सबसे बड़ी गरीब आबादी वाले देश भारत में गरीब तेजी से कम हो रहे हैं. हर मिनट 44 भारतीय अत्यंत गरीब की श्रेणी से निकल रहे हैं, जो सबसे तेज रफ्तार है। अब सबसे बड़ी गरीब आबादी वाला देश नाइजीरिया बन गया है।
पिछले साल सितंबर में बिल गेट्स एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन ने अपनी सालाना गोलकीपर रिपोर्ट जारी की थी जिसमें गरीबी को हटाने के लिए किए गए असाधारण उपायों का जिक्र था। हालांकि रिपोर्ट में कहा गया था कि लक्ष्य को हासिल करना आसान नहीं होगा। एक नई स्टडी बताती है कि लक्ष्य की तरफ कदम बढ़ रहे हैं।
1.9 अमेरिकी डॉलर प्रतिदिन से कम आय वालों को गरीब बताते हुए ब्रुकिंग्स ब्लॉग की स्टडी ने दावा किया है कि 2022 तक भारत में गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन करने वाले कुल लोग आबादी के 3 फीसदी हो जाएंगे और 2030 तक अत्यंत गरीब श्रेणी खत्म हो जाएगी।
ब्रुकिंग्स के फ्यूचर डिवेलपमेंट ब्लॉग के मुताबिक, मई 2018 तक भारत में 7.3 करोड़ और नाइजीरिया में 8.7 करोड़ लोग अत्यंत गरीबी वाली श्रेणी में होंगे। जहां नाइजीरिया में अत्यंत गरीबों की संख्या प्रति मिनट 6 की रफ्तार से बढ़ रही है वहीं, भारत में तेजी से गरीबों की तादाद कम हो रही है। अगर ऐसा ही रहा तो शायद 2018 के अंत तक भारत गरीब देशों की श्रेणी में तीसरे नंबर पर आ जाए और डीआरसी कांगो दूसरे नंबर पर रहे।
नई आर्थिक नीतियों का असर
वर्ल्ड बैंक के मुताबिक, 2004 से 2011 के बीच भारत में गरीबी में 38.9 फीसदी की गिरावट आई। नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ पब्लिक फाइनेंस एंड पॉलिसी में प्रोफेसर एनआर भानुमूर्ति इस बदलाव के लिए 1991 की नई आर्थिक नीतियों को श्रेय देते हैं। वह कहते हैं कि इससे देश में प्रगति दिखाई दी और गरीबी में कमी आई। अगला लक्ष्य सतत आर्थिक विकास को हासिल करना होगा जिससे आने वाला कल सुरक्षित रहे।
हालांकि 2030 तक अत्यंत गरीबी के खात्मे के लिए हर साल 7-8 फीसदी आर्थिक विकास की जरूरत होगी। संयुक्त राष्ट्र संघ के कार्यक्रम, सतत विकास लक्ष्य यानी सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल के तहत वर्ष 2030 तक दुनिया से गरीबी मिटाने का लक्ष्य रखा गया है।
हर मिनट 70 लोग गरीबी से आजाद
ब्रुकिंग्स की स्टडी बताती है कि दक्षिण एशिया, पूर्वी एशिया और पैसिफिक क्षेत्र में गरीबी के कम होने का असर भारत, इंडोनेशिया, बांग्लादेश, फिलीपींस, चीन और पाकिस्तान में दिखा है।
चीन और भारत तेजी से उभरते हुए देश हैं जिनकी गरीबी को कम करने में सबसे बड़ी भूमिका है। वहीं, अफ्रीकी महाद्वीप में दुनिया के दो तिहाई गरीब रहते हैं। दुनिया के 18 गरीब देशों में से 14 अकेले अफ्रीका के हैं जहां गरीबी तेजी से बढ़ रही है। ब्लॉग के मुताबिक, एक सितंबर 2017 तक दुनिया में 64.7 करोड़ लोग अत्यंत गरीब हैं।
राहत की बात है कि दुनियाभर में हर मिनट 70 लोग गरीबी के चंगुल के बाहर निकल रहे हैं जो सतत विकास लक्ष्य (प्रति मिनट 92 लोग या प्रति सेकंड 1.5 लोग) के करीब है।
रिपोर्ट विनम्रता चतुर्वेदी