जर्मनी में कोविड के 1,98,888 नए मामले दर्ज किए गए हैं, जो एक सप्ताह पहले के आंकड़ों के मुकाबले बड़ी उछाल है। चीन में भी मामले बढ़ रहे हैं और स्थिति का असर यूरोप के बाजारों पर भी पड़ा है।
जर्मनी के रोबर्ट कॉक संस्थान (आरकेआई) ने मंगलवार को देश में कोरोना के 1,98,888 मामले दर्ज किए। एक सप्ताह पहले इससे 42,000 कम मामले दर्ज किए गए थे। ताजा आंकड़ों के साथ ही देश में महामारी की शुरुआत से लेकर अभी तक दर्ज किए गए कुल मामलों की संख्या 1.7 करोड़ से ज्यादा हो गई है।
जर्मनी की आबादी 8.32 करोड़ है। देश में हर 1,000 लोगों पर अब 1585.4 मामले सामने आ रहे हैं। बस एक ही दिन पहले यह संख्या 1543.0 थी। मरने वालों की संख्या में भी इजाफा हो रहा है। मंगलवार को 283 लोगों की जान चली गई, जिसके बाद कुल मौतों की संख्या 1,25,873 हो गई।
इस सप्ताह जर्मन सरकार एक नया कानून लागू करना चाह रही है जिसके तहत देश में पहले से लगे हुए प्रतिबंध काफी कम कर दिए जाएंगे। मौजूदा कानून की उम्र शनिवार को खत्म हो जाएगी। सरकार का कहना है कि मामले बढ़ तो रहे हैं लेकिन स्वास्थ्य व्यवस्था पर उसकी क्षमता से ज्यादा भार पड़ने का जोखिम अब नहीं रहा। संक्रमण के ज्यादा मामले वाले हॉटस्पॉटों में सीमित प्रतिबंधों को अभी भी लागू करना संभव हो सकेगा।
हालांकि जर्मनी कोविड मामलों में बढ़ोतरी दर्ज करने वाला दुनिया में अकेला देश नहीं है। चीन में भी बड़ी संख्या में नए मामले दर्ज किए जा रहे हैं जिनसे निपटने के लिए कई शहरों में तालाबंदी लागू कर दी गई है। मंगलवार को देश में सोमवार के मुकाबले दोगुने नए मामले सामने आए। देश के अंदर ही एक दर्जन से ज्यादा प्रांतों में संक्रमण के कुल 3,507 मामले सामने आए। अधिकांश नए मामले पूर्वोत्तर चीन के प्रांत जिलिन में दर्ज किए गए।
शेयर बाजार में गिरावट
बड़ी संख्या में मामले फैक्टरियों और औद्योगिक केंद्रों के पास के इलाकों में दर्ज किए जा रहे हैं। तालाबंदी के आर्थिक परिणामों को लेकर भी चिंता व्यक्त की जा रही है। बल्कि चीन की स्थिति का असर यूरोप पर भी पड़ रहा है।
मंगलवार को यूरोप के शेयर बाजार में 2 प्रतिशत से ज्यादा गिरावट दर्ज की गई। कोमोडिटी से जुड़े क्षेत्रों में सबसे ज्यादा गिरावट देखी गई। यूरोप का स्टॉक्स 600 सूचकांक 2.1 प्रतिशत गिरा और पिछले 2 सत्रों में जो भी मुनाफा हुआ था वो खो गया।
उस समय रूस-यूक्रेन के बीच शांति वार्ता में तरक्की को लेकर उम्मीद की वजह से बाजार में उछाल आया था। मंगलवार को यूरोप की खनन कंपनियों के स्टॉक 3.7 प्रतिशत और तेल और गैस कंपनियों के स्टॉक 2.9 प्रतिशत गिर गए। ऐसा इस वजह से भी हुआ क्योंकि कच्चे तेल के दाम लगभग 5 प्रतिशत गिर गए। औद्योगिक धातुओं का प्रमुख उपभोक्ता चीन है और वहां के हालात देखते हुए खपत में कमी की संभावना की वजह से इनसे संबंधित स्टॉक भी गिरे।
यूबीएस में यूरोपीय इक्विटी रणनीतिकार निक नेल्सन ने बताया कि चीन के साथ जुड़े क्षेत्रों (बेसिक मटेरियल, खनन और धातु, आवासीय निर्माण और लग्जरी स्टॉक) में चीन के कुछ हिस्सों में लगे प्रतिबंधों की वजह से गति बदली हुई देखी जा रही है। उन्होंने यह भी कहा कि आर्थिक विकास पर असर और चीन में यूरोपीय कंपनियों के सामान की बिक्री के लिहाज से ये बाजार के लिए चिंता का एक और विषय है।