चीन अपनी शिनजियांग नीति को कैसे बदल रहा है?

DW
मंगलवार, 19 सितम्बर 2023 (09:18 IST)
यूशेन ली
एक साल पहले संयुक्त राष्ट्र ने उत्तर पश्चिमी चीन में अल्पसंख्यक उइगुर मुस्लिमों के मानवाधिकारों के हनन पर एक विस्तृत रिपोर्ट जारी की थी। अब चीन दुनिया को शिनजियांग क्षेत्र में जीवन की अलग छवि दिखाने का प्रयास कर रहा है।

विश्लेषकों ने चेतावनी दी है कि एक साल पहले उइगुर मुस्लिम अल्पसंख्यकों के खिलाफ ‘गंभीर मानवाधिकार उल्लंघन' संबंधी जो रिपोर्ट जारी हुई थी, उनकी जांच की रफ्तार बहुत धीमी है। ऐसा इसलिए है क्योंकि चीन की सरकार उत्तर-पश्चिमी चीन के स्वायत्त क्षेत्र शिनजियांग के मामले में अपनी छवि को दुरुस्त करने की कोशिश में जुट गया है।
 
साल 2022 में, संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय (ओएचसीएचआर) की एक रिपोर्ट ने निष्कर्ष निकाला था कि चीन की सरकार शिनजियांग में उइगरों के प्रति जो भेदभावपूर्ण रुख अपना रही है, उसे ‘मानवता के खिलाफ अपराध' माना जा सकता है।
 
हालांकि चीन ने इन आरोपों को तुरंत खारिज कर दिया और इसे ‘चीन विरोधी ताकतों द्वारा गढ़ा गया दुष्प्रचार और झूठ' करार दिया। वहीं, इस मुद्दे पर चर्चा के लिए संयुक्त राष्ट्र में एक औपचारिक एजेंडा बनाने की कोशिश नाकाम हो गई क्योंकि चीन और उसके सहयोगियों ने इसके खिलाफ मतदान किया।
 
पिछले महीने चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने शिनजियांग की यात्रा की। उनकी इस दुर्लभ यात्रा ने एक बार फिर कार्यकर्ता समूहों और मानवाधिकार संगठनों के बीच चिंता बढ़ा दी है। इन लोगों का मानना है कि सरकार शिनजियांग के बारे में अधिक सकारात्मक नैरेटिव के साथ ‘नीति दिशा को दोबारा साबित' करने की तैयारी कर रही है।
 
चीन ने शिनजियांग पर अपनी पकड़ मजबूत कर ली है
दक्षिण अफ्रीका में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन से लौटने के बाद शी जिनपिंग ने राजधानी बीजिंग में रुके बिना ही इस क्षेत्र का दौरा किया। लंदन के एसओएएस विश्वविद्यालय में निर्वासित उइगुर कवि और रिसर्च असिस्टेंट अजीज ईसा एल्कुन ने डीडब्ल्यू को बताया, "आप देख सकते हैं कि उइगुर लोगों ने उनके दिमाग पर कितना कब्जा कर लिया है।”
 
एक दशक पहले  उइगुर मुस्लिमों के खिलाफ बड़े पैमाने पर चीनी सरकार की कार्रवाई शुरू करने के बाद से शी जिनपिंग की इस क्षेत्र की यह दूसरी यात्रा थी। पहली बार वो जुलाई 2022 में, ओएचसीएचआर रिपोर्ट जारी होने से एक महीने पहले यहां आए थे।
 
एल्कुन दावा करते हैं कि शिनजियांग पर चीन का हालिया फोकस ‘कानून के शासन, लोकतंत्र और मानवाधिकारों पर पश्चिमी देशों के साथ मुख्य संघर्ष' में इस क्षेत्र की महत्वपूर्ण भूमिका के कारण है।
 
साल 2013 में शी के सत्ता में आने के बाद से, शिनजियांग उच्च तकनीकी सुरक्षा और व्यापक डिजिटल निगरानी के साथ एक बड़ा सैन्यीकृत क्षेत्र बन गया है। इस क्षेत्र में कथित तौर पर दस लाख से ज्यादा उइगरों को तथाकथित ‘रिएजुकेशन कैंपों" में भेजा गया है।
 
चीन इन शिविरों को ‘व्यावसायिक शिक्षा और प्रशिक्षण केंद्र' के रूप में पेश करता है। इन्हें यह कहकर उचित ठहराने की कोशिश होती है कि ये चरमपंथ और आतंकवाद से निपटने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले शिविर हैं। वहीं आलोचकों का कहना है कि ये शिविर उइगुर पहचान को मिटाने के लिए नरसंहार की कोशिशों का प्रतिनिधित्व करते हैं।
 
ओआरएफ में स्ट्रैटेजिक स्टडीज प्रोग्राम के फेलो अयाज वानी ने डीडब्ल्यू को बताया, ‘उइगुर मुसलमानों को हिजाब पहनने, लंबी दाढ़ी बढ़ाने या फिर सरकार की परिवार नियोजन नीति का उल्लंघन करने पर हिरासत केंद्रों में भेज दिया जाता है।'
 
पर्यटन बढ़ने की उम्मीद
हालांकि शिनजियांग पर वैश्विक समुदाय का ध्यान भी काफी बढ़ रहा है, इसलिए चीन ज्यादा से ज्यादा पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए इस क्षेत्र को ‘सफलता की कहानी' के तौर पर चित्रित करने को उत्सुक है। पिछले महीने इस क्षेत्र के दौरे के वक्त दिए गए भाषण में शी जिनपिंग ने कहा था कि शिनजियांग ‘अब एक सुदूर क्षेत्र नहीं है' और इसे घरेलू और विदेशी पर्यटन के लिए और ज्यादा खोलना चाहिए।
 
वानी कहते हैं, "चीन की रणनीति शिनजियांग में निर्देशित दौरों के माध्यम से उसके लिए बन चुकी एक धारणा को बदलना है। उसका लक्ष्य इस क्षेत्र में सामान्य स्थिति का आभास देना है।” समाचार एजेंसी एएफपी के मुताबिक, शिनजियांग के पर्यटन ब्यूरो ने इस साल 70 करोड़ युआन (करीब 89।3 मिलियन यूरो) से ज्यादा खर्च करने की योजना बनाई है ताकि पूरे क्षेत्र में लग्जरी होटल और कैंप साइट्स बनाए जा सकें।
 
उइगुर मानवाधिकार परियोजना ने हाल ही में पश्चिमी देशों की पर्यटक कंपनियों से शिनजियांग के माध्यम से टूर पैकेज की पेशकश बंद करने का आह्वान किया है। वानी को उम्मीद थी कि ‘निर्देशित पर्यटन में बढ़ोत्तरी होगी', खासकर इस्लामी और यूरोपीय देशों से आने वाले पर्यटकों की संख्या में। वानी कहते हैं कि इन दौरों पर आने वाले राजनयिक, आतंकवाद से लड़ने के लिए चीन के प्रयासों की सराहना करेंगे, भले ही वास्तव में ऐसा न हो।
 
क्या चीन जवाबदेही से भाग रहा है?
एक साल पहले जारी संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट को देखते हुए मानवाधिकार समूहों ने वैश्विक समुदाय से और अधिक कार्रवाई का आह्वान किया है। डीडब्ल्यू से बातचीत में ह्यूमन राइट्स वॉच में एशिया डिवीजन की एसोसिएट डायरेक्टर माया वांग कहती हैं, "हम उम्मीद कर रहे हैं कि अन्य देशों की सरकारें और संयुक्त राष्ट्र अब आगे की कार्रवाई के लिए कदम उठाएंगे।” वांग कहती हैं कि यूक्रेन में रूस के युद्ध से वैश्विक ध्यान भटकने के साथ, कार्यकर्ताओं को शिनजियांग में उइगुरों पर चीनी सरकार के उत्पीड़न के संबंध में दबाव बनाए रखने में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। इसके अलावा इस क्षेत्र तक सीमित पहुंच ने भी मुश्किलें बढ़ा दी हैं।
 
वांग का कहना है, "चीनी सरकार को सूचनाओं को नियंत्रित करने में महारत हासिल है। इस इलाके में ना तो एचआरडब्ल्यू और ना ही संयुक्त राष्ट्र को तथ्यों की खोज करने के लिए स्वतंत्र रूप से प्रवेश करने की अनुमति दी गई थी। अन्य सरकारों के सामूहिक दबाव की कमी को देखते हुए, शायद चीन को लगता है कि वह बिना किसी परिणाम के सबसे गंभीर अंतरराष्ट्रीय अपराधों से बच सकता है।” वांग ने यह भी कहा कि हाल के वर्षों में शिविरों की संख्या को कम कर दिया गया है, लेकिन व्यापक दमन से जुड़ी किसी भी नीति को ना तो पलटा गया है और ना ही हटाया गया है। उनके मुताबिक, वहां रहने वाले उइगुरों का जीवन हमेशा दमन का दंश झेलता रहा है।
 
यही नहीं, उइगुर डायस्पोरा के सदस्यों को बोलने पर भी चीन की सरकार की ओर से उत्पीड़न या धमकियों का खतरा झेलना पड़ता है। यही वजह है कि एल्कुन को चुप कराने के लिए ही साल 2017 में शिनजियांग में उनके रिश्तेदारों से अलग कर दिया गया और उन्हें निर्वासित जीवन व्यतीत करना पड़ रहा है।
 
निर्वासन में रह रहे एल्कुन कहते हैं, "जब भी मैं उनके बारे में सोचता हूं तो मुझे बहुत बुरा लगता है। उनकी स्थिति कैसी है, किसी को पता नहीं। हालांकि अन्य उइगुरों को इससे भी बदतर हालात का सामना करना पड़ा है। लेकिन हम पीड़ितों के लिए न्याय पाकर रहेंगे...दुनिया इसे कभी नहीं भूलेगी।”
Edited by : Nrapendra Gupta

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