Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

भारत के सामने महंगाई और आर्थिक सुस्ती 2 बड़ी चुनौतियां

हमें फॉलो करें भारत के सामने महंगाई और आर्थिक सुस्ती 2 बड़ी चुनौतियां
, बुधवार, 15 जनवरी 2020 (08:26 IST)
प्याज और टमाटर समेत कई सब्जियों की बढ़ती कीमतों के कारण दिसंबर में खुदरा महंगाई दर 7.35 फीसदी दर्ज की गई। यह रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के अनुमान से कहीं ज्यादा है। महंगाई दर का असर आम बजट पर भी दिख सकता है।
webdunia
दिसंबर 2019 में देश में खुदरा महंगाई की दर 7.35 फीसदी रही, जो पिछले 5 सालों का सबसे ऊंचा स्तर है। यह न सिर्फ भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की तरफ से तय 6 फीसदी के मध्यावधि लक्ष्य से ज्यादा है, बल्कि इससे कर्ज पर ब्याज दरों में कटौती का दौर भी थम सकता है। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) की तरफ से जारी आंकड़ों के मुताबिक महंगाई जिन कारणों से 1 दशक पहले बढ़ती थी, वही वजहें अब भी महंगाई बढ़ा रही हैं।
 
एनएसओ के आंकड़ों के मुताबिक खुदरा महंगाई दर के 7.35 फीसदी पहुंचने के लिए मुख्य तौर पर सब्जियों की कीमतें जिम्मेदार रही हैं जिनमें महंगाई की दर 60.50 फीसदी रही है। नवंबर में खुदरा महंगाई दर 5.54 फीसदी थी जबकि दिसंबर 2018 में सिर्फ 2.11 फीसदी थी।
 
अर्थशास्त्रियों का कहना है कि इस समस्या पर सरकार को बजट में ध्यान देना होगा ताकि खाद्य महंगाई काबू में आ सके। अर्थशास्त्रियों के मुताबिक केंद्र सरकार के सामने 2 मुख्य चुनौतियां हैं- पहला, बढ़ती कीमतों को काबू करना और दूसरा, आर्थिक विकास दर में तेजी लाना।
 
आर्थिक मामलों के जानकार वीरेंद्र सिंह घुनावत के मुताबिक सरकार के लिए ये दोनों काफी बड़ी चुनौतियां होंगी जिससे निपटना उसके लिए आसान नहीं होगा। सच्चाई यह भी है कि अब तक सरकार ने महंगाई और आर्थिक सुस्ती को गंभीरता से लिया ही नहीं। महंगाई आज इस कदर बढ़ गई है कि जिन गांवों में अनाज और सब्जियां पैदा होती हैं, उन्हीं गांवों के किसानों को आज खाद्य सामग्री खुदरा कीमत पर खरीदकर खाना पड़ रहा है।
घुनावत कहते हैं कि शहरों के आम इंसान की बात तो छोड़िए, एक ग्रामीण कैसे 70 रुपए प्रति किलो सब्जी खरीद सकता है? ईरान और अमेरिका के बीच तनाव के कारण कच्चा तेल अलग से महंगा हो रहा है, जो आने वाले दिनों में चिंता और बढ़ा सकता है। एक निजी बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री अभीक बरुआ के मुताबिक आर्थिक विकास को आगे बढ़ाने के लिए केंद्रीय बजट में कदम उठाने के लिए नीति निर्माताओं पर दबाव बढ़ गया है।
 
वहीं घुनावत ने बताया कि महंगाई और बजट का सीधा रिश्ता नहीं है, क्योंकि बजट वार्षिक हिसाब-किताब होता है। उनके मुताबिक सीधे तौर पर बजट से ज्यादा आरबीआई के हाथों में होगा महंगाई को काबू में लाने के उपाय तलाशना, साथ ही वित्तमंत्री की जिम्मेदारी होगी कि बजट में ऐसे क्षेत्र में फंडिंग बढ़ाएं, जहां विकास और क्रय बढ़ने की संभावना ज्यादा हो। उदाहरण के तौर पर निर्माण, रियल एस्टेट, उत्पादन आदि।
webdunia
सरकार की चिंताएं
 
खुदरा महंगाई दर के आंकड़ों के मुताबिक अन्य जरूरी खाद्य सामग्री की कीमतों में भी तेजी बनी हुई है जिनमें दाल, मांस-मछली व अंडे शामिल हैं। अर्थशास्त्रियों का मानना है कि खुदरा महंगाई दर के आंकड़ों में तेजी का सीधा असर 6 फरवरी को आरबीआई की मौद्रिक नीति की अंतिम समीक्षा में दिखाई दे सकता है। दिसंबर में भी मौद्रिक नीति समीक्षा समिति ने महंगाई के बढ़ने की आशंका के चलते ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया था।
 
आरबीआई के सामने विकास दर और ब्याज दरों के बीच संतुलन बनाने का बेहद चुनौतीपूर्ण काम है। अर्थव्यवस्था कमजोर होती है तो उसका असर हर क्षेत्र में दिखाई पड़ता है। कृषि और उद्योग पहले से ही संकट से गुजर रहे हैं और ऊपर से रोजगार के क्षेत्र से भी खबरें अच्छी नहीं आ रही हैं। देश में रोजगार के अवसर कम पैदा हो रहे हैं जिसके कारण 2017-18 में बेरोजगारी दर 45 साल के सबसे ऊंचे स्तर पर थी।
 
बढ़ती महंगाई और अर्थव्यवस्था में सुस्ती से विपक्ष को सरकार पर हमले करने के नए मौके मिल गए हैं। विपक्षी पार्टियां पहले से ही सरकार पर अर्थव्यवस्था को सही तरीके से नहीं संभाल पाने का आरोप लगाती आई हैं। भारत की अर्थव्यवस्था की विकास दर 6 साल में सबसे निचले स्तर पर यानी 4.5 फीसदी पर है।
 
घुनावत कहते हैं कि आर्थिक सुस्ती के बारे में सरकार के मंत्री पहले हर अर्थशास्त्री को गलत साबित करने में लगे थे, लेकिन अब सरकार भी मान रही है कि आर्थिक सुस्ती है। अर्थव्यवस्था में पैसा अटका पड़ा है, खपत बढ़ नहीं रही है और नए निवेश नहीं आ रहे हैं। अर्थव्यवस्था को सही रास्ते पर लाना सरकार के लिए भारी चुनौती है और इसमें काफी वक्त लगेगा।
 
रिपोर्ट आमिर अंसारी

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

जॉर्डन के राजा ने जताई इस्लामिक स्टेट के उदय की आशंका