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रूस ने कोरोना के खिलाफ दवा को मंजूरी दी

हमें फॉलो करें रूस ने कोरोना के खिलाफ दवा को मंजूरी दी

DW

, मंगलवार, 2 जून 2020 (10:40 IST)
रूस में 11 जून से कोरोना वायरस के लिए अप्रूव दवा मरीजों को दी जाएगी। रूसी अधिकारियों के मुताबिक ट्रॉयल के दौरान दवा ने 4 दिन के भीतर मरीजों को आराम पहुंचाया।
 
रूस के अस्पताल अगले हफ्ते से कोरोना वायरस के लिए अप्रूव एंटीवायरस दवा देंगे। एविफैविर नाम की यह दवा कोविड-19 के खिलाफ कारगर बताई जा रही है। रूस के संप्रभु वेल्थ फंड आरडीआईएफ के प्रमुख किरील दिमित्रेव ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स को एक इंटरव्यू में इसकी जानकारी दी। दिमित्रेव के मुताबिक दवा निर्माता कंपनी 1 महीने में 60,000 लोगों के इलाज के लिए दवा बनाएगी।
कोरोना वायरस के खिलाफ फिलहाल कोई दवा और वैक्सीन नहीं है। दुनिया के कई देशों में मौजूदा एंटीवायरल दवाओं का परीक्षण किया जा रहा है। कुछ दवाएं उम्मीद बांध रही हैं लेकिन उन्हें मंजूरी अभी नहीं मिली है।
 
एविफैविर दवा 1990 के दशक के अंत में एक जापानी कंपनी ने विकसित की। आरडीआईएफ के प्रमुख दिमित्रेव के मुताबिक रूसी वैज्ञानिकों ने इस दवा को मोडिफाई कर और ज्यादा असरदार बनाया है। उन्होंने कहा कि 2 हफ्ते बाद मॉस्को इस दवा के मोडिफिकेशन की जानकारी साझा करने में सक्षम होगा।
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जापान में भी इसी दवा को एविगान नाम से टेस्ट किया जा रहा है। जापानी प्रधानमंत्री शिंजो आबे इस दवा की तारीफ करते हुए 12.8 करोड़ डॉलर का बजट इसके विकास में स्वीकृत कर चुके हैं। हालांकि जापान में अब तक इसे अप्रूव दवाओं की लिस्ट में नहीं डाला गया है।
 
लेकिन रूस ने 30 मई को इस दवा को स्वीकृत दवाओं की सूची में डाल दिया। रूस में इस दवा का 330 लोगों पर क्लिनिकल ट्रॉयल किया गया। दिमित्रेव के मुताबिक ज्यादातर मामलों में 4 दिन के भीतर कोरोना वायरस का सफलता से इलाज हो गया। इन नतीजों के बाद तयशुदा समय से पहले ही रूस के स्वास्थ्य मंत्रालय ने दवा को मंजूरी दे दी।
 
आमतौर पर दवाओं के क्लिनिकल ट्रॉयल में कई महीने लगते हैं। इस दौरान दवाओं को नियंत्रित ढंग से बड़ी संख्या में मरीजों पर टेस्ट किया जाता है। उनके अच्छे और बुरे परिणाम देखे जाते हैं। पूरी तरह संतुष्ट होने के बाद ही नई दवा को मंजूरी मिलती है।
 
रूस में 330 लोगों पर टेस्ट की गई दवा बड़े पैमाने पर खरी उतरेगी या नहीं, फिलहाल इसका अंदाजा नहीं लगाया जा सकता। कोरोना वायरस के मामले में हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन को लेकर भी खूब उम्मीदें बांधी गईं, लेकिन आखिरकार यह दवा बेअसर-सी साबित हुई।
 
ओएसजे/एके (रॉयटर्स)

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