रिपोर्ट : आमिर अंसारी (रॉयटर्स से जानकारी के साथ)
अफगानिस्तान में तालिबान के नेतृत्व वाली सरकार ने बताया है कि इस सप्ताह की शुरुआत में पक्तीका प्रांत में आए विनाशकारी 6.1 तीव्रता के भूकंप में मरने वालों की संख्या बढ़कर 1,000 से अधिक हो गई है। भूकंप के कारण घायलों की संख्या भी 1,600 को पार कर गई है। इस बीच भारत ने कहा है कि उसने काबुल में अपने दूतावास के लिए एक तकनीकी टीम भेजी है, जो मानवीय सहायता के वितरण का समन्वय करेगी।
पिछले साल अगस्त में अमेरिकी सेना की अफगानिस्तान से वापसी और तालिबान के सत्ता में आने के बाद भारत ने अपने दूतावास से अपने अधिकारियों को हटा लिया था। भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने ट्वीट कर जानकारी दी है कि भारत द्वारा भेजी गई मदद की 2 खेपें काबुल पहुंच गई हैं।
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने इस मदद के बारे में ट्विटर पर लिखा कि भारत, एक सच्चा, पहला उत्तरदाता। मंत्रालय ने कहा कि मानवीय सहायता की प्रभावी ढंग से आपूर्ति करने और अफगानिस्तान के लोगों के साथ जारी संपर्कों की करीबी निगरानी एवं समन्वय के प्रयासों के मद्देनजर भारतीय तकनीकी दल काबुल पहुंच गया है और उसे हमारे दूतावास में तैनात किया गया है।
भूकंप के बाद तालिबान ने अंतरराष्ट्रीय मदद की अपील की थी। इस अपील के बाद कई देशों ने संकटग्रस्त देश के लिए मदद भेजी है जिनमें भारत भी शामिल है।
मंत्रालय ने कहा कि हाल ही में एक भारतीय दल ने अफगानिस्तान को हमारे मानवीय सहायता अभियान की आपूर्ति को देखने के लिए काबुल का दौरा किया था और वहां सत्तारूढ तालिबान के वरिष्ठ नेताओं के साथ मुलाकात की थी। भूकंप के पहले भी भारत ने अफगानिस्तान की मदद कर चुका है।
विदेश मंत्रालय के मुताबिक अफगानिस्तान में 20,000 टन गेहूं, 13 टन दवाएं, कोविड-19 टीकों की 5,00,000 खुराक और सर्दियों के कपड़े अफगानिस्तान में भेजे जा चुके हैं। बुधवार को आए भूकंप के कारण 10 हजार घर या तो पूरी तरह से नष्ट हो गए या आंशिक रूप से तबाह हो गए।