दुनिया में मछलियों की खपत बेहताशा बढ़ गई है जिसके चलते समंदर मछलियों से खाली होते जा रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में मछलियों की खपत से जुड़े कई चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं।
रिकॉर्ड खपत
संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट कहती है कि दुनिया भर के एक तिहाई सागरों में जरूरत से ज्यादा मछलियां पकड़ी जा रही हैं और इसकी वजह मछलियों की रिकॉर्ड खपत है।
कुल उत्पादन
विश्व भर में 2017 में मछलियों का उत्पादन 17.1 करोड़ टन रहा। इसमें 47 प्रतिशत मछलियां फिश फार्मिंग से आई। फिश फार्मिंग यानी मछलियों को व्यावसायिक तौर पर पालना।
तेज रफ्तार
दुनिया भर में मछलियों की खपत में 1961 और 2016 के बीच 3.2 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है जबकि इस दौरान जनसंख्या 1.6 फीसदी की रफ्तार से बढ़ी है।
प्रोटीन का स्रोत
रिपोर्ट कहती है कि 2015 में विश्व स्तर पर जानवरों से मिलने वाले प्रोटीन में मछलियों की हिस्सेदारी 17 प्रतिशत रही। हालांकि यह सभी देशों के लिए एक बराबर नहीं।
पोषक मछली
बांग्लादेश, कंबोडिया, गांबिया, घाना, इंडोनेशिया, सिएरा लियोन, श्रीलंका और दूसरे विकासशील देशों में जानवरों से मिलने वाले प्रोटीन में मछलियों का योगदान 50 फीसदी है।
पश्चिम में खपत
यूरोप, जापान और अमेरिका में 2015 में कुल 14.9 करोड़ टन मछलियों की खपत हुई. यह विश्व में होने वाली खपत का 20 प्रतिशत है।
चीन यहां भी अव्वल
चीन मछलियों का सबसे बड़ा उत्पादक है और सबसे ज्यादा खपत भी उसी के यहां है। 2015 में विश्व भर की 38 फीसदी मछलियां अकेले चीन में दिखीं।
रोजगार
रोजगार भी देता है। दुनिया भर में 5।96 करोड़ लोग इस उद्योग में काम कर रहे हैं। इनमें से लगभग 14 प्रतिशत महिलाएं हैं।
नौकाएं
दुनिया भर में मछली पकड़ने के लिए इस्तेमाल होने वाली छोटी बड़ी नौकाओं की अनुमानित संख्या लगभग 46 लाख है। यह आंकड़ा 2016 का है। (स्रोत: संयुक्त राष्ट्र का खाद्य और कृषि कार्यक्रम)