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कोलकाता की घटना पर बढ़ती सियासत के बीच सीबीआई पर उठते सवाल

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DW

, शुक्रवार, 30 अगस्त 2024 (08:09 IST)
प्रभाकर मणि तिवारी
पश्चिम बंगाल सरकार बलात्कार जैसे अपराधों के लिए और कड़ी सजा का प्रावधान कर रही है। कैबिनेट ने इस प्रस्ताव को पास कर दिया है और जल्द से जल्द इसे विधानसभा में पेश करने का मौका दिए जाने की मांग की है।
 
पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता के सरकारी आरजी कर मेडिकल कॉलेज अस्पताल में एक जूनियर डॉक्टर के रेप और हत्या की घटना पर सियासत लगातार तेज हो रही है। पश्चिम बंगाल छात्र समाज के बैनर तले मंगलवार को राज्य सचिवालय नवान्न अभियान के दौरान हुई हिंसा के बाद बीजेपी की अपील पर बुधवार को 12 घंटे के बंगाल बंद के दौरान भी काफी हिंसा हुई।
 
अब इस घटना की सीबीआई जांच पर भी सवाल उठ रहे हैं। पहले सीबीआई सिर्फ इसी मामले की जांच कर रही थी। लेकिन अब कलकत्ता हाईकोर्ट के निर्देश पर वह मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष के कथित आर्थिक घोटाले की भी जांच कर रही है। लगातार आठवें दिन उनसे घंटों की पूछताछ, घर की तलाशी और पालीग्राफ टेस्ट के बावजूद केंद्रीय जांच एजेंसी अब तक किसी ठोस नतीजे पर नहीं पहुंच सकी है। उसने बुधवार को भी पीड़िता के घर जाकर उसके माता-पिता से बात की।
 
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी बुधवार को तृणमूल कांग्रेस छात्र परिषद के स्थापना दिवस के मौके पर एक रैली को संबोधित करते हुए सीबीआई की जांच पर सवाल उठाया। उन्होंने बलात्कार के मामलों में दोषियों को फांसी की सजा देने के लिए विधानसभा में एक विधेयक पारित करने की भी बात कही है। इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने बीजेपी पर आंदोलन की दिशा मोड़ कर इसका इस्तेमाल अपने सियासी फायदे के लिए करने का आरोप लगाया है।
 
दूसरी ओर, आंदोलनकारी डॉक्टरों ने भी आज वेस्ट बंगाल जूनियर डॉक्टर्स फ्रंट के बैनर तले कोलकाता में एक रैली निकाली और पीड़िता के लिए न्याय की मांग दोहराई। डॉक्टरों ने महिला सुरक्षा के मुद्दे पर नुक्कड़ नाटक भी किया। इन लोगों ने खुद को बंद से अलग रखा था।
 
कैसा रहा बीजेपी का 'बंगाल बंद'
बीजेपी ने मंगलवार को पश्चिम बंगाल छात्र समाज की अपील पर नवान्न अभियान के दौरान छात्रों पर कथित पुलिसिया हमलों के खिलाफ बुधवार को 12 घंटे के बंगाल बंद की अपील की थी। इस दौरान राज्य के विभिन्न इलाकों में जमकर हिंसा और तोड़-फोड़ की गई। इस दौरान भाजपा समर्थकों ने ट्रेनों की आवाजाही रोकी। कई जगह पुलिस और तृणमूल कांग्रेस समर्थकों के साथ भी उनकी झड़प हुई। कोलकाता से सटे उत्तर 24-परगना जिले के भाटापारा में बीजेपी नेताओं की कार पर सात राउंड फायरिंग की गई। इसमें घायल दो लोगों को एक निजी अस्पताल में दाखिल कराया गया है।
 
बुधवार सुबह से ही राज्य के विभिन्न इलाकों से हिंसक झड़पों की खबरें आने लगी। बीजेपी के कार्यकर्ता बंद के समर्थन में सड़कों पर उतरे थे, तो तृणमूल कांग्रेस समर्थक इसके खिलाफ। इन दोनों के बीच कई जगह झड़पें हुईं। बंद समर्थकों ने सियालदह और हुगली जिले में कई स्टेशनों औऱ पटरियों पर धरना देकर ट्रेनों की आवाजाही रोक दी। इसी तरह कुछ इलाकों में हाईवे पर टायर जला कर वाहनों की आवाजाही भी रोक दी गई। बंद समर्थकों को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने कई जगहों पर लाठीचार्ज किया।
 
पुलिस के एक अधिकारी ने डीडब्ल्यू को बताया कि राज्य के विभिन्न इलाकों से कई बंद समर्थकों को हिंसा और तोड़फोड़ के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। कूचबिहार के अलावा हुगली, दक्षिण दिनाजपुर, पश्चिम मेदिनीपुर और बशीरहाट इलाके में बीजेपीऔर तृणमूल कांग्रेस समर्थकों में होने वाली हिंसक झड़पों में 50 से ज्यादा लोग घायल हो गए हैं। उनमें से कुछ की हालत गंभीर होने के कारण अस्पताल में भर्ती कराया गया है। राजधानी कोलकाता के कुछ इलाकों में भी बंद समर्थकों और विरोधियों के बीच झड़पें हुई।
 
बैरकपुर के पुलिस आयुक्त आलोक राजोरिया ने डीडब्ल्यू को बताया, "उत्तर 24-परगना जिले के भाटापारा में ही सुबह बीजेपी नेताओं की एक कार पर फायरिंग की गई। इसके बाद इलाके में उत्तेजना फैल गई। सुबह करीब नौ बजे सात राउंड फायरिंग हुई। हमले के वीडियो के आधार पर इस मामले में आठ लोगों को गिरफ्तार किया गया है।"
 
बैरकपुर के पूर्व भाजपा सांसद अर्जुन सिंह ने आरोप लगाया है कि तृणमूल कांग्रेस के समर्थकों ने फायरिंग की और कई जगह बम फेंके। 
 
ममता की रैली
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पार्टी की छात्र शाखा के स्थापना दिवस पर कोलकाता में एक रैली को संबोधित किया। उन्होंने अपने भाषण में आरजी कर की घटना पर गहरा दुख जताया। उनका कहना था, "राज्य सरकार ने इस मामले में समुचित कार्रवाई की थी। सरकार फास्ट ट्रैक अदालत के जरिए सात दिनों में इस मामले की सुनवाई पूरी कर दोषियों को सजा दिलाना चाहती थी। लेकिन मामला सीबीआई को सौंप दिया गया। हमने पांच दिनों का समय मांगा था। लेकिन 15 दिनों बाद भी सीबीआई अब तक किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सकी है।"
 
ममता ने बंगाल बंद के लिए बीजेपी की खिंचाई करते हुए कहा कि वह दरअसल आंदोलन की दिशा बदल कर इसका सियासी फायदा उठाना चाहती है। मुख्यमंत्री का कहना था, "बीजेपी मौत पर राजनीति करना चाहती है। हम दोषियों को फांसी की सजा देने की मांग रहे हैं। लेकिन वह बंद बुला रही है। मुख्यमंत्री ने अपने भाषण के दौरान राज्यपाल सीवी आनंद बोस की भी आलोचना की। उन्होंने कहा कि सरकार बलात्कारियों को फांसी देने के लिए विधानसभा में जो विधेयक पेश करेगी उस पर राज्यपाल को हस्ताक्षर करने ही होंगे। उन्होंने ऐसा नहीं किया तो महिलाएं राजभवन के समक्ष धरना शुरू करेंगी।"
 
सीबीआई पर उठते सवाल
कलकत्ता हाईकोर्ट के निर्देश पर इस घटना की जांच कर रही सीबीआई पर भी अब सवाल उठने लगे हैं। वह इस मामले में गिरफ्तार अभियुक्त संजय राय और मामले की लीपापोती करने के आरोपी पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष समेत सात लोगों का पॉलीग्राफ टेस्ट करा चुकी है। इसके अलावा जांच एजेंसी की अलग-अलग टीमें कोलकाता और हावड़ा में 15 लोगों के ठिकानों पर छापेमारी कर चुकी है। लेकिन अब तक उसने किसी ठोस नतीजे पर पहुंचने का संकेत नहीं दिया है।
 
यही वजह है कि सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के अलावा सीपीएम और कांग्रेस समेत आम लोग भी अब उसकी कार्यप्रणाली पर संदेह जताने लगे हैं। इस घटना के विरोध में आंदोलन पर बैठे एक जूनियर डॉक्टर ने नाम नहीं छापने की शर्त पर डीडब्ल्यू से कहा, "हमने कोलकाता पुलिस पर तो लापरवाही का आरोप लगाया था। लेकिन सीबीआई भी दो सप्ताह से ज्यादा समय बीत जाने के बावजूद किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सकी है। जस्टिस डिलेड इज जस्टिस डिनाइड। पता नहीं यह मामला कब सुलझेगा।"
 
दूसरी ओर, सीबीआई के सूत्रों का कहना है कि इस मामले की जड़ें काफी फैली हैं। ऐसे मामले इतनी जल्दी नहीं सुलझाए जा सकते। अलग-अलग टीमें विभिन्न पहलुओं की जांच कर रही हैं। रेप व हत्या के अलावा अब आर्थिक घोटाले की जांच का जिम्मा भी हमारे हाथों में ही है। दोनों मामलों की जांच समानांतर चल रही है। ऐसे में समय लगना स्वाभाविक है।
 
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि पूरा मामला सीबीआई के हाथों में होने के कारण गेंद अब केंद्र के पाले में है। इसलिए ममता और तृणमूल कांग्रेस सांसद अभिषेक बनर्जी भी अब सीबीआई की कार्यप्रणाली पर सवाल उठा रहे हैं। एक विश्लेषक प्रोफेसर समीरन पाल डीडब्ल्यू से कहते हैं, "यह मामला जितनी जल्दी सुलझे उतना ही बेहतर है। सीबीआई के किसी ठोस नतीजे तक नहीं पहुंचने तक कम से कम बंगाल में डॉक्टरों का आंदोलन जारी रहेगा। आंदोलनकारी डॉक्टरों ने यह बात साफ कर दी है.. इसका खामियाजा आम लोगों को भुगतना पड़ रहा है।"

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