Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

प्रवासी मजदूरों की वजह से बढ़ रही है यूपी में संक्रमण की रफ्तार

हमें फॉलो करें प्रवासी मजदूरों की वजह से बढ़ रही है यूपी में संक्रमण की रफ्तार
, सोमवार, 25 मई 2020 (09:00 IST)
रिपोर्ट : समीरात्मज मिश्र
 
प्रवासी मजदूरों की वापसी को लेकर एक ओर राजनीतिक दलों में रार चल रही है तो दूसरी ओर इनके पहुंचने की बढ़ती दर के साथ अब शहरों के अलावा ग्रामीण इलाकों में भी कोविड संक्रमण की रफ्तार तेजी से बढ़ने लगी है।
 
उत्तरप्रदेश के कई जिले जहां अब तक कोरोना संक्रमित लोगों की संख्या इकाई में थी, वहां अब एक दिन में ही दर्जनों लोग पॉजिटिव मिल रहे हैं, वहीं बिहार में संक्रमित लोगों में करीब 46 फीसदी लोग प्रवासी बताए जा रहे हैं। उत्तरप्रदेश में कोरोना संक्रमित लोगों की संख्या 5,000 को पार कर गई है। राज्य सरकार के मुताबिक श्रमिक स्पेशल ट्रेनों और बसों से अब तक 20 लाख लोग अपने घरों को वापस लाए जा चुके हैं।
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक दूसरे राज्यों से आए अब तक 1,041 लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं, जो कि राज्य में कुल कोरोना संक्रमित मरीजों का करीब एक चौथाई है। यह स्थिति तब है जबकि बड़ी संख्या में अभी लोग लौट रहे हैं और जो लौटे भी हैं उनमें से ज्यादातर अभी क्वारंटाइन में हैं और कोविड टेस्ट बहुत कम संख्या में हुए हैं।
 
यहां सबसे ज्यादा चिंता की बात यह है कि तमाम छोटे शहरों में जहां अब तक संक्रमण की रफ्तार बेहद कम थी, वहां हर दिन ज्यादा संख्या में लोग पॉजिटिव मिल रहे हैं। मसलन बस्ती में पिछले दिनों 1 ही दिन में 50 लोगों की रिपोर्ट पॉजिटिव आई। इसके अलावा आजमगढ़, जौनपुर, संभल, बहराइच, बाराबंकी जैसे जिलों में भी संक्रमित लोगों की संख्या में खासी बढ़ोतरी हुई है।
राजधानी लखनऊ से लगे बाराबंकी जिले में संक्रमित लोगों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। बाराबंकी के जिलाधिकारी आदर्श सिंह के मुताबिक 15 और 16 मई को 245 लोगों के नमूने लिए गए थे जिनमें 95 लोगों की रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। इनमें करीब 50 लोग दूसरे राज्यों से आए हैं।
webdunia
खुद पहुंचे अपने गांवों में
 
बताया जा रहा है कि श्रमिक ट्रेनों, सरकारी बसों और अन्य वैध साधनों से आने वालों की संख्या से कहीं ज्यादा ऐसे लोग हैं, जो विभिन्न तरीकों से अपने आप ही अन्य राज्यों से चले आए। इनमें से कुछ तो क्वारंटाइन सेंटरों में गए लेकिन बहुत से लोग ऐसे हैं, जो सीधे तौर पर अपने घरों और गांवों में पहुंच गए।
 
जाहिर है, इनका न तो कहीं परीक्षण हुआ और न ही कहीं इन्हें अलग रखा गया। यदि ऐसे लोगों में संक्रमण हुआ तो निश्चित तौर पर यह संक्रमण अन्य लोगों तक भी आसानी से पहुंच जाएगा। आने वाले ज्यादातर प्रवासी मुंबई, दिल्ली और गुजरात से हैं, जहां संक्रमण की स्थिति देश में सबसे खराब है।
 
यूपी और बिहार दोनों ही जगहों पर अभी मजदूरों के आने का सिलसिला जारी है। बिहार में 8 राज्यों से अगले एक हफ्ते के दौरान करीब 500 ट्रेनों के कार्यक्रम बनाए गए हैं जिनसे 8 लाख लोगों के आने की संभावना है। राज्य सरकार के नोडल अधिकारी के मुताबिक रेलवे स्टेशनों से ही बसों के माध्यम से विभिन्न जिलों के मुख्यालयों तक लोगों को भेजा जा रहा है, जहां से उन्हें प्रखंड स्तर पर बने क्वारंटाइन सेंटरों पर भेजा जाएगा।
 
बिहार में स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के मुताबिक राज्य में कोरोना संक्रमित लोगों की संख्या 1,600 को पार कर गई है। पिछले 4 दिनों में बिहार में 400 से ज्यादा पॉजिटिव मामले सामने आए। स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव संजय कुमार के मुताबिक अन्य राज्यों से विशेष ट्रेनों से आए प्रवासी मजदूरों में से 8,337 नमूनों की जांच की गई है जिसमें 651 लोग पॉजिटिव पाए गए हैं।
webdunia
क्वारंटाइन सेंटरों की हालत खराब
 
प्रवासी मजदूरों को क्वारंटाइन करने में न सिर्फ शासन-प्रशासन की लापरवाही सामने आ रही है बल्कि क्वारंटाइन सेंटरों की स्थिति भी इस तरह की है कि वहां से लोग भाग रहे हैं। यूपी और बिहार के तमाम जगहों से आए दिन क्वारंटाइन सेंटरों से लोगों के भागने या फिर अव्यवस्थाओं को लेकर शिकायतें करने की खबरें आती रहती हैं।
लखनऊ में वरिष्ठ पत्रकार योगेश मिश्र कहते हैं कि इस पूरे मामले में केंद्र और राज्य सरकारों की विफलता दिखती है। बिना किसी तैयारी के लॉकडाउन शुरू किया, फिर लोगों को अपने घरों को जाने की छूट दी गई, फिर सड़कों पर उमड़ी भीड़ देखकर और राजनीति बढ़ती देखकर ट्रेनों की व्यवस्था की गई। लेकिन किसी भी स्तर पर यह ध्यान नहीं रखा गया कि जिस मकसद से लॉकडाउन लागू किया गया है और सोशल डिस्टेंसिंग को प्रचारित किया जा रहा है, ऐसे कदमों से वह कैसे लागू किया जा सकता है?
 
योगेश मिश्र कहते हैं कि ग्रामीण स्तर पर लोग सरकारी स्कूलों में बने क्वारंटाइन सेंटरों में रह जरूर रहे हैं लेकिन किसी तरह का नियमों का पालन नहीं हो रहा है। वहीं कई जगहों पर, खासकर गांवों में यह भी देखने को मिला है कि लोगों ने बागों में ही खुद को अलग-थलग कर रखा है लेकिन दिनभर वहां मजमा लगा रहता है और बड़ी संख्या में लोग वहां इकट्ठा होकर मनोरंजन करते हैं
 
वे कहते हैं कि यही नहीं, ब्लॉक स्तर पर या फिर जिला स्तर पर बने क्वारंटाइन सेंटरों की खराब व्यवस्था भी तमाम लोगों को वहां से भागने पर मजबूर कर रही है। इसके अलावा कई बार लोग क्वारंटाइन सेंटरों को मनोरंजन की जगह भी बना रहे हैं। कहीं नाच-गाना हो रहा है तो कहीं पार्टियां चल रही हैं। हालांकि क्वारंटाइन सेंटरों में किसी तरह के खाने-पीने पर कोई मनाही तो नहीं है लेकिन इन सब वजहों से सोशल डिस्टेंसिंग तो बाधित होती ही है, संक्रमण का खतरा भी बढ़ जाता है।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

आज का इतिहास : भारतीय एवं विश्व इतिहास में 24 मई की प्रमुख घटनाएं