भारत में पांच मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आलोचनाओं में घिरे हैं। मानवाधिकार समूहों का कहना है कि सरकार अगले साल आम चुनाव से पहले विरोधियों का मुंह बंद कराना चाहती है।
पुलिस ने मंगलवार को जिन लोगों को गिरफ्तार किया, उनमें वामपंथी कवि वरवरा राव, मानवाधिकार वकील वेरनॉन गोंजालविस, लेखक और वकील अरुण फेरेरा, पत्रकार और कार्यकर्ता गौतम नवलखा और सामाजिक कार्यकर्ता सुधा भारद्वाज शामिल हैं।
पुलिस का कहना है कि इन लोगों को माओवादियों से उनके कथित संबंधों के चलते गिफ्तार किया गया है। कुछ अधिकारी इन लोगों के तार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या की कथित साजिश से भी जोड़ रहे हैं।
बुधवार को इन गिरफ्तारियों पर सवाल उठाने वाली एक याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में भी सुनवाई हुई। अदालत में पांच जजों की बेंच ने पांचों मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को पुलिस हिरासत की बजाय घर पर नजरबंद रखने का आदेश दिया है। अब इस मामले पर अगले हफ्ते सुनवाई होगी
अदालत ने केंद्र सरकार से इन गिरफ्तारियों पर जवाब तलब किया है। जस्टिस डीवाई चंद्रचूण ने कहा, "विरोध लोकतंत्र का सेफ्टी वाल्व है। अगर आप सेफ्टी वाल्व की इजाजत नहीं देंगे तो प्रेशर कुकर फट जाएगा।"
दूसरी तरफ, मानवाधिकार समूहों का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार अगले साल आम चुनाव से पहले सभी विरोधियों का मुंह बंद रखना चाहती है, इसीलिए ये गिरफ्तारियां की गई हैं। छात्र कार्यकर्ता और 'यूनाइटेड अगेंस्ट हेट' नाम के एक सिविल सोसायटी समूह के सदस्य उमर खालिद ने डीडब्ल्यू को बताया कि अधिकारी देश में अभिव्यक्ति को आजादी को रोकने के लिए देशद्रोह से जुड़े कानूनों का इस्तेमाल कर रहे हैं।
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि सरकार अपने विरोधियों को खामोश करने के लिए यह सब कर रही है। उन्होंने ट्वीट कर लिखा कि देश में सिर्फ एक एनजीओ है और उसका नाम है आरएसएस, इसलिए बाकी सभी एनजीओ बंद कर देने चाहिए। उन्होंने सरकार पर तंज करते हुए लिखा कि सभी कार्यकर्ताओं को जेल भेज दो और जो शिकायत करे उसे गोली मार दो।
सामाजिक कार्यकर्ता और बुकर प्राइज विजेता लेखिका अरुंधती राय ने डीडब्ल्यू से कहा, "यह भारतीय संविधान और हमारी आजादियों के खिलाफ सोचा समझा तख्ता पलट है।" उन्होंने इसे सरकार की तरफ से लोगों का ध्यान भटकाने की कोशिश बताते हुए कहा कि यह 'ड्रामा' 2019 के आम चुनाव तक चलेगा।
वहीं कुछ लोगों का कहना है कि मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी राजनीति से प्रेरित है और यह कदम कई सेक्युलर कार्यकर्ताओं की हत्या के सिलसिले में 'सनातन संस्था' नाम के एक हिंदू समूह के सदस्यों की गिरफ्तारी के बाद उठाया गया है।
जाने माने वकील प्रशांत भूषण ने डीडब्ल्यू से कहा कि जिन लोगों को भी गिरफ्तार किया गया है, वे सभी भारत के उन समुदायों के लिए काम कर रहे हैं जो हाशिए पर है। भूषण के मुताबिक इन लोगों की गिरफ्तारियां सरकार के इरादों पर सवाल उठाती हैं। उन्होंने कहा, "यह आपातकाल की स्पष्ट घोषणा है। वे उस हर व्यक्ति की धरपकड़ कर रहे हैं जो मानवाधिकारों पर सरकार से सवाल पूछता है। वे हर उस आवाज को दबा देना चाहते हैं जो उनके खिलाफ उठ रही है।"
एमनेस्टी इंटरनेशनल और ऑक्सफाम जैसी संस्थाओं ने भी इन गिरफ्तारियों की आलोचना की है। उन्होंने अपने एक साझा बयान में कहा है कि सरकार को भय का माहौल बनाने की बजाय लोगों की अभिव्यक्ति, संघ बनाने और शांतिपूर्ण तरीके से एक जगह जुटने की आजादी की रक्षा करनी चाहिए।