जर्मनी में विदेशियों के लिए नौकरी पाना होगा आसान

Webdunia
बुधवार, 26 सितम्बर 2018 (11:50 IST)
जर्मन सरकार एक नए इमिग्रेशन कानून पर काम कर रही है ताकि देश में काम करने वाले लोगों की किल्लत से निपटा जा सके। नए कानून का मकसद यूरोपीय संघ के बाहर के देशों से दक्ष कामगारों को आकर्षित करना है।
 
 
कामगारों की कमी
जर्मनी की अर्थव्यवस्था मजबूत है। बेरोजगारी दर 3.5 प्रतिशत से भी कम है। लेकिन देश में कई उद्योग कामगारों की कमी से जूझ रहे हैं। कारखानों में काम करने के लिए लोग नहीं है। ऐसे में विदेशों से कामगार बुलाने की मांग उठ रही है।
 
 
नया कानून
कामगारों की किल्लत को देखते हुए सरकार ऐसा कानून बनाना चाहती है जिसमें कंपनियों से यह नहीं कहा जाएगा कि वे नियुक्तियां करते वक्त जर्मन नागरिकों को प्राथमिकता दें। यानी जर्मन कंपनी यूरोप के बाहर के देशों के लोगों को आराम से नौकरी पर रख पाएंगी।
 
 
गठबंधन में सहमति
जर्मनी के सत्ताधारी गठबंधन में शामिल पार्टियों सीडीयू, सीएसयू और एसपीडी के बीच नए कानून को लेकर एक दस्तावेज पर सहमति हुई है। इसके लिए जर्मनी के श्रम, अर्थव्यवस्था और गृह मंत्रालयों से भी हरी झंडी ले ली गई है।
 
 
योग्यताएं
जिन विदेशी स्नातकों और कामगारों के पास पेशेवर ट्रेनिंग होगी, उन्हें कुछ समय के लिए जर्मनी आने की अनुमति दी जाएगी ताकि वे अपने लिए काम तलाश सकें। लेकिन इसके लिए कुछ योग्यताओं और भाषा संबंधी जरूरतों को पूरा करना होगा।
 
 
काम की अनुमति
दस्तावेज के अनुसार इन लोगों को इस अवधि के दौरान सामाजिक कल्याण भत्ता नहीं मिलेगा, लेकिन उन्हें ऐसी नौकरियां करने की भी इजाजत दी जाएगी, जिनके लिए वे ओवर क्लालिफाइड हैं, ताकि वे कुछ पैसे कमा सकें।
 
 
आसान और तेज
जर्मनी में क्वालिफिकेशन के मूल्यांकन की प्रक्रिया को तेज और आसान बनाया जाएगा। सहमति पत्र कहता है कि कुछ चुनिंदा देशों में खास तौर से मुहिम चलाए जाने की योजना है ताकि वहां से युवा और दक्ष कामगारों को जर्मनी की तरफ आकर्षित किया जा सके।
 
 
उदार जर्मनी
वैसे जर्मनी में मौजूदा इमिग्रेशन सिस्टम भी सबसे उदार सिस्टमों में से एक माना जाता है। ओईसीडी संगठन के मुताबिक, अमेरिका के बाद जर्मनी विदेशियों के लिए सबसे लोकप्रिय देश है। यूरोपीय संघ के कामगार तो यहां आसानी से रह और काम कर सकते हैं।
 
 
ब्लू कार्ड
जर्मनी में ब्लू कार्ड सिस्टम है जो कम से कम 50,800 यूरो के सालाना वेतन पर विदेशों से अकादमिक और पेशेवर क्षेत्र से जुड़े लोगों को भर्ती की प्रक्रिया को आसान बनाता है। अब वेतन की इस सीमा को और नीचे लाने की कोशिश हो रही है।
 
 
विरोध
विदेशी कामगरों को आकर्षित करने की इस योजना का विरोध भी हो रहा है। कई मजदूर यूनियनों और वामपंथी पार्टी डी लिंके और दक्षिणपंथी पार्टी एएफडी का कहना है कि बाहर से लोगों को लाकर प्रतियोगिता बढ़ाने की बजाय कंपनियां स्थानीय लोगों के वेतन और काम की परिस्थितियों को बेहतर बनाएं।
 

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

जरूर पढ़ें

मेघालय में जल संकट से निपटने में होगा एआई का इस्तेमाल

भारत: क्या है परिसीमन जिसे लेकर हो रहा है विवाद

जर्मनी: हर 2 दिन में पार्टनर के हाथों मरती है एक महिला

ज्यादा बच्चे क्यों पैदा करवाना चाहते हैं भारत के ये राज्य?

बिहार के सरकारी स्कूलों में अब होगी बच्चों की डिजिटल हाजिरी

सभी देखें

समाचार

महाराष्ट्र में कौन बनेगा मुख्यमंत्री, सस्पेंस बरकरार, क्या BJP फिर लेगी कोई चौंकाने वाला फैसला

संभल हिंसा पर कांग्रेस का बयान, बताया BJP-RSS और योगी आदित्यनाथ की साजिश

Delhi Pollution : दिल्ली में प्रदूषण घटा, 412 से 318 पर पहुंचा AQI

अगला लेख
More