पॉडकास्ट यानी इंटरनेट के जरिए ऑडियो या वीडियो फाइल का प्रसारण। यह माध्यम अब महिलाओं के बीच मशहूर हो रहा है। मीटू अभियान हो या सामाजिक वर्जना, इस माध्यम के जरिए महिलाएं अपनी आवाजें उठा रही हैं।
आज एक भारतीय महिला सामाजिक वर्जनाओं व मेनोपॉ़ज के बारे में चर्चा रही है। एक युवती प्लस-साइज की औरतों और उनकी डेटिंग पर बात कर रही है। यही नहीं, मुस्लिम महिलाओं और उनसे जुड़े राजनीतिक व सांस्कृतिक मुद्दों पर भी आवाज उठाई जा रही है। यह सब संभव हुआ है पॉडकास्ट के जरिए। पॉडकास्ट इंटरनेट पर प्रसारित ऑडियो या वीडियो फाइल है, जिसे इंटरनेट पर सब्सक्राइब किया जाता है।
महिलाओं को चाहिए स्पेस
रॉयटर्स इंस्टीट्यूट फॉर द स्टडी ऑफ जर्नलिज्म के सर्वे के मुताबिक करीब एक तिहाई लोग महीने में एक बार पॉ़डकास्ट सुनते हैं। इनमें से ज्यादातर आवाजें श्वेत पुरुषों की होती हैं। न्यूयॉर्क में स्थित पॉडकास्ट क्रिएटर एवं डिस्ट्रीब्यूटर डब्ल्यूएनवाईसी के मुताबिक 2017 में ऐपल पॉ़डकास्ट चार्ट के टॉप 100 पॉडकास्ट में से करीब एक तिहाई का संचालन महिलाओं ने किया है।
मीटू अभियान के बढ़ने के बाद महिलाएं यौन उत्पीड़न और लिंगभेद के मुद्दों पर आवाज उठा रही हैं।डब्ल्यूएनवाईसी में महिलाओं की आवाज उठाने वाले 'वर्क इट' अभियान की आयोजक जेनिफर सेन्ड्रो बताती हैं कि महिलाओं की कमी से पॉडकास्ट पर कहानियों में विभिन्नता कम दिखाई देती है। उनके मुताबिक, ''लिंगभेद से हर किसी को तकलीफ पहुंचती है। यह पॉडकास्टिंग को कम रोचक बनाती है। इससे न सिर्फ पॉडकास्टिंग करने वाले बल्कि सुनने वालों की रुचि भी कम हो जाती है।'' वह कहती हैं कि हम चाहते हैं कि महिलाओं को सुना जाए और महिलाओं की कहानियां सुनाई जाएं।
महिला श्रोताओं की संख्या बढ़ी
टेक कंपनी गूगल और ऑडियो कंपनी स्पॉटिफाई महिलाओं की पॉडकास्टिंग को प्रोत्साहित करने के लिए सिडनी, न्यूयॉर्क और लंदन जैसे शहरों में पॉडकास्ट के बूटकैंप लगाने पर काम कर रही हैं। ब्रिटेन में स्पॉटिफाई की पॉडकास्ट पार्टनर की हेड अलेक्सैंद्रा एडे कहती हैं कि मीडिया कंपनियों की जिम्मेदारी है कि आवाजों को मंच देकर प्रोत्साहित किया जाए। वह मानती हैं कि आमतौर पर मीडिया और पॉडकास्टिंग में पुरुषों का वर्चस्व है।
पॉडकास्टिंग एक उभरता हुआ बाजार है। ऑडियो कंटेंट की बड़ी वितरक कंपनियों में से एक वेस्टवुड वन के मुताबिक एक साल के अंदर अकेले अमेरिका में महिला पॉडकास्टरों की संख्या में एक तिहाई की बढ़ोतरी हुई है। पुरुष श्रोताओं की संख्या अधिक है, लेकिन हर हफ्ते पॉडकास्ट सुनने में महिलाओं में छह गुणा की वृद्धि देखी गई है।
...इन्होंने तोड़ीं बेड़ियां
भारतीय महिला संगीता पिल्लई एक पारंपरिक परिवार से आती हैं। वह अपने महिला होने के अनुभवों को बताना चाहती थीं। कामुकता जैसी वर्जनाओं पर बात करने के लिए उन्होंने अपना पॉडकास्ट शुरू किया।
''मसाला पॉडकास्ट'' की 46 वर्षीय होस्ट संगीता कहती हैं, ''मैंने अपनी आवाज उठाने के लिए लगातार संघर्ष किया। अब उम्र के 40वें पड़ाव पर मुझे लगता है कि मैं इन मुद्दों पर पूरे आत्मविश्वास से बात कर सकती हूं, जो पहले नहीं कह पाती थी।'' स्पॉटिफाई के लंदन बूटकैंप के लिए संगीता पिल्लई का चयन हुआ है। वह बताती हैं, ''पॉडकास्ट एक ऐसा माध्यम है, जहां आप यह भूल सकते हैं कि माइक्रोफोन लगा है। यह आपको वास्तविक और अंतरंग बातचीत को करने की इजाजत देता है।''
एक अन्य महिला पॉडकास्टर जैसमीन डारको की कहानी भी दिलचस्प है। 23 वर्षीय डारको ने कभी ऑडियो रिकॉर्डर का इस्तेमाल नहीं किया था। लेकिन एक दिन उन्होंने प्लस-साइज की महिलाओं के लिए 'द फुलनेस' नामक पॉडकास्ट सीरिज शुरू कर दिया। वह कहती हैं, ''पॉडकास्ट बंधनों को तोड़ देता है। यह काफी आजादी देता है और इसमें कैमरे के सामवे खड़े होकर बोलने का दबाव भी नहीं है।''
पूरी दुनिया को कही अपनी बात
मुस्लिम महिलाओं और राजनीति पर बात कहने वाली तंजिला अहमद मानती हैं कि महिलाओं को ऊंचे और निर्णय लेने से जुड़े पद मिलने चाहिए। 2015 से "#GoodMuslimBadMuslim" की संचालिका तंजिला पॉडकास्ट के जरिए राजनीतिक और सांस्कृतिक मुद्दों को उठा रही हैं। वह कहती हैं, ''इन नेटवर्कों को चलाने वाली कंपनियों के मालिक पुरुष हैं। मुझे खुशी होगी जब महिलाएं न सिर्फ अपनी बात पॉडकास्ट के जरिए कहे बल्कि उन कंपनियों की मालिक भी बने, जो पॉडकास्ट को बढ़ावा देती हैं।''
यूनेस्को और इंटरनेशनल विमिन मीडिया फाउंडेशन के अध्ययन के मुताबिक पूरी दुनिया में मीडिया कंपनियों के सीनियर पदों के दो तिहाई हिस्से पर पुरुषों का कब्जा है। पॉडकास्टर व ऑस्ट्रेलियाई ब्रॉ़डकास्टिंग कॉरपोरेशन के रेडियो होस्ट बेवेर्ले वांग कहते हैं, ''हमें अभी देखना है कि कौन सी संस्था पॉडकास्टिंग के लिए काम कर रही है। अभी शुरुआती चरण है।'' वांग कहते हैं कि पारंपरिक मीडिया से उलट पॉडकास्टिंग को लेकर नियम अभी बनने है। यह बेहद लोकतांत्रिक माध्यम है। अगर आपके पास विचार और आवाज है तो आप इंटरनेट के जरिए पूरी दुनिया को अपनी बात कह सकते हैं।