चीन के एक मिशन द्वारा हाल ही में चांद से लाए गए पत्थरों के अध्ययन के नतीजे सामने आने लगे हैं। अभी तक यह पता चला है कि चांद पर ज्वालामुखी उस काल के काफी बाद तक मौजूद थे जिसका अभी तक अनुमान था।
चीन का एक अंतरिक्ष यान पिछले साल चांद की सतह से कुछ पत्थर और मिट्टी लेकर धरती पर आया था। यह करीब 40 सालों में चांद से सैंपल वापस ले कर आने वाला पहला मिशन था। चीन के अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए यह एक मील का पत्थर था।
सैंपलों में बसाल्ट भी शामिल था, जो ठंडा हो चुके लावा का एक प्रकार होता है। इस बसाल्ट को 2।03 अरब साल पुराना पाया गया। इसका मतलब अभी तक चांद पर हुई आखिरी ज्वालामुखीय गतिविधि की जिस तिथि के बारे में जानकारी थी, इस नई खोज से वह तिथि आज के समय से 90 करोड़ साल और करीब आ गई।
नई खोज
चाइनीज एकेडमी ऑफ साइंसेज ने एक बयान में बताया कि इन सैंपलों के विश्लेषण से पता चला है कि "चांद का अंदरूनी हिस्सा करीब दो अरब साल पहले भी विकसित ही हो रहा था।
इससे पहले अमेरिकी और सोवियत के मिशनों में वापस लाए गए पत्थरों में 2।8 अरब साल पहले तक ही ज्वालामुखीय गतिविधि का सबूत मिला था। यह पत्थर चांद की सतह के ज्यादा पुराने हिस्से से थे और इस वजह से चांद के और हाल के इतिहास के बारे में वैज्ञानिकों की जानकारी में कमी रह गई थी।
चीन के चांगे-पांच मिशन ने चांद के एक ऐसे इलाके से दो किलो पत्थर इकठ्ठा किए जहां आज तक कोई मिशन नहीं गया था। इस इलाके को 'मोंस रुमकर' कहते हैं। इस इलाके को इस मिशन के लिए इसलिए चुना गया था क्योंकि वैज्ञानिकों का मानना था कि यह ज्यादा बाद में बना होगा।
जर्मनी के बायेरूथ विश्वविद्यालय में ग्रह विज्ञान के प्रोफेसर ऑड्रे बुविएर ने एक वीडियो संदेश में बताया, "कुल मिला कर यह नतीजे बेहद रोमांचक हैं। चांद के बनने और विकसित होने के बारे में अद्भुत विज्ञान और नतीजे मिले हैं।"
एक बड़ा कदम
ताजा निष्कर्ष नेचर पत्रिका में तीन पेपरों में छपे हैं और इनसे चांद के इतिहास को समझने की कोशिश करने वाले वैज्ञानिकों के लिए नए सवाल भी खड़े हो गए हैं।
इन अध्ययनों के लेखकों में से एक ली शीआनहुआ ने बताया, "चांद पर ज्वालामुखीय गतिविधियां इतनी देर तक कैसे चलती रहीं। चांद प्राकृतिक रूप से छोटा है और ऐसा माना जाता है कि वहां गर्मी ज्यादा जल्दी छितरा जाती है।"
चीनी मिशन के सैंपल चीनी अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए एक बड़ा कदम हैं। चीन अभी तक मंगल ग्रह पर एक रोवर भेज चुका है और चांद की दूसरी तरफ एक यान भी उतार चुका है।
चीन अमेरिका और रूस की बराबरी करने की होड़ में है और उसने 16 अक्टूबर को ही अपने नए स्पेस स्टेशन ओर तीन अंतरिक्ष यात्री भेजे हैं। इस स्टेशन के 2022 तक शुरू हो जाने की उम्मीद की जा रही है।