जब प्लास्टिक लोगों की जिंदगियों का हिस्सा बना, तो सिर्फ उसके फायदों पर ही सबका ध्यान गया, इस पर नहीं कि यह कमाल का आविष्कार भविष्य के लिए कितना खतरनाक साबित हो सकता है। अब प्लास्टिक को अलविदा कहने का वक्त आ गया है।
दीवानगी छोड़िए
प्लास्टिक को अपनी जिंदगी से निकालने में सबसे अहम कदम तो यही है कि इसकी दीवानगी को छोड़ा जाए। प्लास्टिक की जगह कपड़े के थैले का इस्तेमाल किया जा सकता है। इन जनाब की तरह प्लास्टिक की स्ट्रॉ को मुंह में फंसाने की शर्त लगाने की जगह कुछ बेहतर भी सोचा जा सकता है। मैर्को हॉर्ट ने 259 स्ट्रॉ को मुंह में रखने का रिकॉर्ड बनाया था।
खा जाओ
यूरोपीय संघ सिंगल यूज प्लास्टिक पर रोक लगाने पर विचार कर रहा है। ऐसे में प्लास्टिक की स्ट्रॉ, कप, चम्मच इत्यादि बाजार से गायब हो जाएंगे। इनके विकल्प पहले ही खोजे जा चुके हैं। जैसे कि जर्मनी की कंपनी वाइजफूड ने ऐसे स्ट्रॉ बनाए हैं जिन्हें इस्तेमाल करने के बाद खाया जा सकता है। ये सेब का रस निकालने के बाद बच गए गूदे से तैयार की जाती हैं।
आलू वाला चम्मच
एक दिन में कुल कितने प्लास्टिक के चम्मच और कांटे इस्तेमाल होते हैं, इसके कोई आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं लेकिन इतना जरूर है कि दुनिया भर में कूड़ेदान इनसे भरे रहते हैं। भारत की कंपनी बेकरीज ने ज्वार से छुरी-चम्मच बनाए हैं। स्ट्रॉ की तरह इन्हें भी आप खा सकते हैं। ऐसा ही कुछ अमेरिकी कंपनी स्पड वेयर्स ने भी किया है। इनके चम्मच आलू के स्टार्च से बने हैं।
चोकर वाली प्लेट
जिस थाली में खाएं, उसी को खा भी जाएं! पोलैंड की कंपनी बायोट्रेम ने चोकर से प्लेटें तैयार की हैं। अगर आपका इन्हें खाने का मन ना भी हो, तो कोई बात नहीं। इन प्लेटों को डिकंपोज होने में महज तीस दिन का वक्त लगता है। खाने की दूसरी चीजों की तरह ये भी नष्ट हो जाती हैं। और इन प्लेटों का ना सही तो पत्तल का इस्तेमाल तो कर ही सकते हैं।
कप और ग्लास
अकेले यूरोप में हर साल 500 अरब प्लास्टिक के कप और ग्लास का इस्तेमाल किया जाता है। नए कानून के आने के बाद इन सब पर रोक लग जाएगी। इनके बदले कागज या गत्ते के बने ग्लास का इस्तेमाल किया जा सकता है। जर्मनी की एक कंपनी घास के इस्तेमाल से भी इन्हें बना रही है। तो वहीं बांस से भी ऑर्गेनिक ग्लास बनाए जा रहे हैं।
घोल कर पी जाओ
इंडोनेशिया की एक कंपनी अवनी ने ऐसे थैले तैयार किए हैं जो देखने में बिलकुल प्लास्टिक की पन्नियों जैसे ही नजर आते हैं। लेकिन दरअसल ये कॉर्नस्टार्च से बने हैं। इस्तेमाल के बाद अगर इन्हें इधर उधर कहीं फेंक भी दिया जाए तो भी कोई बात नहीं क्योंकि ये पानी में घुल जाते हैं। कंपनी का दावा है कि इन्हें घोल कर पिया भी जा सकता है।
अपना अपना ग्लास
भाग दौड़ की दुनिया में बैठ कर चाय कॉफी पीने की फुरसत सब लोगों के पास नहीं है। ऐसे में रास्ते में किसी कैफे से कॉफी का ग्लास उठाया, जब खत्म हुई तो कहीं फेंक दिया। इसे रोका जाए, इसके लिए बर्लिन में ऐसा प्रोजेक्ट चलाया जा रह है जिसके तहत लोग एक कैफे से ग्लास लें और जब चाहें अपनी सहूलियत के अनुसार किसी दूसरे कैफे में उसे लौटा दें।
क्या जरूरत है?
ये छोटे से ईयर बड समुद्र में पहुंच कर जीवों को भारी नुकसान पहुंचाते हैं। समुद्री जीव इसे खाना समझ कर खा जाते हैं। यूरोपीय संघ इन पर भी रोक लगाने के बारे में सोच रहा है। इन्हें बांस या कागज से बनाने पर भी विचार चल रहा है। लेकिन पर्यावरणविद पूछते हैं कि इनकी जरूरत ही क्या है। लोग नहाने के बाद अपना तौलिया भी तो इस्तेमाल कर सकते हैं।