दास प्रथा भले ही प्रतिबंधित हो, लेकिन दुनिया भर में इसके उदाहरण आज भी देखने को मिल जाएंगे। नए जमाने की गुलामी शांत और छिपी हुई होती है, जिसके बारे में हमें पता भी नहीं चलता।
ग्लोबल स्लेवरी इंडेक्स और वॉक फ्री फाउंडेशन के आंकड़ें बताते हैं कि दुनिया भर में 4 करोड़ लोग नए जमाने की दास प्रथा की चपेट में हैं। हमने इतिहास की किताबों में दास प्रथा के बारे में पढ़ा है, जिसमें एक ताकतवर शख्स या समुदाय अपने से कमजोर तबके को गुलाम बनाता है। नए जमाने में गुलामी कानूनी तौर पर अपराध है, लेकिन यह समाज मौजूद है। मानव तस्करी के खिलाफ मुहिम चलाने वाले संगठन इंटरनेशनल जस्टिस मिशन के जर्मन ऑफिस के चेयरमैन डाइटमर रोलर कहते हैं, ''यह उस गिरगिट की तरह है जो छिप कर रहता है।''
वॉक फ्री फाउंडेशन के मुताबिक, नए जमाने की गुलामी का मतलब है कि किसी शख्स ने दूसरे की आजादी छीन ली हो। दूसरे इंसान का अपने शरीर, काम करने या न करने पर अधिकार खत्म हो जाए और उसे प्रताड़ित किया जाए। इस आजादी को डर, हिंसा, दबाव या ताकत के जरिए खत्म किया जाता है।
आधुनिक युग में गुलामी अलग-अलग तरीके की होती है। मसलन, मानव तस्करी, कर्ज का दबाव या जबरन कराई गई शादी आदि में इसके उदाहरण देखे जा सकते हैं। लीबिया, कतर और लोकतांत्रिक गणराज्य कांगो जैसे देशों से नई गुलामी की खबरें अक्सर आती रहती हैं। हालांकि यूरोप के काउंसिल ने बीते अप्रैल में आगाह किया था कि यूरोप में भी मानव तस्करी और जबरन मजदूरी कराने के मामले बढ़े हैं।
जर्मनी में नई गुलामी के 1.64 लाख लोग शिकार हैं। फेडरल क्रिमिनल पुलिस ऑफिस (बीकेए) के मुताबिक, जर्मनी में आप्रवासियों में गुलामी के मामले अधिक पाए गए हैं। घरेलू कामकाज, केटरिंग इंडस्ट्री या कृषि में इनकी संख्या अधिक देखी गई है। पिछले साल पूर्वी यूरोप में 11 जांचें हुईं जिनमें 180 ऐसे मजदूरों की पहचान हुई जिनसे जबरन काम कराया जा रहा था।
जर्मनी: यूरोप का रेडलाइट एरिया
रोलर कहते हैं, ''जर्मनी में यौन उत्पीड़न कहीं ज्यादा फैला हुआ है। यह यूरोप में कानूनन देह व्यापार गढ़ सा है।'' बीकेए के आंकड़ों की मानें तो 2017 में जबरन देह व्यापार के 327 मामले सामने आए। इनमें से ज्यादातर महिलाएं थीं जो मुख्य तौर पर बुल्गारिया, रोमानिया और जर्मनी की रहने वाली थीं। बीकेए की रिपोर्ट में नाइजीरिया के पीड़ितों में इजाफा होने का जिक्र है।
बीकेए ने पता लगाया है कि इनमें से ज्यादातर महिलाओं को देह व्यापार से जुड़ी कोई जानकारी नहीं थी और वे वहां से भाग पाने में असमर्थ थीं। रोलर का कहना है कि ऐसे मामलों में दलालों की बड़ी भूमिका होती है। उनके मुताबिक, भोलीभाली किशोरियों और युवतियों से ये दलाल पहले अफेयर चलाते हैं और फिर उन्हें फुसलाकर देह व्यापार की अंधेरी दुनिया में धकेल देते हैं। वह आगे कहते हैं, ''ज्यादातर मामलों में वे खुद को कर्ज से दबा बताते हैं और युवतियों को भरोसा दिलवाते हैं कि कर्ज चुकाने के लिए यह धंधा जरूरी है।''
अप्रत्यक्ष रूप से गुलामी
दुनिया में कई लोग अप्रत्यक्ष रूप से गुलामी को समर्थन दे रहे हैं। अर्थशास्त्री एवी हार्टमन ने 2016 में लिखी किताब 'आपके पास कितने गुलाम हैं' में जिक्र किया है कि औसतन एक जर्मन अप्रत्यक्ष रूप 60 गुलामों से जुड़ा हुआ है। रोलर कहते हैं, ''चाहे वह कपड़े खरीदना हो या कोई सामान खरीदना, हम कहीं न कहीं दुनिया में मौजूद गुलामी की प्रथा को बढ़ावा दे रहे हैं। इसका एक उदाहरण थाईलैंड की मछलियां खरीदना है जहां के मजदूरों से जबरन काम कराया जाता है।''
बच्चे भी पीड़ित
हाल ही में एक जर्मन महिला द्वारा अपने नौ साल के बेटे को देह व्यापार में धकेलने का मामला सामने आया था। इसमें उसका बॉयफ्रेंड भी शामिल रहा जो पहले भी बच्चों की तस्करी के मामले में शामिल रहा था। इस केस को लेकर चर्चा रही कि कहीं महिला मजबूरी में तो ऐसा नहीं कर रही थी? पुलिस के आंकड़ों के मुताबिक, हर साल जर्मनी में 50 से 60 मामले जबरन शादी करने के आते हैं।
रोलर कहते हैं, ''आधुनिक दासता और इसे बढ़ाने वाले संस्थानों के खिलाफ जल्द कार्रवाई की जरूरत है। रास्ता अभी लंबा है और जर्मनी में काफी काम किया जाना है।''
वह आगे कहते हैं, ''एशिया और अफ्रीका में भी नई गुलामी फैलती जा रही है और पीड़ितों को न्यायायिक सहायता नहीं मिल पाती है। सबसे बड़ी मुश्किल पैसों की है जिसे दुरुस्त किए जाने की जरूरत है।''