Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

यूक्रेन युद्ध के कारण चांदी कूट रहे हैं ये भारतीय व्यापारी

हमें फॉलो करें यूक्रेन युद्ध के कारण चांदी कूट रहे हैं ये भारतीय व्यापारी

DW

, बुधवार, 9 मार्च 2022 (15:29 IST)
यूक्रेन युद्ध के व्यापक आर्थिक असर नजर आने लगे हैं। हालांकि यूरोप और अमेरिका में व्यापारियों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है लेकिन भारत के कम से कम गेहूं व्यापारियों को खासा फायदा हुआ है।
 
भारत ने पिछले कुछ दिनों में पांच लाख टन गेहूं निर्यात के समझौते किए हैं। व्यापारियों का कहना है कि यूक्रेन युद्ध के कारण कीमतों में बहुत तेजी आई है, जिसका फायदा दुनिया के दूसरे सबसे बड़े गेहूं उत्पादक देश भारत को हो रहा है।
 
कुछ व्यापारियों ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स को बताया कि पिछले कुछ दिनों में उन्हें विदेशों से बहुत सारे खरीदारों ने संपर्क किया है जो काला सागर के रास्ते आने वाले गेहूं का विकल्प खोज रहे हैं क्योंकि रूस के यूक्रेन पर हमले ने इस सप्लाई रूट को प्रभावित किया है। रूस और यूक्रेन को गेहूं का सबसे बड़ा उत्पादक क्षेत्र हासिल है। दुनिया के कुल गेहूं निर्यात का 30 फीसदी इन्हीं दोनों देशों से आता है।
 
भारत में पिछली पांच फसलों से रिकॉर्ड गेहूं उत्पादन हुआ है। इसके चलते उसके गेहूं भंडार भरे हुए हैं और व्यापारी निर्यात की संभावनाओं को लेकर खासे उत्सुक हैं। चूंकि भारत में सरकारी न्यूनतम मूल्य ऊंचा है इसलिए भारत को गेहूं निर्यात का फायदा तभी ज्यादा होता है जबकि वैश्विक बाजार में दाम ऊंचे हों। एक ग्लोबल ट्रेडिंग फर्म में काम करने वाले डीलर ने नाम ना छापने की शर्त पर बताया, "वैश्विक बाजार में ऊंचे दामों ने भारतीय निर्यातकों के लिए गेहूं की मांग पूरी करना आसान बना दिया है।”
 
webdunia
गेहूं की कीमतें आसमान पर
सोमवार को यूरोपीय गेहूं की कीमत 400 यूरो प्रति टन यानी लगभग 33 हजार रुपये पर पहुंच गई थी जो कि पिछले 14 साल में सबसे ज्यादा है। इसके उलट भारत में गेहूं उत्पादकों को लगभग 19,700 रुपये प्रति टन का न्यूनतम मूल्य मिलता है।
 
यूक्रेन युद्ध को लेकर एक चिंता यह भी है कि रूस खाद के भी सबसे बड़े निर्यातकों में से है। रूस पर लगाए जा रहे प्रतिबंधों के चलते वहां से फर्टिलाइजर आने बंद होंगे तो घरेलू बाजारों में खाद के दाम बढ़ जाएंगे। जिसका असर फसलों की कीमतों पर भी पड़ेगा।
 
फर्टिलाइजर की कीमत पिछले साल से लगभग दोगुनी हो चुकी है। नाइट्रोजन आधारित यूरिया और दुनियाभर में सबसे ज्यादा प्रयोग होने वाला फासफोरस आधारित डायमोनियम फास्फेट पिछले साल के मुकाबले क्रमशः 98 प्रतिशत और 68 प्रतिशत महंगा हो चुका है। यह महंगाई किसानों को चिंतित कर रही है और इसका असर उनकी खरीद पर दिखने लगा है।
 
भारत का रिकॉर्ड निर्यात
इस साल भारत रिकॉर्ड 70 लाख टन गेहूं का निर्यात करेगा। एक डीलर के मुताबिक, "जो खरीदार यूक्रेन और रूस से सप्लाई बाधित होने के लेकर चिंतित हैं, वे जानते हैं कि इस वक्त सिर्फ भारत इतना बड़ा और स्थिर सप्लायर हो सकता है। इसलिए वे भारत की ओर रुख कर रहे हैं।” इस डीलर ने बताया कि कुछ ही दिन में पांच लाख टन गेहूं के निर्यात के सौदे हो चुके हैं।
 
युद्ध में भी यूक्रेन के रास्ते बड़े स्तर पर हो रही है रूसी गैस आपूर्ति
 
यूनिकॉर्प प्राइवेट लिमिटेड में काम करने वाले ट्रेडर राजेश पहाड़िया जैन कहते हैं, "ज्यादातर सप्लायर 340 से 350 डॉलर प्रति टन के भाव पर सौदा कर चुके हैं।” इससे पहले 305-310 डॉलर प्रति टन के भाव पर भी गेहूं निर्यात हुआ है।
 
इस बारे में भारत सरकार के एक अधिकारी ने नाम ना छापने की शर्त पर बताया कि सरकार निर्यात को प्रोत्साहित करेगी। इस अधिकारी ने कहा, "हमारा रुख निर्यात के प्रति समर्थक है और हम निजी क्षेत्र के जरिए गेहूं की सप्लाई की सुविधा उपलब्ध कराएंगे।”
 
वीके/एए (रॉयटर्स)

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

Russia-Ukraine War: युद्ध में भी यूक्रेन के रास्ते बड़े स्तर पर हो रही है रूसी गैस आपूर्ति