पहले चीनी और तेल महंगा हुआ, अब प्याज आसमान पर है। भारत में महंगाई से लोगों के जेब पर बन आई है और राहत के आसार नजर नहीं आ रहे हैं। मुंबई के एक बाहरी इलाके में अपने घर के पास वाले छोटे से बाजार से सब्जी खरीद रहीं शुभांगी पाटिल चीजों के दाम सुनकर हैरान हैं। तेल और चीनी से लेकर अब प्याज तक रोजमर्रा की जरूरत की तमाम चीजों की कीमतें आसमान पर हैं।
भारत में प्याज राजनीतिक रूप से संवेदनशील चीज रहा है। इसकी कीमतें पहले भी कई सरकारें गिरा चुकी हैं। पाटिल कहती हैं कि हर जरूरी चीज महंगी हो गई है। पहले तेल और चीनी महंगे हुए। अब प्याज और टमाटर की कीमत 2 हफ्ते में दोगुनी हो गई है। कमाई बढ़ नहीं रही है तो महीने का बजट कोई कैसे संभालेगा?
प्याज का बोझ
ईंधन और खाने के तेल की कीमतों के रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंचने के बाद पाटिल जैसे आम भारतीयों के लिए प्याज का बोझ जेब की जान ले रहा है। हाल ही में भारत के अलग-अलग हिस्सों में हुई भारी बारिश ने न सिर्फ गर्मी की फसल को नुकसान पहुंचाया है बल्कि सर्दी की फसल की बुआई में भी देर करवा दी है।
मुंबई से करीब 325 किलोमीटर दूर धुले जिले के किसान समधन बागुल कहते हैं कि सितंबर में बहुत बारिश हुई तो बीमारी का हमला हुआ और फसल कम हो गई। 1 एकड़ से 5 टन तक फसल लेने वाले बागुल इस साल एक टन फसल की ही उम्मीद कर रहे हैं।
महाराष्ट्र के अलावा मध्यप्रदेश, गुजरात और कर्नाटक सबसे बड़े प्याज उत्पादक राज्य हैं। यहां सितंबर में सामान्य से 268 प्रतिशत ज्यादा बरसात हुई है। फसल को नुकसान पहुंचा तो सप्लाई प्रभावित हुई। इसलिए प्याज के सबसे बड़े होलसेल बाजार महाराष्ट्र के लासलगांव में प्याज की कीमत दोगुनी से भी ज्यादा बढ़कर 1 महीने में 33,400 रुपए प्रति टन पर पहुंच गई। नतीजा यह हुआ कि मुंबई के बाजारों में प्यार 50 रुपए किलो से भी ज्यादा में मिल रहा है।
निर्यात का संकट
विशेषज्ञों का अनुमान है कि त्योहार के मौजूदा दिनों में तो प्याज की कीमतें कम नहीं होने वाली। मुंबई के एक व्यापारी के मुताबिक कम से कम जनवरी तक, जब तक कि नई फसल नहीं आ जाती, प्याज की कीमत उतनी ही बनी रहेगी। भारत प्याज का सबसे बड़ा निर्यातक है लेकिन महंगाई बढ़ने बावजूद सरकार ने निर्यात पर किसी तरह की पाबंदी नहीं लगाई है। व्यापारियों का कहना है कि भारत में बढ़ती कीमतों का असर बांग्लादेश, नेपाल, मलयेशिया और श्रीलंका आदि में भी पड़ेगा।
भारत में बढ़ती कीमतों का नुकसान निर्यातकों को भी हो रहा है। मुंबई स्थित अनियन एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अजित शाह कहते हैं कि आयातक अब तुर्की और मिस्र जैसे दूसरे सप्लायरों के पास जा रहे हैं।
2019 और 2020 में भी प्याज के दाम बहुत बढ़ गए थे। तब सरकार ने कुछ महीनो के लिए निर्यात पर रोक लगा दी थी। इससे श्रीलंका और बांग्लादेश जैसे उसके पड़ोसियों को किल्लत भी झेलनी पड़ी थी। इस साल भी ऐसा ही कदम उठाया जा सकता है। मुंबई स्थित एक प्याज निर्यातक के मुताबिक अगर सरकार को लगा कि दाम बहुत तेजी से और बहुत ज्यादा बढ़ रहे हैं तो निर्यात पर रोक लगाई जा सकती है। सरकार खाद्य पदार्थो की कीमतों को नीचे लाने की कोशिश कर रही है। खाद्य तेलों पर टैक्स घटाने जैसे कदम उठाए गए हैं।