देश की निर्वासन नीति का विरोध कर रही एक छात्रा ने स्वीडन में हवाई जहाज ही रुकवा लिया। सोशल मीडिया पर वह 'हीरो' तो बन गई हैं लेकिन उन्हें इसकी कीमत भी चुकानी पड़ सकती है।
सभी जानते हैं कि हवाई जहाज तब तक टेक ऑफ नहीं कर सकता जब तक सभी यात्री अपनी कुर्सियों पर बैठ ना जाएं और कुर्सी की पेटी बांध ना लें। लेकिन स्वीडन की एक छात्रा ने इसी नियम का इस्तेमाल एक फ्लाइट को रुकवाने के लिए किया। एलिन एरसन नाम की यह युवती स्वीडन के गॉथनबर्ग से इस्तांबुल जाने वाली फ्लाइट पर सवार थी।
इसी फ्लाइट पर एक 52 वर्षीय अफगान व्यक्ति को डिपोर्ट किया जा रहा था। इस व्यक्ति को पहले इस्तांबुल ले जाया जाता, जहां से एक दूसरी फ्लाइट में उसे अफगानिस्तान भेजा जाता। लेकिन एलिन को जब इस बात का पता चला, तो वह विरोध करने लगी कि जब तक इस व्यक्ति को विमान से उतारा नहीं जाता, वह अपनी सीट पर नहीं बैठेंगी।
अपने इस विरोध का उन्होंने फेसबुक पर लाइव प्रसारण भी किया। 14 मिनट के वीडियो में देखा जा सकता है कि कैसे वह क्रू और यात्रियों के बार बार कहने पर भी सीट पर बैठने को तैयार नहीं हैं और कह रही हैं कि वह जानती हैं कि वह जो कर रही हैं वह गैरकानूनी नहीं है। वीडियो की शुरुआत में वह फ्लाइट में अपने फोन के साथ चलती हुई नजर आ रही हैं। इस बीच एक फ्लाइट अटेंडेंट उनका फोन छीनने की भी कोशिश करता है। वह कहती हैं, "पायलट के पास यह कहने का हक है कि फ्लाइट में कौन बैठेगा और कौन नहीं। मैं पायलट के फैसले का इंतजार कर रही हूं। जब तक पायलट अपना फैसला नहीं सुना देता, मैं यहीं खड़ी रहूंगी।"
कई यात्री एलिन से नाराज भी दिखते हैं और उन्हें बैठ जाने को कहते हैं। बच्चों के रोने की भी आवाज सुनी जा सकती है। उन्हें यह भी बताया जाता है कि वह बच्चों को और बाकी के यात्रियों को डरा रही हैं, जिसके जवाब में वह कहती हैं कि एक इंसान की जान जाने वाली है और आप लोगों को अपनी फ्लाइट के छूट जाने की चिंता सता रही है। कुछ लोग तालियां बजा कर उनका हौसला भी बढ़ाते हैं। एलिन रोते रोते लगातार यह कहती रहती हैं कि वह मर जाएगा।
आखिरकार अफगान व्यक्ति और एलिन दोनों को ही फ्लाइट से उतार दिया जाता है। एलिन का भले ही यह कहना हो कि उन्होंने कुछ भी गलत नहीं किया है लेकिन स्वीडन की पुलिस के अनुसार फ्लाइट में सवार होने के बाद पायलट की बात ना मानना गैरकानूनी है और इसके लिए छह महीने की कैद की सजा और जुर्माना भी हो सकता है।
स्वीडन के अधिकारियों के अनुसार अफगान व्यक्ति को अब किसी और फ्लाइट से डिपोर्ट किया जाएगा। हालांकि ऐसा कब होगा, इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई है। एलिन स्वीडन में कार्यकर्ता हैं और देश की डिपोर्टेशन नीति के खिलाफ आवाज उठा रही हैं। प्लेन में जाने से पहले उन्होंने हवाई अड्डे पर 25 अन्य कार्यकर्ताओं के साथ मिल कर प्रदर्शन भी किया। जहां सोशल मीडिया पर कुछ लोग उनके इस कदम की तारीफ कर रहे हैं, वहीं आलोचना करने वालों की भी कमी नहीं है, जिनका मानना है की किसी नीति में बदलाव इस तरह से नहीं लाया जा सकता।