Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

इस्लामिक स्टेट के लड़ाकों के लौटने से क्या डर रहा है जर्मनी

हमें फॉलो करें इस्लामिक स्टेट के लड़ाकों के लौटने से क्या डर रहा है जर्मनी
, मंगलवार, 19 नवंबर 2019 (14:50 IST)
तुर्की की कैद में रह रहे इस्लामिक स्टेट के समर्थकों और चरमपंथियों को वापस उनके देशों को भेजा जा रहा है। इनमें जर्मन नागरिक भी हैं। जर्मन सरकार अपने देश में लोगों को समझा रही है कि इसमें डरने जैसी कोई बात नहीं है।
 
गुरुवार को तुर्की से वापस भेजा गया एक जर्मन इस्लामी कट्टरपंथी का 7 सदस्यों वाला परिवार बर्लिन पहुंचा। इराकी मूल के जर्मन कानन बी के परिवार के खिलाफ गिरफ्तारी का कोई वारंट नहीं है। इसका मतलब है कि वह जर्मन राज्य लोअर सैक्सनी के अपने घर में जाने के लिए स्वतंत्र है, हालांकि परिवार पुलिस की निगरानी में रहेगा।
 
तुर्क अधिकारियों के मुताबिक कानन बी 1 साल पहले अपने परिवार के साथ सीरिया जाने के फिराक में था लेकिन इस बारे में कोई जानकारी नहीं है कि वह वहां पहुंच पाया या नहीं? इस परिवार में 2 अभिभावकों के अलावा 2 बड़े बच्चे और 3 नाबालिग हैं। ये लोग मार्च से ही तुर्की के इजमीर में हिरासत में थे।
 
पिछले हफ्ते तुर्की के गृहमंत्री ने कहा था कि यूरोपीय कैदियों को उनके देश वापस भेजा जाएगा। जर्मन अधिकारियों का मानना है कि कानन बी का परिवार कभी इस्लामिक स्टेट से नहीं जुड़ा हुआ था बल्कि वह 'सलाफियों' का हिस्सा था। इसका मतलब है कि यह परिवार इस्लाम के एक रूढ़िवादी स्वरूप का पालन करता है।
 
घबराने की जरूरत नहीं
 
चांसलर एंजेला मर्केल की पार्टी सीडीयू के आंतरिक नीति प्रवक्ता आर्मिन शुस्टर ने जोर देकर कहा है कि वापस आ रहे जर्मन नागरिकों के मामले कोई 'गंभीर मसला' नहीं है। उन्होंने मीडिया में आ रहीं खबरों के आधार पर उन्माद फैलाने के खिलाफ चेतावनी दी है। डॉयचलांडफुंक रेडियो से बातचीत में उन्होंने कहा कि उन्होंने लड़ाई में हिस्सा नहीं लिया था। उन्हें जेल नहीं भेजा जाएगा लेकिन उन पर निगरानी रखी जाएगी।
webdunia
शुस्टर ने यह भी कहा कि सभी मामलों की बारीकी से छानबीन की जाएगी और जर्मन सुरक्षा बलों के लिए यह एक सामान्य प्रक्रिया है। उन्होंने इस बात से भी इंकार किया कि तुर्की ने पहले से इस बारे में जानकारी नहीं दी थी और जर्मनी के लिए यह घटना हैरत में डालने वाली है।
 
अगले कुछ दिनों में 2 और कैदी तुर्की से आने वाले हैं। शुस्टर ने उनका मामला 'थोड़ा मुश्किल' बताया है। अब आने वाली दोनों महिलाएं पहले से ही जर्मन जांच के घेरे में हैं और उन्हें अधिकारी एयरपोर्ट से ही अपने साथ ले जाएंगे। इनसे पूछताछ करने और इनकी तलाशी लेने के बाद अभियोजन अधिकारी तय करेंगे कि उनकी गिरफ्तारी का वारंट जारी करने के लिए पर्याप्त सबूत है या नहीं?
 
जर्मनी की विपक्षी पार्टियां इस समस्या से पहले नहीं निपटने के लिए सरकार की आलोचना कर रही हैं। फ्री डेमोक्रेटिक पार्टी (एफडीपी) के स्टेफान थोमा का कहना है कि जर्मनी के पास इन कैदियों को स्वीकार करने के अलावा और कोई रास्ता नहीं था।
 
हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि सरकार अपना सिर लंबे समय तक रेत में घुसाकर बैठी रही, ऐसे मामलों के लिए वे कुछ नहीं करना चाहते थे। अब उनका आना ज्यादा मुश्किल खड़ी करेगा। अच्छा होता कि सरकार ने तुर्की से इस मामले में पहले संपर्क कर प्रक्रिया के बारे में बात की होती।
 
कुछ आलोचकों का यह भी कहना है कि जर्मन अभियोजकों के पास इन लोगों के खिलाफ मामला तय करने के लिए कम ही रास्ते हैं। उनका कहना है कि इन लोगों ने सीरिया की जंग में क्या किया, यह साबित कर पाना मुश्किल होगा।
 
हालांकि कानून के जानकारों की राय इससे अलग है। वकील महमूद एरदेम का कहना है कि इन्हें दोषी साबित करना कोई 'असंभव काम नहीं' है। एरदेम ने कई ऐसे परिवारों का केस लड़ा है जिनके रिश्तेदार इस्लामिक स्टेट में शामिल होने के लिए अपना देश छोड़ गए थे। वे तुर्की और सीरिया की जेलों से उन्हें वापस लाने के लिए भी काम कर रहे हैं।
 
एरदेम ने कहा कि हमें ऐसे दोषियों को अदालत के सामने गवाह के रूप में सामने लाने में सक्षम होना पड़ेगा। यजीदी महिलाओं से गवाह के रूप में सवाल क्यों नहीं किए जाते? एरदेम ने इस ओर भी ध्यान दिलाया कि कुर्द गुटों ने इस्लामिक स्टेट के विदेशी लड़ाकों के खिलाफ सबूत ढूंढने में मदद की पेशकश की है।
webdunia
इन देशों में आईएस अब भी बड़ा खतरा है
 
अमेरिका समर्थित फौजों से लड़ाई में हारने के बाद इस्लामिक स्टेट के लड़ाके वापस गुरिल्ला वॉर के हथकंडों पर लौट आए हैं। दियाला, सलाहुद्दीन, अंबार, किरकुक और निवेनेह जैसे प्रांतों में अब भी आईएस की इकाइयां चल रही हैं, जो लगातार अपहरणों और बम धमाकों को अंजाम दे रही हैं। विश्लेषकों का कहना है कि इराक में आईएस के लगभग 2,000 लड़ाके हिंसक गतिविधियों में लगे हुए हैं।
 
इस्लामिक स्टेट के जर्मन समर्थकों में 95 फीसदी लोग तुर्की, सीरिया या फिर इराक की कैद में हैं। समाचार एजेंसी डीपीए के मुताबिक जर्मन पुलिस के पास इनमें से 33 के खिलाफ केस दर्ज हैं और 26 मामलों में गिरफ्तारी का वारंट भी जारी हो चुका है।
 
इस बीच इस्लामिक स्टेट के दर्जनों सदस्य पहले से ही जर्मनी की अदालतों का सामना कर रहे हैं। ये लोग अपने आप ही वापस लौट आए थे। इनमें से जिन लोगों के खिलाफ असल अपराध में शामिल होने के सबूत नहीं हैं, उन्हें पुलिस की निगरानी में रखा गया है।
 
वॉयलेंस प्रिवेंशन नेटवर्क के संस्थापक और प्रमुख थोमास मुके का कहना है कि इस्लामिक स्टेट के वापस आ रहे लोगों को दूसरे चरमपंथियों की तरह ही सुधारना मुमकिन है। उन्होंने इस काम के लिए कई जेलों का दौरा भी किया है। उन्होंने डीडब्ल्यू से कहा कि हमारे पास आईएस के वापस लौटे 36 लोगों का अनुभव है। युवा लोगों के साथ हम यह काम ज्यादा कर सकते हैं।
 
मुके ने 17 साल के एक युवा की कहानी बताई, जो आत्मघाती दस्ते में था। मुके ने बताया कि अब वह 24 साल का हो गया है और जर्मनी में सामान्य जीवन बिता रहा है। मुके का कहना है कि ऐसे लोगों को यूरोप लाना ज्यादा अच्छा है, बजाए इसके कि उन्हें तुर्की या सीरिया की जेलों में दूसरे चरमपंथियों के बीच छोड़ दिया जाए। मुके के मुताबिक 'तब वो अभी के मुकाबले ज्यादा संगठित हो जाएंगे।
 
-रिपोर्ट : बेन नाइट

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

क्या पीएम मोदी करवाएंगे पाकिस्तान के अल्ताफ़ हुसैन की 'घर वापसी'? : ब्लॉग