पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान की राजनीतिक मुश्किलें कम नहीं हो रही हैं। विपक्षी दलों ने इमरान को सत्ता से हटाने के लिए अगले महीने राजधानी इस्लामाबाद तक लंबे मार्च की घोषणा की है। रविवार, 13 दिसंबर को लाहौर में हुई इमरान खान के खिलाफ रैली में 10 हजार से अधिक लोग शामिल हुए।
विपक्षी दलों का विरोध प्रदर्शन इमरान खान के खिलाफ जोर पकड़ता जा रहा है। इसी क्रम में रविवार को विपक्षी दलों के गठबंधन ने एक रैली का आयोजन किया और इमरान को सत्ता से बेदखल करने के लिए राजधानी में अगले महीने लंबे मार्च का ऐलान किया है। विपक्ष दलों का आरोप है कि 2018 में इमरान खान की जीत सेना के दखल से हुई।
11 विपक्षी दलों का गठबंधन (पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट) सितंबर महीने से इमरान को सत्ता से हटाने के लिए बड़ी-बड़ी रैलियों का आयोजन करता आ रहा है, साथ ही वह दबाव बना रहा है कि सेना का राजनीति में दखल बंद हो जाए। पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो के बेटे और विपक्षी नेता बिलावल भुट्टो के मुताबिक बातचीत का समय निकल चुका है। अब एक मार्च का आयोजन होगा।
नए चुनावों की घोषणा जब तक नहीं हो जाती, तब तक उन्होंने इमरान या सेना के साथ किसी भी बातचीत की संभावना से इंकार किया है। इमरान कहते आए हैं कि विरोध प्रदर्शन का उद्देश्य उन्हें ब्लैकमेल करना है ताकि विपक्षी नेताओं के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच रोकी जा सके। इमरान खान ने कोरोनावायरस महामारी के दौरान रैली के आयोजन की भी निंदा की है।
ताजा चुनावों की मांग
विपक्ष, जिसने हाल के महीनों में 6 विशाल रैलियां की हैं, का कहना है कि वह सरकार पर ताजा चुनाव कराने का दबाव बना रहा है। पाकिस्तान में अगला आम चुनाव 2023 में होना है। पाकिस्तान में पिछले 24 घंटे में 72 लोगों की जान कोरोनावायरस से गई है और 3,369 नए मामले दर्ज किए गए हैं। यह जून से अब तक का उच्चतम आंकड़ा है। विपक्षी दलों का प्रदर्शन ऐसे समय में हो रहा है, जब देश की अर्थव्यवस्था संघर्ष कर रही है और महंगाई दर रिकॉर्ड ऊंचाई पर है। यही नहीं, विकास दर नेगेटिव हो गई है।
लंदन से वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए रैली को संबोधित करते हुए नवाज शरीफ ने सवाल किया कि हम और किसे जिम्मेदार ठहराएं? पिछले साल मेडिकल बेल लेने के बाद से ही नवाज शरीफ लंदन में रह रहे हैं। 2018 में नवाज शरीफ को भ्रष्टाचार के आरोप में सजा हुई थी।