हांगकांग: एक कानून ने बदल दिया शहर का चाल, चरित्र और चेहरा

DW
मंगलवार, 7 दिसंबर 2021 (10:24 IST)
हांगकांग के निवासियों को डर है कि उनके शहर की विशिष्ट पहचान खो रही है क्योंकि चीन आलोचनात्मक विचारों पर नकेल कस रहा है। लोग अपनी बात कहने से बच रहे हैं या फिर अभिव्यक्ति के वैकल्पिक रास्तों की ओर रुख कर रहे हैं।
 
हांगकांग के अधिकारी बीजिंग समर्थित स्थानीय सरकार की आलोचना करने वालीं सार्वजनिक बहसों पर नकेल कसने के लिए नए कानूनों का सहारा ले रहे हैं। यहां के निवासी स्व-सेंसरशिप का सहारा ले रहे हैं और कई लोगों को लगता है कि उनके शहर की प्रगतिशील पहचान स्थाई रूप से खो गई है।
 
नवंबर के अंत में ग्वांगझू में चाइना इंटरनेट मीडिया फोरम 2021 में बोलते हुए, हांगकांग की मुख्य कार्यकारी कैरी लैम ने कहा कि उनकी सरकार ऑनलाइन अभिव्यक्ति पर और नकेल कसने की योजना के साथ आगे बढ़ेगी। उनका कहना था, "इंटरनेट प्रौद्योगिकी के तेजी से विकास के साथ, मौजूदा कानून इंटरनेट पर विभिन्न कदाचारों से प्रभावी ढंग से निपटने में सक्षम नहीं हो सकते हैं। मसलन, अन्य लोगों की व्यक्तिगत जानकारी का दुर्भावनापूर्ण प्रकटीकरण, घृणित और भेदभावपूर्ण टिप्पणी या 'फर्जी समाचार' यानी फेक न्यूज।”
 
लैम ने मई में "फेक न्यूज" विरोधी कानून लाने की संभावना की घोषणा की थी और सरकार ने हाल ही में इस मुद्दे पर कानूनी अध्ययन शुरू किया है। सरकार साइबर हमलों से बचाव के लिए साइबर सुरक्षा कानून का मसौदा तैयार करने में भी व्यस्त है। कानून इंटरनेट प्रदाताओं को महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे के रूप में भी परिभाषित करेगा, जिससे सरकार के लिए ऑनलाइन सामग्री पर अधिक नियंत्रण करना संभव हो जाएगा।
 
लैम का ये भाषणा हांगकांग के द्वारा उस राष्ट्रीय सुरक्षा कानून को अपनाने के 18 महीने बाद आया है जिस कानून को बीजिंग के अधिकारियों ने उन्हें सौंपा था। यह कानून अलगाव, तोड़फोड़, आतंकवाद और विदेशी संगठनों के साथ मिलीभगत जैसे कृत्यों के लिए भारी कानूनी दंड निर्धारित करता है।
 
कानून ने किसी भी लिखित या बोले जाने वाले ऐसे भाषण को भी आपराधिक श्रेणी में डाल दिया है जिसमें हांगकांग के चीन से अलगाव जैसी बात कही गई हो। इस कानून को अपनाने के बाद से ही इसका इस्तेमाल मीडिया आउटलेट्स को बंद करने, लोकतंत्र समर्थक कार्यकर्ताओं पर मुकदमा चलाने और इंटरनेट नियमों को कड़ा करने के लिए किया जा रहा है।
 
‘स्वतंत्र अभिव्यक्ति के लिए विनाशकारी'
स्वतंत्र अभिव्यक्ति की वकालत करने वाले एक अंतरराष्ट्रीय संगठन आर्टिकल 19 में एशिया डिजिटल प्रोग्राम मैनेजर माइकल कास्टर कहते हैं कि सुरक्षा कानून और प्रस्तावित नया कानून बीजिंग में अधिकारियों द्वारा हांगकांग पर अपने अधिकार को आगे बढ़ाने के लिए एक दीर्घकालिक रणनीति का हिस्सा है। उनके मुताबिक कानून इस बात का भी परीक्षण कर रहे हैं कि वे किस सीमा तक और कितनी मजबूती के साथ नागरिक समाज का गला घोंट सकते हैं।
 
डीडब्ल्यू से बातचीत में वह कहते हैं, "हम नहीं जानते कि इन कानूनों में क्या है, लेकिन अगर हम पूरे क्षेत्र में समान कानूनों को देखें तो ये स्वतंत्र अभिव्यक्ति के लिए विनाशकारी हैं।” कास्टर के अनुसार, हाल ही में राष्ट्रीय सुरक्षा कानून का उपयोग विश्वविद्यालयों, संग्रहालयों और यहां तक ​​कि फिल्म निर्माताओं पर अधिक नियंत्रण करने के लिए किया गया है।
 
वह कहते हैं, "यह वास्तव में सार्वजनिक डोमेन से किसी भी चीज को हटाने का एक संपूर्ण प्रयास रहा है जो कि स्वीकृत राजनीतिक वास्तविकता के बाहर एक कहानी का हिस्सा है जिसे बीजिंग द्वारा तैयार किया जा रहा है। मुझे लगता है कि यह निश्चित रूप से एक संकेत है कि आने वाले दिन काले दिन सरीखे हैं।”
 
हांगकांग के रहने वाले 33 वर्षीय जॉन की मानें तो वह पहले से ही इन ‘काले दिनों' में जी रहे हैं। कानून पारित होने के 18 महीनों में शहर की स्थिति कैसे बदल गई है, इस बारे में बात करते हुए उन्होंने ‘अवसादकारी' और ‘निराशाजनक' शब्दों का इस्तेमाल किया। उन्होंने कार्यकर्ताओं पर लगातार मुकदमा चलाने और न्यायिक प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी का हवाला देते हुए कहा कि लोगों का मौजूदा व्यवस्था से विश्वास उठ गया है।
 
गिरफ्तारी और जेल का भय
जॉन कहते हैं, "हालांकि अभी भी ऑनलाइन या सार्वजनिक स्थानों पर महत्वपूर्ण चर्चाएं होती हैं लेकिन इनमें से अधिकतर वार्तालाप बहुत कोडेड यानी कूट भाषा में हो गए हैं। मतलब, लोग उन चीजों को संदर्भित करने के लिए बहुत सूक्ष्म रूपकों का उपयोग करते हैं जिन्हें वे नापसंद करते हैं या जिससे वे असहमत होते हैं।” खुद जॉन निवेदन करते हैं कि उनका नाम सिर्फ इतना ही लिखा जाए क्योंकि पूरा नाम लिखे जाने पर दंडित होने का भय है।
 
कास्टर का मानना ​​​​है कि जॉन जैसे लोग हांगकांग में राजनीति पर बात करने या यहां तक ​​​​कि बात करने से भी डरते हैं और इसका एक कारण यह है कि राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत, यह स्पष्ट नहीं है कि किस तरह के भाषण, कार्यों या अभिव्यक्ति से गिरफ्तारी हो सकती है और किस अपराध में आजीवन कारावास हो सकता है।
 
कास्टर कहते हैं, "कानून के साथ ही यह समस्या है। यह अस्पष्ट और व्यापक है और इसका प्रभावी रूप से ऐसा कुछ भी मतलब हो सकता है जो राज्य चाहता है।” अक्टूबर में प्रकाशित एक रिपोर्ट में हांगकांग में मीडिया और इंटरनेट स्वतंत्रता पर कानून के प्रभाव को लिखते हुए फ्रीडम हाउस ने कहा कि कानून ने ‘हांगकांग को एक सत्तावादी प्रणाली की ओर तेजी से बदल दिया है जिसमें नागरिक अधिकारों के भविष्य के संदर्भ में गंभीर निहितार्थ हैं।'
 
रिपोर्ट में इस बात पर भी जोर दिया गया है कि हांगकांग में स्वतंत्रता का क्षरण हुआ है, फिर भी इस क्षेत्र को चीन की मुख्य भूमि के किसी भी शहर की तुलना में अधिक स्वतंत्रता प्राप्त है क्योंकि यहां कुछ स्वतंत्र मीडिया आउटलेट हैं और एक खुला इंटरनेट भी है जहां कुछ साइटें जरूर अवरुद्ध हैं। चीन की मुख्य भूमि के विपरीत, रिपोर्ट में कहा गया है, "फेसबुक, ट्विटर और अन्य अंतरराष्ट्रीय वेबसाइटों तक हांगकांग में न केवल पहुंचा जा सकता है बल्कि वे अभी भी यहां उपयोग किए जाने वाले कुछ प्रमुख प्लेटफॉर्म हैं।”
 
हांगकांग के लिए बदल रही पहचान
जॉन ने प्रत्यक्ष रूप से देखा है कि कैसे इन कानूनों ने शहर के चरित्र को बदल दिया है, क्योंकि व्हाट्सएप या सार्वजनिक स्थानों पर इन्क्रिप्टेड मेसेजिंग ऐप पर सेल्फ-सेंसरशिप जरूरत बन जाती है। यहां के कई निवासियों को लगता है कि कला, फिल्मों, उपन्यासों, अकादमिक बहस और राजनीतिक संवाद के रूप में महत्वपूर्ण भाषण जैसी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता इस शहर के 75 लाख लोगों की पहचान को परिभाषित करते थे।
 
जॉन कहते हैं, "बहुत से लोग मानते हैं कि हांगकांग अब महज एक और चीनी शहर बनने की राह पर है और वह विशिष्ट पहचान जो कभी हांगकांग को चीन के बाकी हिस्सों से अलग करती थी, अब मिट गई है।” रेबेका एक अन्य स्थानीय निवासी हैं जो अपने शहर के परिवर्तन पर शोक व्यक्त करती हैं। वह युवा हैं और अभी उनकी उम्र बीस साल के आस पास है। वह खुद को लोकतंत्र समर्थक समुदाय का हिस्सा मानती हैं।
 
इन दिनों जब वह अपने शहर की सड़कों पर चलती हैं तो वह इस बात से दुखी होती हैं कि सब कुछ एक जैसा और साफ-सुथरा कैसे दिखता है और कैसे सड़कों पर तेजी से सरकारी विज्ञापनों द्वारा हांगकांग को ‘एशिया का विश्व शहर' कहा जाता है। डीडब्ल्यू से बातचीत में वह कहती हैं, "इन सबके जरिए सरकार हमें यह समझाने की कोशिश कर रही है कि हांगकांग में सब कुछ अभी भी वैसा ही है और हम अभी भी एशिया के 'विश्व शहर' हैं।”
 
बातचीत के दौरान रेबेका भी अपना सिर्फ पहला नाम ही छापने का अनुरोध करती हैं। इसकी वजह वह कुछ इस तरह बताती हैं, "हांगकांग में निराशा का कारण यह है कि हर कोई जानता है कि सब कुछ बदल गया है।”

खतरे के बावजूद, रेबेका ने जोर देकर कहा कि आलोचनात्मक बहसें अभी भी हो रही हैं, लेकिन इन बहसों ने नए रूप ले लिए हैं जो उतनी खुलकर नहीं होती हैं। रेबेका ने खुद हाल ही में एक थिएटर प्रोडक्शन में भाग लिया था जिसमें हांगकांग पर हमला करने वाले एक प्रेत को दिखाया गया था। वह कहती हैं, "लोग उसे देखकर हंस पड़े। यह एक काल्पनिक कहानी है, लेकिन यह हांगकांग के बारे में है।”
 
रिपोर्टः ओले टैंगन

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