अनाथ हुए कई बच्चे, पड़ोसियों की मदद से राहत पहुंचाने की सरकारी कोशिश

DW
शनिवार, 1 मई 2021 (08:17 IST)
कोविड-19 महामारी के दौरान कई बच्चों के सामने एक बड़ा संकट खड़ा हो गया है। कई बच्चे अपने माता-पिता दोनों को ही खो चुके हैं और कई बच्चों के अभिभावक अस्पतालों में भर्ती हैं।
 
अनाथ हुए बच्चों की आवश्यक जरूरतों और समस्याओं को दूर करने के लिए दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग (डीसीपीसीआर) ने पहल की है। डीसीपीसीआर ने ऐसे बच्चों और परिवार के लिए एक हेल्पलाइन नंबर जारी की है। डीसीपीसीआर के अध्यक्ष अनुराग कुंडू ने कहा कि ऐसे बच्चों पर नजदीक से नजर रखें और हेल्पलाइन के जरिए 24 घंटे मदद सुनिश्चित की जाए।
 
अनुराग कुंडू के मुताबिक कि ऐसे समय में बच्चे सबसे कमजोर होते हैं क्योंकि वे दूसरों पर निर्भर होते हैं। हेल्पलाइन के जरिए ऐसे कई मामले सामने आ रहे हैं जिनमें बच्चे अभिभावकों को खो चुके हैं और उन्हें तत्काल देखभाल की आवश्यकता है। आयोग ऐसे सभी मामलों को 24 घंटे से कम समय में हल करने के लिए प्रतिबद्ध है।
 
हेल्पलाइन के जरिए आने वाले सभी तात्कालिक फोन पर डीसीपीसीआर 24 घंटे के अंदर मदद करता है। बच्चों के लिए दवाइयां, भोजन, आश्रय, कपड़े आदि आवश्यक जरूरतों की आपूर्ति की जाती है। हेल्पलाइन के जरिए डीसीपीसीआर के संज्ञान में कई मामले आए हैं जिनमें कोविड-19 के कारण बच्चों ने अपने माता-पिता को खो दिया है। दूसरे अन्य मामलों में बच्चों ने अपने माता-पिता में से किसी एक को खो दिया है जबकि दूसरा अस्पताल में भर्ती है। ऐसे हालात बच्चों को कमजोर कर देते हैं और डरावनी स्थिति पैदा हो जाती है।
 
आयोग को एक मामला मिला जिसमें दोनों बच्चों ने एक ही दिन में अपने माता-पिता को खो दिया था। इसके बाद आयोग ने गैर सरकारी संगठन की मदद से बच्चों के साथ बातचीत कर काउंसलिंग की। रिश्तेदार और पड़ोसी अब बच्चों की देखभाल कर रहे हैं। वहीं आयोग रोज उनकी जानकारी ले रहा है।
 
जबकि एक अन्य मामले में कोविड 19 की वजह से 2 बच्चों ने अपने पिता को खो दिया और बच्चों के पास आश्रय का कोई स्थान नहीं था। बच्चों को नहीं पता था कि अब आगे क्या करना है। आयोग ने उनके पिता का दाह संस्कार करवाया। इसके अलावा रिश्तेदारों के पहुंचने से पहले उन्हें चिकित्सकीय सुविधा उपलब्ध करवाई। इसके अलावा आयोग ने दोनों बच्चों की कोविड जांच भी सुनिश्चित की।
 
ऐसी स्थितियों का बच्चे के मानसिक स्वास्थ्य पर भी विपरीत प्रभाव पड़ता है इसलिए ऐसी स्थितियों में बच्चों की चिंता, अकेलेपन को दूर करने के लिए एक पैनल गठित किया जा रहा है।
 
(आईएएनएस/एए)

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