-रिपोर्ट : विवेक कुमार (एपी)
खगोलविदों ने एक नया ब्लैकहोल खोजा है, जो अब तक का धरती के सबसे करीब मिला ब्लैकहोल है। यह पृथ्वी से मात्र 1,610 प्रकाश वर्ष दूर है। खगोलशास्त्रियों को धरती के एकदम बगल में एक ब्लैकहोल मिला है। अब तक इतने करीब कोई ब्लैकहोल नहीं मिला था। यह पृथ्वी से 1,610 प्रकाश वर्ष दूर है। 1 प्रकाश वर्ष लगभग 94.6 खरब किलोमीटर का होता है।
इससे पहले जो प्रकाश वर्ष धरती के सबसे करीबी होने का तमगा रखता था, वह 3,000 प्रकाश वर्ष दूर मोनोसेरोस तारामंडल में है। पिछले हफ्ते वैज्ञानिकों ने बताया कि यह प्रकाश वर्ष हमारे सूर्य से 10 गुना ज्यादा बड़ा है। इसका पता उन तारों की गति से लगा, जो इसका चक्कर लगाते हैं। वे तारे इस ब्लैकहोल से उतने ही दूर हैं जितनी दूर पृथ्वी अपने सूर्य से है।
हार्वर्ड-स्मिथसोनियन सेंटर फॉर एस्ट्रोफिजिक्स के करीम अल-बादरी ने बताया कि इस ब्लैकहोल की खोज यूरोपीय स्पेस एजेंसी के गाया अंतरिक्ष यान ने की। अल बादरी और उनकी टीम ने अपनी खोज को पुष्ट करने के लिए डेटा को अमेरिका के हवाई स्थित जेमिनी ऑब्जर्वेटरी को भेजा। इस खोज को रॉयल एस्ट्रोनॉमिकल सोसायटी के मासिक नोटिस में प्रकाशित किया गया है।
नए मिले ब्लैकहोल को गाया बीएच1 नाम दिया गया है। यह ओफाशस तारामंडल में स्थित है। वैज्ञानिक अभी भी इस बारे में कोई पुख्ता जानकारी नहीं दे पाए हैं कि मिल्की वे या आकाश गंगा में यह ब्लैकहोल सिस्टम कैसे बना।
मिल्की वे में अब तक लगभग 20 ब्लैकहोल मिल चुके हैं लेकिन गाया बीएच1 की अहमियत एक तो उसकी पृथ्वी से नजदीकी की वजह से है और दूसरा उसका अलग स्वभाव है, जो वैज्ञानिकों को हैरान कर रहा है। आमतौर पर ब्लैकहोल अपने आसपास वाले तारों को निगल जाते हैं लेकिन बीएच1 ऐसा नहीं कर रहा है। असल में यह कुछ भी नहीं कर रहा है। वैज्ञानिक बताते हैं कि यह एकदम स्थिर और शांत खाली जगह है, जहां ना कुछ है और ना कुछ हो रहा है।
क्यों अद्भुत हैं ब्लैकहोल?
आइंस्टीन के प्रपेक्षता के सिद्धांत के मुताबिक ब्लैकहोल सर्वाधिक घना क्षेत्र होता है, जहां से प्रकाश तक गुजर नहीं सकता। यही वजह है कि वे मनुष्य के लिए प्रकृति में घट रही सबसे उत्सुकतापूर्ण और हिंसक घटनाएं रही हैं। वे अपने आसपास की हर चीज को निगल जाते हैं और उसके बाद वे चीजें कहां जाती हैं, इसकी अब तक कोई जानकारी नहीं है।
वैज्ञानिक नहीं जानते कि ये ब्लैकहोल आते कहां से हैं? एक अनुमान के मुताबिक सिर्फ हमारी आकाशगंगा में 10 करोड़ से ज्यादा ब्लैकहोल मौजूद हैं लेकिन यह सिर्फ एक अनुमान है। कई ब्लैकहोल तो इतने बड़े होते हैं कि वे हमारे सूर्य से करोड़ों गुना बड़े भी हो सकते हैं। छोटे ब्लैकहोल बनने के बारे में एक सिद्धांत यह है कि वे तारों से बनते हैं। तारे जब अपनी उम्र पूरी कर लते हैं तो वे बुझ जाते हैं और ब्लैकहोल में बदल जाते हैं।(फ़ाइल चित्र)
Edited by: Ravindra Gupta