Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

भारत में मंदी की संभावना शून्य', अमेरिका को भी उम्मीद

हमें फॉलो करें भारत में मंदी की संभावना शून्य', अमेरिका को भी उम्मीद

DW

, मंगलवार, 26 जुलाई 2022 (10:23 IST)
अमेरिकी राष्ट्रपति ने उम्मीद जताई है कि उनके देश में मंदी नहीं आ रही है। हालांकि सर्वेक्षण अलग बात कहते हैं। भारत ही ऐसा देश है जहां, मंदी की संभावना शून्य बताई गई है।
 
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा है कि अमेरिका में मंदी नहीं आएगी। हालांकि इस हफ्ते जारी होने वाले जीडीपी के आंकड़ों को लेकर देश में चिंताएं हैं क्योंकि ऐसी आशंका जताई जा रही है कि अर्थव्यवस्था सिकुड़ सकती है। फिर भी, रोजगार के मजबूत आंकड़ों का हवाला देते हुए बाइडेन ने मीडिया से बातचीत में कहा, "मेरे विचार से हम मंदी में नहीं जा रहे हैं।”
 
अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि वह उम्मीद कर रहे हैं कि अर्थव्यवस्था में थोड़ी कमजोरी होगी जहां से देश "तेज वृद्धि से स्थिर वृद्धि की ओर जाएगा।” पिछले हफ्ते ही ब्लूमबर्ग ने कहा था कि अमेरिका में मंदी आने की संभावना 50 फीसदी तक है।
 
ब्लूमबर्ग ने कहा था कि एशिया के मंदी में जाने की संभावना 20-25 प्रतिशत है जबकि अमेरिका के लिए यह 40 और यूरोप के लिए 50-55 फीसदी तक है। कुछ महीने पहले तक अमेरिका में मंदी आने की संभावना शून्य प्रतिशत थी जिसे इस महीने की शुरुआत में अर्थशास्त्रियों ने बढ़ाकर 38 कर दिया था और कहा था कि ऐसा 12 महीने के भीतर हो सकता है।
 
लेकिन कई अमेरिकी नेताओं ने इन आशंकाओं को ज्यादा भाव नहीं देते हुए कहा है कि दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के मंदी में जाने की संभावना नहीं है क्योंकि रोजगार का बाजार बहुत मजबूत है। अमेरिका के लिए पहले तीन महीनों के जीडीपी आंकड़े भी अच्छे नहीं रहे थे जबकि अर्थव्यवस्था में 1।6 फीसदी की गिरावट दर्ज हुई थी। यह गिरावट अनुमान से भी ज्यादा थी। 2020 में महामारी के बाद से यह अमेरिका की सबसे बड़ी गिरावट थी।
 
एशिया में कई देश खतरे में
खाद्य संकट, बढ़ती महंगाई और केंद्रीय बैंकों द्वारा बढ़ाई जा रही ब्याज दरों के नतीजतन एशिया के कई देश मंदी के खतरे से जूझ रहे हैं लेकिन भारत में संभावना शून्य है। ब्लूमबर्ग वेबसाइट के लिए अर्थशास्त्रियों के बीच हुए एक सर्वेक्षण में यह बात कही गई।
 
सर्वेक्षण कहता है कि अपने सबसे बुरे आर्थिक संकट से जूझ रहे श्रीलंका के लिए मंदी की गर्त में जा गिरने की संभावना 85 प्रतिशत हो गई है और अगले साल ऐसा हो सकता है। पिछले सर्वे में यह संभावना 33 प्रतिशत थी और किसी एक देश की संभावनाओं की यह सबसे बड़ी वृद्धि है।
 
अर्थशास्त्रियों ने न्यूजीलैंड, ताइवान, ऑस्ट्रेलिया और फिलीपींस की मंदी में चले जाने की संभावनाएं भी बढ़ा दी हैं। इनमें न्यूजीलैंड के लिए खतरा सबसे ज्यादा है जिसके यहां मंदी आने की संभावना 33 प्रतिशत जताई गई है। ऑस्ट्रेलिया और ताइवान में 20-20 प्रतिशत और फिलीपींस में आठ प्रतिशत संभावना है। इन देशों में भी मुद्रा स्फीति को काबू करने के लिए केंद्रीय बैंक लगातार ब्याज दरें बढ़ा रहे हैं।
 
भारत में संभावना शून्य
कई देशों की मंदी में जाने की संभावनाओं में अर्थशास्त्रियों ने कोई बदलाव नहीं किया है। मसलन चीन के लिए यह 20 प्रतिशत है तो दक्षिण कोरिया व जापान के लिए 25 प्रतिशत। मूडीज अनैलिटिक्स इंक के एशिया-प्रशांत क्षेत्र के लिए मुख्य अर्थशास्त्री स्टीवन कोचरेन कहते हैं कि जर्मनी और फ्रांस जैसे यूरोपीय देशों को महंगाई का झटका सबसे तगड़ा लगा है और इसका असर पूरे इलाके पर हो सकता है।
 
ब्लूमबर्ग के इस सर्वेक्षण का आधार हाउसिंग परमिट और उपभोक्ता सर्वे डेटा से लेकर खजाने में दस साल और तीन महीने के बीच हुई वृद्धि जैसे मानक हैं।
 
इन मानकों पर तौला जाए तो एशिया में एक भारत ही ऐसा देश है जिसके यहां मंदी आने की संभावना शून्य है। पाकिस्तान (20), मलयेशिया (13), वियतनाम (10), थाईलैंड (10) और इंडोनेशिया (3) भी इस सूची में हैं।
 
रिपोर्टः विवेक कुमार (एएफपी)

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

भारत और रूस यूक्रेन के कारण थमे नहीं पर फ़ायदा किसका