राजनीतिक रूप से सब स्वतंत्र हैं किसी भी राजनीतिक दल का समर्थन करने के लिए लेकिन इधर एक नयी बात सामने आई है। बहुत से मुसलमान नेता जो भाजपा से जुड़े या उसके प्रति सहानुभूति रखते हैं वो आगे बढ़-चढ़ कर तमाम हिन्दू धार्मिक अनुष्ठान कर रहे हैं। वो क्या साबित करना चाहते हैं ये विचारणीय है। ऐसे मुस्लिम नेता मंदिर जा रहे हैं, श्लोक पढ़ रहे हैं, गो-दान कर रहे हैं और भाजपा का समर्थन कर रहे हैं। ये सब अपने आप को राष्ट्रवादी भी कहते हैं।