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डोनाल्ड ट्रंप के लिए तैयार हो रहा है बेचैन यूरोप

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के पहले भाषण में ही सख्त रुख दिखाने के बाद यूरोप में बेचैनी है कि व्यापारिक और सामरिक साझीदारी का भविष्य क्या होगा।

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DW

, बुधवार, 22 जनवरी 2025 (08:05 IST)
डोनाल्ड ट्रंप के संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति के रूप में दूसरे कार्यकाल की शुरुआतके साथ, यूरोपीय संघ के नेताओं ने ट्रांस-अटलांटिक संबंधों में असमंजस की स्थिति से निपटने के लिए अपनी तैयारियां शुरू कर दी हैं। यूरोपीय संघ को अमेरिकी नीतियों में बदलाव का सामना करना पड़ेगा, खासकर चीन के साथ व्यापार और संभावित व्यापार प्रतिबंधों को लेकर। यूरोपीय अधिकारियों ने यह साफ किया है कि यूरोप अपनी ताकत दिखाने के लिए तैयार है और अपने हितों की रक्षा करेगा।
 
जर्मनी की विदेश मंत्री अनालेना बेयरबॉक ने बर्लिन में मर्केटर इंस्टिट्यूट फॉर चाइना स्टडीज के एक कार्यक्रम में यूरोप से एक आत्मविश्वास से भरपूर और एकजुट प्रतिक्रिया की अपील की। बेयरबॉक ने कहा कि यूरोप को अमेरिका-चीन विवाद में ना फंसकर अपनी अलग पहचान बनानी चाहिए।
 
उन्होंने कहा, "हमें यह स्पष्ट कहना चाहिए कि हम किसके साथ खड़े हैं और किसके साथ काम कर रहे हैं। यह यूरोप को अपने आप को परिभाषित करने का समय है।"
 
उन्होंने यह भी कहा कि यूरोप को ट्विटर जैसी कंपनियों की तेजी से बदलती नीतियों से विचलित नहीं होना चाहिए, जो सीधे तौर पर ट्रंप के रुख को जाहिर करता है। उन्होंने कहा कि यूरोपीय संघ अपने एकजुट बाजार और 45 करोड़ नागरिकों के साथ हमेशा यह साबित करता रहा है कि वह किसी की धमकी से नहीं डरता। उन्होंने कहा, "हम खुद को धमकाए जाने या ब्लैकमेल नहीं होने देंगे।"
 
ट्रंप की आर्थिक नीतियों का जवाब
जर्मन अर्थव्यवस्था मंत्री रॉबर्ट हाबेक ने भी यूरोपीय संघ से ट्रंप प्रशासन के संभावित व्यापार प्रतिबंधों का सामना करने के लिए तैयार रहने की बात की। हाबेक ने बर्लिन में आयोजित एक सम्मेलन में कहा कि ट्रंप ने अपने उद्घाटन भाषण में आयातों पर नए शुल्क लगाने की बात की थी। हाबेक का कहना था कि यूरोप को अमेरिका के साथ संवाद जारी रखना चाहिए, लेकिन यह स्वीकार नहीं करना चाहिए कि ट्रंप के तहत यूरोप पर व्यापार प्रतिबंध लगाए जाएं।
 
हाबेक ने कहा, "यूरोपीय देशों को ट्रंप प्रशासन के साथ हाथ बढ़ाना चाहिए, लेकिन यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हमें दबाया ना जाए। हमें यह नहीं चाहिए। यह लोगों के लिए बुरा है, हमारे रिश्तों के लिए बुरा है।" हाबेक ने यह स्पष्ट किया कि यूरोप को प्रतिबंधों पर अपनी प्रतिक्रिया में लचीलापन बनाए रखना चाहिए।
 
जर्मनी की विपक्षी पार्टी क्रिश्चियन डेमोक्रेटिक यूनियन (सीडीयू) के नेता फ्रीडरिष मैर्त्स ने भी ट्रंप के दूसरे कार्यकाल के बारे में चिंता जताई और यूरोपीय देशों से एकजुट होने की अपील की। मैर्त्स ने कहा कि यूरोप को जल्दी से एकजुट होकर दो महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा करनी चाहिए: अपनी सुरक्षा और अमेरिका के साथ व्यापार संबंधों को मजबूत करना। नाटो को लेकर ट्रंप का रुख सख्त रहा है, जिसके बाद यूरोप में चिंता बढ़ी है कि इस चुनौती से संगठन कैसे निपटेगा।
 
मैर्त्स ने कहा, "यूरोप को अब जल्दी से बैठकर यह तय करना चाहिए कि अपनी सुरक्षा के लिए क्या करना है। इसके अलावा, हमें अमेरिका के साथ व्यापार के मामले में अपनी स्थिति को मजबूत करना चाहिए।" मैर्त्स ने यह भी कहा कि यूरोप को अपनी सैन्य खरीदारी को लेकर और अधिक समन्वय करने की जरूरत है। उन्होंने कहा, "यूरोप के पास बहुत मौके हैं, जिन्हें हम अभी नहीं पहचान रहे हैं।"
 
समय पर संवाद की जरूरत
यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला उर्सुला फॉन डेयर लाएन ने भी स्विट्जरलैंड के दावोस में विश्व आर्थिक मंच में अपनी बात रखी और ट्रंप के संभावित व्यापार संघर्षों के बारे में चेतावनी दी। उन्होंने कहा कि यूरोपीय और अमेरिकी अर्थव्यवस्थाएं आपस में गहरे जुड़ी हुई हैं। उन्होंने कहा, "हमारी जैसी जुड़ी हुई अर्थव्यवस्थाएं दुनिया में कहीं नहीं हैं।"
 
उन्होंने बताया कि यूरोपीय कंपनियां अमेरिका में 35 लाख अमेरिकियों को रोजगार देती हैं और दस लाख नौकरियां सीधे यूरोपीय संघ के साथ व्यापार पर निर्भर हैं। फॉन डेयर लाएन ने कहा, "दोनों पक्षों के लिए बहुत कुछ दांव पर है। व्यापार युद्ध से दोनों क्षेत्रों को नुकसान हो सकता है, लेकिन यूरोपीय संघ का उद्देश्य जल्द से जल्द अमेरिका के साथ संवाद स्थापित करना है।”
 
फॉन डेयर लाएन ने यूरोप को बढ़ती भू-राजनीतिक प्रतिस्पर्धा के बीच अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत करने के लिए सुधारों और निवेश आकर्षित करने की जरूरत पर बल दिया। उन्होंने कहा, "यूरोप को गियर बदलने की जरूरत है।"
 
चीन और भारत के साथ सहयोग का महत्व
फॉन डेयर लाएन ने यह भी कहा कि यूरोप को चीन के साथ संतुलित और न्यायपूर्ण व्यापार संबंधों पर ध्यान देना चाहिए। उन्होंने जोड़ा, "चीन के साथ हमारे रिश्ते को और अधिक गहरा करना और जहां संभव हो, व्यापार और निवेश बढ़ाना एक अवसर है।" इसके अलावा, यूरोपीय संघ ने लैटिन अमेरिका और भारत जैसे देशों के साथ अपने साझेदारियों को मजबूत करने पर जोर दिया।
 
ट्रंप के दूसरे कार्यकाल से पैदा होने वाली चुनौतियों का सामना करने के लिए यूरोपीय नेताओं ने अपनी एकजुटता और प्रभाव को बनाए रखने का संकल्प लिया है। जब दुनिया में उथल-पुथल बढ़ रही है और अमेरिका अपने व्यापार और सुरक्षा नीतियों में सख्त रवैया अपना रहा है, यूरोप यह स्पष्ट कर रहा है कि वह अपनी पहचान बनाए रखेगा और अपने हितों की रक्षा करेगा।
वीके/एनआर (रॉयटर्स, डीपीए)

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