मेलानिया ट्रंप भारत दौरे के दौरान दिल्ली के एक सरकारी स्कूल का जायजा लेने वाली हैं और वे सरकारी स्कूल में हैप्पीनेस करिकुलम के बारे में जानने की इच्छुक हैं।
दिल्ली के सरकारी स्कूलों में नर्सरी से लेकर 8वीं तक के बच्चों को तनावमुक्त रखने के लिए हैप्पीनेस करिकुलम की शुरुआत की गई थी। 2018 में दिल्ली के सरकारी स्कूलों में बच्चों को तनाव से दूर रखने के लिए हैप्पीनेस करिकुलम की शुरुआत हुई थी। स्कूल शुरू होने के पहले पीरियड यानी 40 मिनट तक बच्चों की हैप्पीनेस पर ध्यान दिया जाता है।
हैप्पीनेस क्लास के तहत बच्चों से पहले 5 मिनट तक ध्यान लगवाया जाता है, उसके बाद बच्चों से अलग-अलग गतिविधियां कराई जाती हैं, कहानियों के माध्यम से बच्चों को ज्ञानवर्धक और नैतिकता संबंधित कहानियां सुनाई जाती हैं। हैप्पीनेस क्लास के जरिए बच्चों को खुद की सोच विकसित करने का मौका दिया जाता है।
दावा है कि इसके जरिए बच्चों को अपने आपको जाहिर करने का मौका मिलता है। दिल्ली सरकार का कहना है कि हैप्पीनेस क्लास के जरिए बच्चों को खुद के अंदर से सोच विकसित करने में मदद मिलती है।
दिल्ली के शिक्षामंत्री मनीष सिसोदिया ने आम आदमी पार्टी की राजनीतिक मामलों की समिति की सदस्य आतिशी की सलाह पर सरकारी स्कूलों में आमूल-चूल परिवर्तन किया था। आतिशी का कहना है हैप्पीनेस करिकुलम के कारण बच्चों में आत्मविश्वास बढ़ा है और बच्चों का फोकस ज्यादा स्पष्ट हो पाया है।
दिल्ली के स्कूलों की कायापलट
दिल्ली सरकार का कहना है कि हैप्पीनेस करिकुलम के लागू होने के एक साल के अंदर ही दूसरे राज्यों के शिक्षाविदों से लेकर शिक्षा व्यवस्था से जुड़े लोग इसके बारे में आकर जानकारी ले रहे हैं और अपने-अपने स्तर से अपने यहां इसे लागू करने की कोशिश कर रहे हैं। दिल्ली सरकार का दावा है कि दिल्ली के सभी 1,000 सरकारी स्कूलों में 10 लाख के करीब बच्चे हैप्पीनेस की क्लास ले रहे हैं।
2018 में बौद्ध धर्म गुरु ने इस हैप्पीनेस क्लास का उद्घाटन किया था। तब से लेकर अभी तक सरकारी स्कूलों में हर रोज कक्षाओं की शुरुआत ही हैप्पीनेस क्लास से होती है। एक अखबार को दिए इंटरव्यू में दिल्ली के उपमुख्यमंत्री और शिक्षामंत्री मनीष सिसोदिया ने हैप्पीनेस करिकुलेम के उद्देश्य के बारे में कहा कि हमारा उद्देश्य स्पष्ट है कि जो बच्चा पढ़ने में अच्छा है, वह समाज में भी अच्छा हो, वह परिवार में भी अच्छा हो। खुद खुश रहे और दूसरों को भी खुश रखे। बच्चा जब स्कूल से निकले तो वह इंसान बनकर भी निकले, यही इसका उद्देश्य है।