क्या आप जानते हैं, अंग्रेजी में कौवे के झुंड को 'मर्डर' कहा जाता है? दरअसल, कौवे अपने किसी साथी के मरने पर इकट्ठा हो जाते है और कांव-कांव कर उसकी हत्या की जांच-पड़ताल करने लगते हैं। अब रिसर्च ने इसे साबित किया है।
जर्मनी की राजधानी बर्लिन में करीब 100 कौवों का झुंड इकट्ठा हुआ है। वजह है कि उनके एक साथी कौवे की मौत हो गई है। कौवें लगातार कांव-कांव की आवाज लगा रहे हैं और कर्कश आवाज में मानो किसी को डांट रहे हों। वह मृत साथी के ऊपर गोल-गोल चक्कर लगाकर उड़े जा रहे हैं और ऐसा लगता है कि वे पड़ताल कर रहे हैं कि साथी की मौत कैसे हुई और किससे उनके समुदाय को खतरा है।
कोरविडे परिवार से ताल्लुक रखने वाले कौवे को अपनी प्रजाति के नीलकंठ व अन्य पक्षियों जैसा ही होशियार माना जाता है। रिसर्च ने साबित किया है कि ये पक्षी अपने खाने के लिए औजार भी ढूंढ लेते है। इंसानों के चेहरे पहचानना और उनकी आवाज की नकल उतारना भी इन्हें बखूबी आता है। वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी की एक स्टडी बताती है कि कौवे के मरने पर उसके साथी उसे घेर लेते हैं और जोर-जोर से कांव-कांव करते हैं मानो शोक मनाने आए हों। ये कौवे शोर कर यह जानने में दिलचस्पी लेते हैं कि उनके साथ की मौत कैसे हुई? क्या उनके झुंड को किसी से खतरा है?
इसे साबित करने के लिए शोधकर्ताओं ने एक टैक्सीडर्मी की मदद से एक प्रयोग किया। टैक्सीडर्मी एक विधि है जिसमें मृत जानवरों के शरीर के अंदर और बाहर चमड़े या मांस को भरा जाता है जिससे वे ऐसे लगे मानो जिंदा हो। इन्हें सुरक्षित रखा जाता है और पढ़ाई या एक्सपेरिमेंट के लिए इस्तेमाल में लाया जाता है।
शोधकर्ताओं ने सबसे पहले एक सांप को जमीन पर रख दिया जिससे कौवों का झुंड उसे खाने के लिए इकट्ठा हो सके। जब कौवे आ गए तो शोधकर्ताओं ने वहां मृत कौवे (जिसे टैक्सीडर्मी की विधि से सुरक्षित रखा गया था) को रख दिया। मृत कौवे को देखकर झुंड जोर-जोर से कांव-कांव की आवाजें लगाने लगा मानो किसी को डांट रहा हो। इस बीच कई शोधकर्ताओं पर उन्होंने हमला भी किया। शोधकर्ताओं ने वहां दूसरे मृत पक्षी रखने शुरू किए, लेकिन कौवों ने उनकी मौत पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। वे बस अपने साथी की मौत पर ही शोर मचाते रहे। इसके बाद अगर शोधकर्ता मृत कौवे के साथ नहीं भी दिखाई दे तो भी उनपर कौवों ने हमला किया।
यह रिसर्च एक पुरानी रिसर्च की पुष्टि करती है जिसमें शोधकर्ताओं ने दावा किया था कि कौवे अपने साथी की मौत और उसके स्थान को पहचान जाते है। वह उन इंसानों के चेहरे भी याद रखते हैं जिनपर उन्हें 'मर्डर' का शक होता है। वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी में कुछ साल पहले ऐसी ही स्टडी हुई थी। वहां के एक नकाब पहने रिसर्चर ने कौवों के छोटे झुंड को पकड़ लिया था। इस पर गुस्साएं कौवों ने कांव-कांव कर आसमान सिर पर उठा लिया। इस घटना के कई साल बाद तक अगर कोई नकाब पहने दिखाई देता तो कौवे उस पर हमला शुरू कर देते या चिल्लाते।
तो अगली बार अगर आप कौवों के झुंड को शोर मचाते देखें, तो समझ लीजिए वे अपने साथी की मौत से दुखी हैं और पड़ताल में लगे हुए हैं।