Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

भारत जापान रिश्ते की पांच अहम बातें

हमें फॉलो करें भारत जापान रिश्ते की पांच अहम बातें
, गुरुवार, 14 सितम्बर 2017 (12:53 IST)
भारत और जापान के रिश्तों मे आयी गर्मजोशी और संजीदगी एशिया प्रशांत की राजनीति को बदलने की क्षमता रखती है। इस संदर्भ में आबे की भारत यात्रा 5 कारणों से महत्वपूर्ण है।
 
जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे बुधवार से भारत की यात्रा पर हैं। मई 2014 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सत्ता संभालने के बाद से आबे की भारत-जापान शिखर सम्मेलन के लिए यह चौथी भारत यात्रा है। इन तीन वर्षो में आबे और मोदी के बीच चार शिखर वार्तायें हो चुकी है, जो कि अब तक हुए बारह शिखर सम्मेलनों का हिस्सा हैं। गौरतलब है कि जापान के अलावा भारत सिर्फ रूस के साथ टू प्लस टू सामरिक-आर्थिक सालाना मशविरा करता है। आबे की यह यात्रा पांच कारणों से महत्वपूर्ण है।
 
पहला, भारत परिवर्तन के एक नये दौर से गुजर रहा है। देश की 50 फीसदी से ज्यादा आबादी 30 साल से कम उम्र की है और देश से रोजगार की अपेक्षा रखती है। मोदी की मेक इन इंडिया नीति इस चुनौती से निपटने में कारगर सिद्ध हो सकती है बशर्ते रोजगार सृजन के लिये पर्याप्त निवेश हो और आवश्यक ढांचागत सुविधाओं का निर्माण हो। पिछ्ले तीन वर्षो में जापान ने भारत को इस दिशा मे काफी योगदान दिया है। अहमदाबाद- मुम्बई बुलेट ट्रेन इसका बडा प्रमाण है जिसका शिलान्यास 14 सितंबर को हो रहा है। 500 किलोमीटर की दूरी तय करने वाली यह बुलेट ट्रेन 17 अरब अमेरिकी डॉलर की लागत से तैयार होगी। भारत को जापान से लिया ये धन 0।1 फीसदी की दर से ब्याज के साथ अगले 50 सालों में चुकाना होगा।
 
दूसरा अहम मुद्दा है चीन का वन बेल्ट वन रोड या बेल्ट और रोड प्रोजेक्ट जिसने भारत और जापान दोनों ही देशों को चीन की दूरगामी सामरिक और आर्थिक रणनीति के बारे मे सशंकित कर रखा है। दोनों ही देश चीन के साथ अपने अपने सीमा विवाद को लेकर उलझे हुए हैं, और चीनी दुस्साहस से भी खासे परेशान हैं। भारत-चीन के बीच हाल ही में समाप्त हुए डोकलाम विवाद से ये स्पष्ट होता है। डोकलाम का एक सकारात्मक पहलू ये रहा कि इस मुद्दे पर जापान ने खुल कर भारत का साथ दिया, जबकि अमेरिका ने इस मामले पर चुप्पी साधे रखना ही बेहतर समझा।
 
इससे जुड़ा तीसरा महत्वपूर्ण पहलू है एशिया में तेजी से रफ्तार पकड़ती दौड़ का जिसमें एक तरफ तो चीन बेल्ट और रोड प्रोजेक्ट से देशों को अपनी ओर मिलाने की कोशिश में लगा है, तो वहीं भारत और जापान भी इस दौड़ में पीछे रहने को तैयार नहीं दिखते। दोनों देशों का साझा "एशिया अफ़्रीका विकास गलियारा (एएजीसी) इस दिशा में एक बड़ा कदम है। 40 अरब डॉलर के इस प्रस्ताव में जापान 30 और भारत 10 अरब डॉलर का निवेश करेगा। इस कदम को चीन के बेल्ट और रोड प्रोजेक्ट के जवाब के रूप मे देखा जा रहा है।
 
चौथे, भारत अपनी ऊर्जा जरूरतों को लेकर खासा परेशान रहा है। अंतरराष्ट्रीय सोलर अलायन्स इसी चिंता और सोच का परिणाम है। भारत ने अमेरिका, फ़्रांस और रूस समेत तमाम देशों के साथ परमाणु ऊर्जा सहयोग पर भी काम करना शुरु कर दिया है। जापान ने अपनी परमाणु अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर न करने वाले किसी देश के साथ असहयोग की अपनी कसम भी भारत के लिये तोड़ दी और दोनों देशों ने परमाणु ऊर्जा सहयोग पर साझा सहयोग का मसौदा भी मंजूर कर लिया है, जिसके भारत के लिये दूरगामी परिणाम होंगे।
और आखिर में पांचवा यह कि भारत और जापान एशिया के भविष्य को लेकर एकमत हैं और एशिया को बहुध्रुवीय बनाने के लिये कृतसंकल्प हैं। बढ़ते सामरिक और सैन्य सहयोग से यह ज्यादा स्पष्ट होता है और बहुमुखी आर्थिक और व्यापारिक साझेदारी से ज्यादा मजबूत।
 
रिपोर्ट: राहुल मिश्रा (एशिया प्रशांत मामलों के विशेषज्ञ हैं।)

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

कैसे काबू में आएगी समाज में फैलती हिंसा