स्कूलों में मैथ हो या इंफॉर्मेटिक्स, लड़के पढ़ने के मामले में लड़कियों से पीछे ही रहते हैं। लेकिन स्कूल पास कर जब कॉलेज में दाखिला लेने की बात आती है तो बहुत कम ही लड़कियां साइंस सब्जेक्ट्स लेती हैं।
जर्मनी में इस समय अर्थव्यवस्था का शायद ही कोई क्षेत्र है जहां कुशल कर्मचारियों के अभाव की बात न हो रही हो। खासकर तकनीक और आईटी के क्षेत्र में कुशल कर्मियों की कमी अर्थव्यवस्था के विकास को प्रभावित कर रही है। कंसल्टेंसी कंपनी मैकिंजी के एक अध्ययन के अनुसार यदि तकनीकी क्षेत्रों में महिलाओं की तादाद बढ़ाई जा सके तो यूरोप में आर्थिक विकास को अत्यंत तेज किया जा सकता है।
हालांकि साइंस और तकनीक से जुड़े पेशों में कुशल कर्मियों की कमी है लेकिन नौकरी की बेहतर संभावनाओं और अच्छे वेतन के ऑफर के बावजूद कंपनियों को पर्याप्त लोग नहीं मिल रहे। इसकी एक वजह ये भी है कि पर्याप्त लड़कियों इन विषयों की पढ़ाई नहीं कर रहीं और यदि पढ़ाई शुरू भी करती हैं तो उसे पूरा नहीं करतीं। कई बार तो वे पढ़ाई पूरी करने के बावजूद तकनीकी पेशों में जाने के बदले सामान्य पेशों को प्राथमिकता देती हैं।
इस समय यूरोपीय संघ के 27 सदस्य देशों में तकनीकी क्षेत्रों में काम करने वालों में सिर्फ 22 फीसदी महिलाएं हैं। मैकिंजी की स्टडी का कहना है कि अगर यूरोपीय देश 2027 तक तकनीकी नौकरियों में महिलाओं की संख्या 45 फीसदी तक बढ़ा देते हैं तो यूरोप के सकल घरेलू उत्पादन में 260 अरब यूरो की वृद्धि हो सकती है और वह 600 अरब यूरो हो जाएगा।
पसंद की पढाई : स्टडी के अनुसार यूरोपीय संघ के श्रम बाजार में 2027 तक तकनीकी क्षेत्र में 14 लाख से 39 लाख तक कर्मचारियों की कमी है। जर्मनी में तकनीकी पेशों में करीब 800,000 कुशल कर्मियों की कमी है। इस कमी की भरपाई यूरोपीय देश इस समय उपलब्ध प्रतिभाओं से नहीं कर सकते, जिनमें पुरुषों का वर्चस्व है।
मैकिंजी के लिए तकनीकी पेशों में कुशल कर्मियों पर लिखी रिपोर्ट के लेखकों में से एक स्वेन ब्लूमबर्ग का कहना है, "यूरोप की तकनीकी कंपनियों में जेंडर डाइवर्सिटी का अभाव न सिर्फ कर्मचारियों के लिए बल्कि इनोवेशन और समूचे यूरोपीय समाज के लिए भारी नुकसान की वजह है।" जर्मनी का सांख्यिकी दफ्तर भी तकनीकी पेशों में युवा कर्मियों की भारी कमी देख रहा है। 2021 में 307,000 युवाओं ने उच्च शिक्षा के लिए तकनीकी विषयों का चुनाव किया जो एक साल पहले के मुकाबले 6।5 प्रतिशत कम है।
रिपोर्ट के लेखकों में से एक और मैकिंजी की कंसल्टेंट मेलानी क्रावीना का कहना है कि प्राइमरी और माध्यमिक स्कूलों में इस बात के कोई संकेत नहीं हैं कि मैथ और इंफॉर्मैटिक्स में लड़के लड़कियों से बेहतर हैं। लेकिन स्कूल पास कर लेने के बाद जब मैथ, इंफॉर्मैटिक्स, फीजिक्स, केमिस्ट्री और तकनीकी विषयों में दाखिला कराने की बात आती है तो बहुत सी लड़कियां ऐसा नहीं करतीं।
अंतरराष्ट्रीय तुलना में जर्मनी की स्थिति बहुत अच्छी नहीं हालांकि मास्टर की डिग्री लेने वालों में 35 प्रतिशत तकनीकी विषयों के हैं। ये संख्या और ज्यादा होती, यदि अधिक लड़कियां इन विषयों का चुनाव करती। स्कूल पास करने वाली लड़कियों का सिर्फ 38 प्रतिशत हिस्सा साइंस विषयों में दाखिला लेती हैं। सिर्फ 19 फीसदी लड़कियां तकनीकी विषयों और आईटी क्षेत्र में पढ़ाई करने का फैसला करती हैं।
महिलाओं की जरूरतें : यूनिवर्सिटी की पढ़ाई पूरी करने के बाद नौकरी करने वालों में महिलाओं का अनुपात और कम हो जाता है। मैकिंजी की स्टडी के अनुसार साइंस और तकनीकी विषयों की पढ़ाई करने वाली लड़कियों में से सिर्फ 23 प्रतिशत लड़कियां तकनीकी पेशों को चुनती हैं। पुरुषों में ये अनुपात 44 प्रतिशत है।
जर्मनी में पिछले सालों में साइंस और तकनीकी विषयों की पढ़ाई करने वाली लड़कियों की तादाद 2001 के 30।8 प्रतिशत के मुकाबले 2022 में बढ़कर 34।5 प्रतिशत हो गई, लेकिन पेशों के आंकड़ों को देखने पर पता चलता है कि हार्डकोर तकनीकी पेशों में महिलाओं की तादाद कम है। 2021 में इंटीरियर डेकोरेशन में महिला छात्रों की संख्या 88 प्रतिशत थी तो स्टील मैन्यूफैक्चरिंग में सिर्फ 2।2 प्रतिशत। इंफॉर्मेटिक्स में दाखिला लेने वालों में लड़कियों की संख्या 22 प्रतिशत थी।
तकनीकी क्षेत्र में महिला प्रतिभाओं के बेहतर इस्तेमाल के लिए कंसल्टेंसी कंपनी मैकिंजी ने कंपनियों को सलाह दी है कि वे महिला कर्मचारियों को और प्रोत्साहन दें। इसके लिए काम का लचीला समय, काम और परिवार के बीच सामंजस्य बिठाने के मौके और शिशुओं तथा बच्चों के बेहतर देखभाल की सुविधा देनी होगी। साथ ही महिला कर्मियों को कंपनी के साथ जोड़कर रखने और उन्हें तकनीकी पेशों में बने रहने की सुविधा उपलब्ध करानी होगी।
जर्मन ट्रेड यूनियन महासंघ की उपाध्यक्ष एल्के हानाक की मांग है कि लड़कियों को उद्यमों के बदले पहले से ही साइंस और तकनीकी विषय लेने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। उनका कहना है कि परिवार के अनुकूल काम की परिस्थितियां और पेशों के चुनाव में लैंगिक बाधाओं को दूर कर स्थिति सुधारी जा सकती है। रिपोर्ट की लेखिका मेलीना क्रावीना भी लड़कियों की तकनीकी क्षमताओं के गलत आकलन को इस स्थिति के लिए जिम्मेदार मानती हैं। उनका कहना है कि स्कूलों में शिक्षक, साथी विद्यार्थी और माता पिता भी लड़कियों की पर्याप्त मदद नहीं करते।
कंसल्टेंसी कंपनी की सलाह है कि तकनीकी पेशों में महिलाओं की संख्या बढ़ाने के लिए पेशों से जुड़े टैलेंट पूल से महिलाओं की भर्ती करनी होगी, उन्हें ट्रेनिंग देनी होगी और उनकी तकनीकी क्षमताओं के विकास में मदद देनी होगी। रिपोर्ट में महिला कर्मियों को उद्यम के साथ बांध कर रखने को मैनेजरों के मूल्यांकन का महत्वपूर्ण कारक बनाना होगा। इस रिपोर्ट के लेखकों का मानना है कि इन कदमों के जरिए 2027 तक तकनीकी पेशों में 13 लाख महिला कर्मियों की भर्ती की जा सकती है।