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भारत में सबसे पहले ईस्ट इंडिया कंपनी लाने वाले देश की राजनीतिक व्यवस्था

हमें फॉलो करें भारत में सबसे पहले ईस्ट इंडिया कंपनी लाने वाले देश की राजनीतिक व्यवस्था
, बुधवार, 8 मई 2019 (11:29 IST)
नीदरलैंड्स ने इंडोनेशिया पर लंबे समय तक राज किया। पहले इंडोनेशिया को ईस्ट इंडीज के नाम से जाना जाता था। नीदरलैंड्स का भूगोल भी जानने लायक है।
 
 
नीदरलैंड्स, जर्मनी का पड़ोसी देश जो एक तरफ से पूरा समुद्र से घिरा हुआ है। नीदरलैंड्स के लगभग 40 प्रतिशत जमीनी हिस्से की ऊंचाई समुद्रतल की ऊंचाई के बराबर है। समुद्र का पानी नीदरलैंड्स में ना घुसे इसलिए नीदरलैंड्स के जमीनी हिस्से और समुद्र के बीच लगभग 1,400 किलोमीटर की दीवार बनी हुई है। नीदरलैंड्स भी दुनिया के पुराने संवैधानिक देशों में से है। नीदरलैंड्स में संवैधानिक राजतंत्र है। नीदरलैंड्स में 1815 में संविधान लागू हुआ था लेकिन पहले यहां महिलाओं को वोट देने का अधिकार नहीं था। प्रथम विश्व युद्ध में नीदरलैंड्स ने हिस्सा नहीं लिया था।
 
 
द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान 1940 में जर्मनी ने नीदरलैंड्स पर हमला कर दिया। नीदरलैंड्स ने पांच दिनों में समर्पण कर दिया। नीदरलैंड्स के राजा और सरकार को ब्रिटेन में शरण लेनी पड़ी। 1945 में जर्मन सेनाओं के समर्पण के बाद नीदरलैंड्स फिर से आजाद हो गया। एशिया में भी नीदरलैंड्स का प्रभाव था। इंडोनेशिया नीदरलैंड्स का एक उपनिवेश था। इसे ईस्ट इंडीज के नाम से जाना जाता था। आज भी इंडोनेशिया में बहुत से लोग डच भाषा बोलते हैं। द्वितीय विश्व में जापान ने ईस्ट इंडीज पर कब्जा कर लिया। 1949 में वह इंडोनेशिया के नाम से आजाद हो गया। भारत में सूरत और बंगाल पर अंग्रेजों से पहले डच लोगों ने शासन किया। ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी से पहले डच ईस्ट इंडिया कंपनी का शासन भारत में कई जगह रहा था।
 
 
41,864 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल और 1 करोड़ 75 लाख के लगभग जनसंख्या वाला नीदरलैंड्स यूरोपीय संघ के संस्थापक सदस्यों में से है। 2014 में 26 सदस्य यूरोपीय संघ में भेजने वाला नीदरलैंड्स इस बार 29 सदस्य यूरोपीय संघ में भेजेगा।
 
 
राजनीतिक व्यवस्था
नीदरलैंड्स एक संवैधानिक राजतंत्र है इसलिए यहां देश का प्रमुख एक राजा या रानी और सरकार का प्रमुख प्रधानमंत्री होता है। राजपरिवार का बड़ा बेटा या बेटी राजगद्दी पर बैठता है। साल 2013 में 1890 के बाद पहली बार नीदरलैंड्स के प्रिंस विलियम अलेक्जांडर पुरुष राजा बने हैं। संसदीय व्यवस्था में दो सदन हैं। संसद का नाम स्टेट जनरल है जिसमें दो सदन हैं। उच्च सदन का नाम सीनेट और निचले सदन का नाम हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव है।
 
 
हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव में 150 सदस्य होते हैं। इनका कार्यकाल चार साल का होता है। इन्हें समानुपातिक प्रतिनिधित्व के द्वारा चुना जाता है। जिस पार्टी को चुनाव में जितने प्रतिशत वोट मिलते हैं उसे उतने प्रतिशत सीटें मिल जाती हैं। हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव में बहुमत प्राप्त दल या गठबंधन के नेता को राजा द्वारा प्रधानमंत्री नियुक्त किया जाता है। हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव में पहुंचने के लिए किसी भी पार्टी को कम से कम दो प्रतिशत वोट मिलना जरूरी है। नीदरलैंड्स में पिछले 100 सालों से गठबंधन सरकारें ही बन रही है।
 
 
सीनेट के सदस्यों का कार्यकाल छह साल का होता है। सीनेट के सदस्यों का चुनाव भारत की राज्यसभा की तरह ही होता है। नीदरलैंड्स के राज्य की प्रतिनिधि सभाओं द्वारा सीनेट के सदस्यों के लिए वोटिंग की जाती है। हर राज्य को जनसंख्या के हिसाब से सीनेट में प्रतिनिधित्व मिलता है। पहले सीनेट के सदस्यों का कार्यकाल नौ सालों का होता था।
 
 
प्रमुख राजनीतिक पार्टियां
नीदरलैंड्स की प्रमुख राजनीतिक पार्टियों में मध्यमार्गी पीपुल्स पार्टी फॉर फ्रीडम एंड डेमोक्रेसी, दक्षिणपंथी पार्टी फॉर फ्रीडम, क्रिश्चियन डेमोक्रेसी समर्थक क्रिश्चियन डेमोक्रेटिक अपील, सोशल डेमोक्रेट्स 66, वामपंथी सोशलिस्ट पार्टी और पर्यावरण समर्थक ग्रीन पार्टी शामिल हैं। फिलहाल पीपुल्स पार्टी फॉर फ्रीडम एंड डेमोक्रेसी के नेता मार्क रुटे नीदरलैंड्स के प्रधानमंत्री हैं।
 
 
रिपोर्ट ऋषभ कुमार शर्मा
 

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