉजी से जुड़ी दिग्गज कंपनियां वेब 3 का इस्तेमाल करना चाहती हैं? इंटरनेट का उपयोग करने वालों का जीवन इस तकनीक के इस्तेमाल से कितना बदल जाएगा?
 
वेब 3 टेक्नोलॉजी के समर्थकों का मानना है कि यह तकनीक इंटरनेट की दुनिया में एक नई क्रांति का आगाज करेगी। इससे वेब के विकेंद्रीकरण की शुरुआत होगी। इसे फेसबुक या गूगल जैसी बड़ी कंपनियों के बजाय आम लोग चलाएंगे। इससे उपयोग करने वाले के डेटा पर उनका मालिकाना हक बढ़ जाएगा। पिछले एक साल से इस टेक्नोलॉजी के बारे में चर्चा तेज हो गई है। टेक्नोलॉजी के क्षेत्र की दिग्गज कंपनियों ने भी इस पर गंभीरता से विचार करना शुरू कर दिया है। वे भी इस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करना चाहती हैं।
 
इंस्टाग्राम और फेसबुक के मालिकाना हक वाली कंपनी मेटा ने पिछले महीने के अंत में वेब3 सॉफ्टवेयर के लिए कई ट्रेडमार्क के आवेदन किए हैं। स्पॉटिफाइ कंपनी वेब3 के विशेषज्ञों की सेवा लेना चाहती है। माइक्रोसॉफ्ट भी वेब3 पर आधारित स्टार्टअप का समर्थन कर रहा है। हालांकि, इन सब बातों से पहले यह जानना जरूरी है कि आखिर वेब3 वास्तव में क्या है?
 
इंटरनेट का विकेंद्रीकरण
वेब3 इंटरनेट के विकेंद्रीकरण के बारे में है। इसका उद्देश्य इंटरनेट यूजर को अपने डेटा पर ज्यादा नियंत्रण देना है। टेक्नोलॉजी के विशेषज्ञों का मानना है कि वेब कभी काफी खुली जगह थी। इसे ऐसे लोगों द्वारा चलाया गया था जिन्होंने अपनी वेबसाइट खुद बनाई थी। ये साइटें सिर्फ पढ़ने के लिए बनी थीं। इसलिए, साइट का डेटा उपयोग करने वालों तक पहुंचता था। इसे वेब1 कहा गया था।
 
हालांकि, बाद में टेक्नोलॉजी से जुड़ी फेसबुक और गूगल जैसी बड़ी कंपनियों ने वेब का एक नया संस्करण तैयार किया। उनके प्लेटफॉर्म पर मौजूद कंटेंट को क्लिक करने, शेयर करने और इंटरैक्ट करने लायक बनाया गया। इन प्लेटफॉर्मों ने इंटरनेट को नए रूप में ढ़ाला। इसे वेब2 के रूप में जाना गया। 
 
अब वेब के साथ हमारा इंटरैक्शन, डेटा के तौर पर हमारे ऑनलाइन व्यवहार के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी देता है। कंपनियां इस जानकारी का इस्तेमाल नए प्लेटफॉर्म बनाने और यूजरों के व्यवहार के हिसाब से उन्हें विज्ञापन दिखाने के लिए करती हैं। साथ ही, ये कंपनियां उनके व्यवहार से जुड़ा डेटा तीसरे पक्ष को भी बेचती हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि इससे ऐसा वातावरण बनता है जहां यूजरों को भी यह नहीं पता होता है कि उनका डेटा कहां जाता है। उस डेटा पर यूजरों का बहुत कम या नहीं के बराबर नियंत्रण होता है।
 
वेब3 शब्द की खोज 2014 में की गई थी। इसे इथेरियम के सह-संस्थापक गेविन वुड ने खोजा था। हालांकि, पिछले साल ट्विटर और डिस्कॉर्ड कम्युनिटी के लोगों ने इस पर चर्चा करना शुरू किया, तब सामान्य लोग इस शब्द से परिचित हुए। इसके बाद से यह शब्द सुर्खियां बटोर रहा है।
 
इस ऑनलाइन चर्चा के बाद वेब3 पर आधारित स्टार्टअप या प्लेटफॉर्म के लिए निवेश की बात शुरू हुई। वेब3 प्रोजेक्ट को लेकर काम करने वाली कंपनियों ने सॉफ्टबैंक विजन फंड 2 और माइक्रोसॉफ्ट से फंडिंग लेने की प्रक्रिया को बंद कर दिया। फेसबुक में शुरुआती समय में निवेश करने वाली कंपनी a16z ने भी वेब3 के प्रोजेक्ट में निवेश करने के लिए एक अरब डॉलर जुटाने का वादा किया था।
 
कुछ लोगों का कहना है कि जिस उद्देश्य के लिए वेब3 की शुरुआत की गई है, उसमें टेक्नोलॉजी से जुड़ी बड़ी कंपनियों के निवेश से उस उद्देश्य को पूरा करना मुश्किल हो जाएगा।
 
वेब3 के नीतिशास्त्री काई मॉरिस ने डॉयचे वेले को दिए इंटरव्यू में कहा, "वे इसके स्वभाव को बदलते हैं। साथ ही, स्वायत्तता और आत्म-संप्रभुता जैसे कुछ बड़े वैचारिक हिस्सों को हटा देते हैं।”
 
इस्तेमाल में नहीं है आसान
वेब3 की दुनिया में, जानकारी को डेटा सेंटर में नहीं, बल्कि वर्चुअल डिजिटल वॉलेट में सेव किया जाता है। कोई भी व्यक्ति इन वॉलेट का इस्तेमाल वेब3 ऐप्लिकेशन में साइन इन करने के लिए करता है। ये एप्लिकेशन ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी पर चलते हैं। जब कोई यूजर किसी ऐप्लिकेशन से बाहर निकलना चाहता है, तो वह सिर्फ लॉग ऑफ करता है, अपने वॉलेट को डिस्कनेक्ट करता है, और अपना डेटा खुद के पास सेव कर लेता है।
 
वेब3 के डेवलपर को ऐप्लिकेशन डिजाइन करने के लिए काफी ज्यादा पैसे की जरूरत नहीं होती है। इस वजह से स्वायत्तता बनाए रखने में मदद मिलती है। ये डेवलपर कम्युनिटी आधारित नेटवर्क के साथ काम करते हैं, जिसके लिए रुचि और कौशल की जरूरत होती है। इसकी शुरुआत किसी डेवलपर के आइडिया से होती है। वह डेवलपर ट्विटर और डिस्कॉर्ड पर मौजूद कम्युनिटी के बीच से सहयोगियों की तलाश करता है। डेवलपर और उनके सहयोगी साथ मिलकर प्रोटोटाइप को डेवलप करते हैं। जब प्रोटोटाइप बन जाता है, तो इसे फिर से समीक्षा के लिए कम्युनिटी में वापस भेजा जाता है।
 
मॉरिस ने डॉयचे वेले को बताया कि वेब के इस विकेंद्रकरण संस्करण के साथ समस्या यह है कि वे जिन ऐप्लिकेशन को डेवलप करते हैं वे इस्तेमाल में काफी ज्यादा कठिन होते हैं। मॉरिस कहते हैं, "वे ऐप्लिकेशन हमें ज्यादा अच्छे नहीं लगते हैं। उनका इस्तेमाल करना मुश्किल होता है। नए लोग इन ऐप्लिकेशन के साथ तालमेल नहीं बैठा पाते हैं।”
 
इसी वजह से टेक्नोलॉजी के क्षेत्र की दिग्गज कंपनियों को उम्मीद है कि वह पैसे और अपनी पहचान के दम पर आसानी से इस्तेमाल किए जाने लायक वेब-आधारित प्लेटफॉर्म डेवलप कर सकती हैं। इस नई टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में भी अपनी पैठ बना सकती हैं।
 
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क्रिप्टो से मिली सीख
हाल के समय में क्रिप्टोकरेंसी भी केंद्रीकृत हुआ है। साथ ही, इसका इस्तेमाल करना भी पहले की तुलना में आसान हुआ है। हालांकि, कुछ समय पहले तक क्रिप्टोकरेंसी में भी लंबे समय तक खुलापन था।
 
क्रिप्टोकरेंसी वेब3 पर आधारित ऐप्लिकेशन को रेखांकित करती है। विशेषज्ञों का कहना है कि भविष्य में इन ऐप्लिकेशन का इस्तेमाल क्रिएटर को टिप देने, वर्चुअल आइटम के लिए पेमेंट करने, और गेम की नई फीचर को खरीदने के लिए भी किया जाएगा।
 
जिस समय क्रिप्टोकरेंसी की शुरुआत हुई थी, उस समय इसे भी खरीदना काफी मुश्किल था। यूजर को अपना क्रिप्टो वॉलेट बनाने के लिए कोडिंग करनी पड़ती थी। कुछ यूजरों ने इसे सही तरीके से किया। वहीं, कुछ दूसरे लोगों ने गलत जगह पर पैसे भेज दिए। कुछ लोगों ने अपने वॉलेट को ऐक्सेस करने का कोड खो दिया और कुछ जालसाजी के शिकार हो गए।
 
जैसे-जैसे समय बीतता गया, बाजार में नए-नए डेवलपर आए। कॉइनबेस और बिनेंस जैसे डेवलपर ने क्रिप्टो को खरीदने, जमा करने, और उसकी खरीद-बिक्री करने के लिए आसानी से इस्तेमाल किए जा सकने वाले ऐप्लिकेशन बनाए।
 
यह अच्छी बात हो सकती है कि बड़ी कंपनियां वेब3 प्रोजेक्ट में काम करने को लेकर दिलचस्पी दिखा रही हैं। नाइजीरिया के लागोस में स्थित वेंचर कैपिटल फंड फर्स्ट चेक अफ्रीका के मैनेजिंग पार्टनर एलोहो ओमेम ने कहा कि वेब3 संस्करण आज की तारीख में इस्तेमाल होने वाले वेब संस्करण की तुलना में कम केंद्रीकृत है। हालांकि, डेवलपर वेब3 पर आधारित जो ऐप्लिकेशन अपने बूते डेवलप कर सकते हैं उसके मुकाबले मौजूदा वेब संस्करण का इस्तेमाल करना उपयोगकर्ताओं के लिए ज्यादा आसान है। 
 
इसके साथी ही वह कहते हैं, "मुझे लगता है कि हम एक ऐसी दुनिया बनाएंगे जहां विकेंद्रीकृत मालिकाना हक के पहलुओं को एक साथ मिलाकर ऐसा प्लैटफॉर्म बनाया जाएगा जहां मौजूदा प्लैटफॉर्म के मुकाबले डेटा पर ज्यादा नियंत्रण मिलेगा।”
 
मॉरिस का मानना है कि अगर बड़ी टेक कंपनियां बाजार में अपनी पैठ बनाने कामयाब होती हैं, तो भी इस बात की संभावना बनी रहेगी कि वेब के नए संस्करण के विकेंद्रीकरण का उद्देश्य पूरा हो सकेगा। उन्होंने कहा कि जब तक कि वेब3 कंपनियां अपने प्रोजेक्ट को डेवलप करने और उन्हें चलाने के लिए तैयार नहीं हो जाती, तब तक कुछ समय के लिए बड़ी टेक कंपनियां मददगार हो सकती हैं। वह आगे कहते हैं, "लेकिन, भविष्य में हमें इन कंपनियों को बाहर निकालना होगा।”
 
रिपोर्ट : आलेक्जैंड्रिया विलियम्स

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