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बिहार में सत्ता की कुंजी का फैसला चुनाव के अंतिम चरण में

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, शनिवार, 7 नवंबर 2020 (09:21 IST)
रिपोर्ट : मनीष कुमार, पटना
 
बिहार में शनिवार को विधानसभा का अंतिम चरण का चुनाव हो रहा है। 78 सीटों पर 7 नवंबर को होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव के तीसरे व आखिरी चरण में जिस पार्टी की रणनीति कामयाब होगी, सत्ता उसी के हाथ आएगी।
 
विधानसभा चुनाव के आखिरी चरण में बिहार के 15 जिलों में होने वाले 78 सीटों पर लड़ रहे 1204 प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला 7 नवंबर को हो जाएगा। उम्मीदवारों में 1094 पुरुष तो 110 महिलाएं हैं। इससे पहले 2 चरणों में हुए मतदान में वोटरों ने 165 सीटों पर अपना फैसला ईवीएम में दर्ज कर दिया है। नए गठजोड़ों के कारण इस चुनाव में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के सामने अपनी 43 सीटिंग सीटें बचाने की तो महागठबंधन के सामने अपनी सीटों की संख्या बढ़ाने की चुनौती है। जिन 15 जिलों में चुनाव होना है, उनमें सीतामढ़ी, समस्तीपुर, पूर्वी व पश्चिमी चंपारण, मुजफ्फरपुर, वैशाली, कटिहार, किशनगंज, सहरसा, दरभंगा, अररिया, मधेपुरा, पूर्णिया, मधेपुरा व सुपौल शामिल हैं। इन जिलों में कुल 2,35,54,071 मतदाता है जिनमें 1,23,46,799 पुरुष व 1,12,06,378 महिलाएं तथा 894 ट्रांसजेंडर हैं। ये सभी 33,782 मतदान केंद्रों पर अपने मताधिकार का उपयोग करेंगे। उम्मीदवारों की सबसे अधिक संख्या मुजफ्फरपुर के गायघाट में हैं जहां से 31 प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं।
 
मतदाताओं की संख्या की दृष्टि से सबसे बड़ा विधानसभा क्षेत्र सहरसा तो सबसे छोटा हायाघाट (दरभंगा) है। जिन इलाकों में चुनाव होना है उनमें अल्पसंख्यकों, महिलाओं व प्रवासियों की संख्या अधिक है। किशनगंज में सर्वाधिक 68, कटिहार में 45, अररिया में 43 तो पूर्णिया में 38 फीसद मुस्लिम आबादी है। सीमांचल की 24 सीटों पर मुस्लिम वोटरों की संख्या 40 प्रतिशत से अधिक है। इस चरण में महागठबंधन की तरफ से राजद ने 46, कांग्रेस ने 25, सीपीआई (एमएल) ने 5 तथा सीपीआई ने 2 उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतारे हैं जबकि एनडीए की ओर से जदयू से सर्वाधिक 37, भाजपा से 35, विकासशील इंसान पार्टी से 5 व जीतन राम मांझी की हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा से एक प्रत्याशी ताल ठोक रहे हैं। इसके अलावा एनसीपी ने 31, लोजपा ने 42, असदुद्दीन ओवैसी की एआइएमआइएम ने 21, मायावती की बहुजन समाज पार्टी ने 19 तथा उपेन्द्र कुशवाहा की रालोसपा ने 25 उम्मीदवार खड़े किए हैं, वहीं निबंधित 131 दलों के 561 एवं 382 निर्दलीय प्रत्याशी भी चुनाव मैदान में हैं। 2015 में इन 78 सीटों पर जदयू को 23, भाजपा 20, राजद को 20, कांग्रेस को 11, भाकपा (माले) को एक सीट पर विजय हासिल हुई थी। इस बार 23 सीटों पर राजद का जदयू से तथा 20 सीटों पर भाजपा से कड़ा मुकाबला है।
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12 मंत्रियों के भाग्य का होगा फैसला
 
विधानसभा चुनाव के आखिरी चरण में सीमांचल, मिथिलांचल, तिरहुत व कोसी की 78 सीटों पर नीतीश सरकार के 12 मंत्रियों के भाग्य का फैसला होगा। उनमें विजेंद्र प्रसाद यादव (सुपौल), रमेश ऋषिदेव (सिंहेश्वर), नरेंद्र नारायण यादव (आलमनगर), मदन सहनी (बहादुरपुर), विनोद नारायण झा (बेनीपट्टी), महेश्वर हजारी (कल्याणपुर), खुर्शीद आलम (सिकटा), प्रमोद कुमार (मोतिहारी), सुरेश शर्मा (मुजफ्फरपुर), लक्ष्मेश्वर राय (लौकाहा), कृष्ण कुमार ऋषि (बनमनखी) व बीमा भारती (रूपौली) शामिल हैं। दिवगंत मंत्री कपिलदेव कामत की बहू मीना कामत (बाबूबरही) व विनोद सिंह की पत्नी निशा सिंह (प्राणपुर) अपनी विरासत बचाने को जूझ रही हैं।
 
इनके अलावा विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार चौधरी समस्तीपुर जिले के सरायरंजन से चुनाव मैदान में हैं। पूर्व मंत्री अब्दुलबारी सिद्दीकी (केवटी), विनय बिहारी (लौरिया), लेसी सिंह (धमदाहा) और रंजूगीता मिश्रा (बाजपट्टी) की किस्मत का फैसला भी इसी चरण में होना है। इनके अलावा अन्य प्रमुख लोग, जो मैदान में हैं उनमें सीपीआई के राज्य सचिव रामनरेश पांडेय (हरलाखी), रमई राम (बोचहां), लवली आनंद (सहरसा), जदयू के प्रदेश प्रवक्ता निखिल मंडल (मधेपुरा), सिंहवाहिनी पंचायत की चर्चित मुखिया रीतू जायसवाल (परिहार), पूर्व मंत्री इलियास हुसैन की पुत्री आसमां परवीन (महुआ) व शरद यादव की बेटी सुभाषिणी शामिल हैं। ब्लॉक डेवलपमेंट आफिसर (बीडीओ) की नौकरी छोड़ गौतम कृष्णा महिषि से, नियोजित शिक्षक रहे अविनाश रानीगंज (सुरक्षित) से तथा अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी छात्र संघ के अध्यक्ष रहे मंसूर अहमद दरभंगा के जाले विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ रहे हैं। 
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31 फीसदी प्रत्याशियों का क्रिमिनल रिकॉर्ड
 
एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) व बिहार इलेक्शन वॉच की रिपोर्ट के अनुसार तीसरे चरण में माननीय बनने की लालसा रख चुनाव लड़ने वाले कुल 1204 प्रत्याशियों में 31 प्रतिशत यानी 371 उम्मीदवारों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं। दागी उम्मीदवारों की सर्वाधिक संख्या राजद में हैं। इसके 32 प्रत्याशी आपराधिक चरित्र के हैं जिनमें 22 के खिलाफ हत्या व बलात्कार जैसे गंभीर आरोप हैं, वहीं भाजपा के 26 प्रत्याशियों ने दायर हलफनामे में क्रिमिनल रिकॉर्ड की सूचना दी है जिनमें 22 पर गंभीर अपराध के मामले दर्ज हैं। जबकि जदयू के 21, जाप के 22, लोजपा के 18, कांग्रेस के 19 तथा रालोसपा के 16 उम्मीदवारों के खिलाफ किसी न किसी तरह अपराध में लिप्त रहने का आरोप है। इसके अतिरिक्त क्रिमिनल रिकॉर्ड वाले 233 प्रत्याशी ऐसे हैं, जो अन्य निबंधित छोटे दल से या बतौर निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं।
 
एडीआर की रिपोर्ट के अनुसार 371 उम्मीदवारों में से 282 पर गंभीर अपराध के आरोप हैं। इनमें 37 के खिलाफ महिला अपराध में संलिप्त रहने का मामला दर्ज है जबकि इनमें से 5 पर बलात्कार का मुकदमा है, वहीं करीब 20 प्रत्याशियों पर हत्या तथा 73 पर हत्या की कोशिश का मामला चल रहा है। इनमें सर्वाधिक 14 मामले सीपीआई (एमएल) प्रत्याशी महबूब आलम के खिलाफ दर्ज हैं। स्थिति ऐसी है कि इस चरण की 78 सीटों में से 72 रेड अलर्ट क्षेत्र है, तात्पर्य यह कि इन सीटों पर आपराधिक चरित्र वाले तीन या उससे अधिक प्रत्याशी मैदान में हैं।
 
30 प्रतिशत प्रत्याशी करोड़पति
 
तीसरे चरण में चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशियों में 30 प्रतिशत यानी 361 उम्मीदवार करोड़पति हैं। इनमें सर्वाधिक अमीर वारिसनगर से रालोसपा प्रत्याशी बिनोद कुमार सिंह हैं जिनके पास 85.89 करोड़ की संपत्ति है, वहीं दूसरे नंबर पर मोतिहारी से चुनाव लड़ रहे राजद उम्मीदवार ओम प्रकाश सिंह हैं, जो 45.37 करोड़ की संपत्ति के मालिक हैं। भाजपा के 31, बसपा के 10, कांग्रेस के 17, राजद के 35, लोजपा के 31, जदयू के 30 प्रत्याशी करोड़पति हैं। इन प्रत्याशियों की औसत संपत्ति 1.46 करोड़ है, वहीं दरभंगा से निर्दलीय चुनाव लड़ रहे शंकर कुमार झा ने अपने पास 32.19 करोड़ की संपत्ति होने की घोषणा की है।
 
नीतीश का मास्टर स्ट्रोक
 
चुनाव प्रचार के अंतिम दिन पूर्णिया जिले के धमदाहा में आयोजित अपनी आखिरी जनसभा में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस बार के चुनाव को अपना अंतिम चुनाव बताया। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि अंत भला तो सब भला। जानकार बताते हैं कि यह नीतीश का मास्टर स्ट्रोक है, जो एंटी इंकमबैंसी फैक्टर को ध्यान में रखकर चलाया गया है। दरअसल इस इमोशनल कार्ड के पीछे उनकी नजर आखिरी चरण की 35 सीटों पर है जहां पिछड़ी व अति पिछड़ी जातियां खासी असरदार हैं। कोसी व सीमांचल की जिन 20 सीटों पर जदयू चुनाव लड़ रहा, उनमें 12 उनकी सीटिंग सीट है और इनमें 9 सीटों पर पार्टी लगातार 2 बार से चुनाव जीत रही है। जैसा कि अपेक्षित था, नीतीश के ऐसा कहते ही सियासत गर्म हो गई। तेजस्वी यादव ने कहा कि मेरी बात सच साबित हुई। नीतीश जी थक चुके हैं। बिहार उनसे संभल नहीं रहा।
 
वहीं लोजपा प्रमुख चिराग पासवान का कहना था कि जेल जाने के डर से वे ऐसा कह रहे। 5 साल का हिसाब दिया नहीं और यह भी बता दिया कि आगे का हिसाब भी नहीं देंगे। कांग्रेस महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला ने भी तंज कसते हुए कहा कि अब उन्हें हार दिख रही है इसलिए मैदान छोड़ रहे हैं। हालांकि जदयू के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह ने स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा कि नीतीश कुमार ने प्रचार का संदर्भ लेते हुए कहा कि यह उनकी आखिरी सभा है। आज तीसरे चरण के चुनाव प्रचार का अंतिम दिन था इसलिए उन्होंने यह बात कही। राजनेता कभी रिटायर नहीं होता।
 
खेल बिगाड़ने की जुगत में छोटे दल
 
तीसरे चरण में बड़े राजनीतिक दल आपस में दो-दो हाथ तो कर ही रहे हैं, छोटे दल भी गठबंधन की छांव में उन्हें चुनौती दे रहे हैं। सीमांचल व कोसी प्रक्षेत्र में उपेन्द्र कुशवाहा की रालोसपा, असदुद्दीन ओवैसी की एआइएमआइएम तथा मायावती की बहुजन समाज पार्टी बड़े दलों का खेल बिगाड़ने की भरपूर कोशिश कर रही है। जानकार बताते हैं कि इन दोनों इलाकों में मिली जीत ही एनडीए का मार्ग प्रशस्त करेगी। वैसे भी सीमांचल की 24 सीटों पर 40 फीसद से ज्यादा मुसलमान एनडीए के लिए परेशानी का सबब बने हैं।
 
यही वजह है कि प्रचार के अंतिम चरण में भाजपा ने अपने फायरब्रांड नेता योगी आदित्यनाथ तथा गिरिराज सिंह जैसे नेताओं को उतारा। एनआरसी व सीएए के मुद्दे उछाले गए तथा घुसपैठियों को बाहर निकालने की बात कही गई। ओवैसी पहले से ही इन मुद्दों को उठाते रहे हैं। दोनों का मकसद मतों का ध्रुवीकरण करना ही है। अल्पसंख्यक वोट बैंक में ओवैसी की सेंध ही महागठबंधन खासकर राजद के लिए चिंता का कारण है। वैसे अपने मकसद में कौन कितना कामयाब हो सका, यह तो 10 नवंबर को ही पता चलेगा, जब मतपेटियां खुलेंगी।

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