Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia
Advertiesment

अमेरिका और चीन की लड़ाई, फायदा किसी तीसरे को

हमें फॉलो करें अमेरिका और चीन की लड़ाई, फायदा किसी तीसरे को
, गुरुवार, 7 फ़रवरी 2019 (11:48 IST)
अमेरिका और चीन के बीच महीनों से चल रहे कारोबारी युद्ध में जीत आखिर किसकी होगी? जानकार कहते हैं कि दोनों में से कोई नहीं जीतेगा बल्कि फायदा कोई तीसरा ही उठाएगा। आखिर कौन?
 
 
संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि दुनिया की दो बड़ी ताकतों के बीच चल रही तनातनी का बड़ा फायदा यूरोपीय संघ को हो सकता है। यूएन कॉन्फ्रेंस ऑन ट्रेड एंड डिवेलपमेंट (यूएनसीटीएडी) की रिपोर्ट में अमेरिका और चीन की तरफ से एक दूसरे के खिलाफ उठाए जा रहे कदमों का विश्लेषण किया गया है।
 
 
रिपोर्ट को शीर्षक दिया गया है: "द ट्रेड वॉर: द पेन एंड द गेन" यानी कारोबारी युद्ध के नफा नुकसान। रिपोर्ट कहती है कि दोनों देशों की तरफ से एक दूसरे के खिलाफ लगाए गए शुल्कों से उन देशों की कंपनियों को फायदा मिल रहा है जो इनसे सीधे तौर पर प्रभावित नहीं हैं।
 
 
रिपोर्ट में अनुमान जताया गया है कि यूरोपीय संघ को इसमें सबसे ज्यादा फायदा हो सकता है। उसकी कंपनियों को इस ट्रेड वॉर की वजह से 70 अरब डॉलर का अतिरिक्त फायदा हो सकता है। पिछले साल अमेरिका और चीन ने 360 अरब डॉलर के दोतरफा व्यापार पर शुल्क लगाए। अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने अनुचित तौर तरीकों की शिकायतों के बाद इन शुल्कों को लगाने की शुरुआत की, जिस पर चीन ने पलटवार किया।
 
 
इस बीच दोनों देश बातचीत के जरिए तनाव को दूर करना चाहते हैं ताकि उन्हें और नुकसान ना उठाना पड़े। लेकिन अगर उनके बीच 1 मार्च तक डील नहीं होती है तो फिर 200 अरब डॉलर के चीनी सामान पर अमेरिकी ड्यूटी 10 प्रतिशत से बढ़ कर 25 प्रतिशत हो जाएगी।
 
 
यूएनसीटीएडी में अंतरराष्ट्रीय व्यापार डिवीजन की प्रमुख पामेला कोक हैमिल्टन ने एक बयान में कहा, "हमारा विश्लेषण दिखाता है कि घरेलू कंपनियों की रक्षा करने के लिहाज से दोतरफा शुल्क बहुत प्रभावी नहीं हैं। वे सिर्फ लक्षित देश से कारोबार को सीमित करने में काम आते हैं।" वह कहती हैं, "अमेरिका और चीन के बीच शुल्कों को लेकर चल रही तनातनी का असर नुकसानहेद होगा। चीन-अमेरिका का दोतरफा व्यापार कम होगा और इसकी जगह अन्य देशों की कंपनियां ले लेंगी।"
 
 
रिपोर्ट में अनुमान जताया गया है कि चीन से अमेरिका को निर्यात होने वाले 250 अरब डॉलर के जिस सामान पर शुल्क लागू होंगे, उसमें से 80 प्रतिशत को अन्य देशों की कंपनियां हथिया लेंगी जबकि 12 प्रतिशत हिस्सा चीन के पास बना रहेगा। इसमें सिर्फ 6 प्रतिशत हिस्सा अमेरिकी कंपनियों के पास जा पाएगा।
 
 
कुछ ऐसी ही हाल अमेरिका से चीन को निर्यात होने वाले 85 अरब डॉलर के सामान का भी होगा जिस पर चीन 'जैसे को तैसा' की नीति पर चलते हुए शुल्क लगाएगा। इसमें भी 85 प्रतिशत हिस्सा अन्य देशों की कंपनियों के खाते में जाएगा जबकि 10 प्रतिशत अमेरिकी कंपनियों और पांच प्रतिशत हिस्सा चीनी कंपनियों को मिलेगा।
 
 
यूएनसीटीएडी का कहना है, "चीन और अमेरिका के बीच कारोबारी युद्ध से जिन कंपनियों को फायदा होगा वे कहीं ज्यादा प्रतिस्पर्धात्मक हैं और उनमें चीनी और अमेरिकी कंपनियों की जगह लेने की आर्थिक क्षमता है।"
 
 
रिपोर्ट संकेत देती है कि सबसे ज्यादा फायदा यूरोपीय संघ को मिलेगा। अनुमान है कि चीनी निर्यात में से लगभग 50 अरब डॉलर और अमेरिकी निर्यात में से 20 अरब डॉलर का कारोबार उनके खाते में जा सकता है। अध्ययन रिपोर्ट कहती है कि जापान, मेक्सिको और कनाडा जैसे देशों को 20 अरब डॉलर का फायदा होगा। इसका थोड़ा बहुत फायदा ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, भारत, फिलीपींस और पाकिस्तान जैसे देशों को भी होगा जो उनके निर्यात के आकार पर निर्भर करेगा।
 
 
जो भी हो, लेकिन इस कारोबार युद्ध का अंतरराष्ट्रीय व्यापार पर नकारात्मक असर भी होगा। कुछ बाजारों में इसे खास तौर से महसूस किया जाएगा। इस संदर्भ में यूएनसीटीएडी की रिपोर्ट में सोयाबीन बाजार का जिक्र किया गया है जहां शुल्क बढ़ाने का असर महसूस होने लगा है। इसका फायदा ब्राजील को हुआ है जो पहले ही चीन का मुख्य सोयाबीन सप्लायर बन गया है।
 
 
संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट कहती है, "चूंकि शुल्कों का दायरा और अवधि अभी स्पष्ट नहीं है, इसलिए ब्राजील के उत्पादक निवेश संबंधी फैसला करने की स्थिति में नहीं हैं। हो सकता है कि वे आज निवेश कर दें और निकट भविष्य में शुल्क हटा लिए जाएं, तो फिर वे तो घाटे में रहेंगे।" इस बीच बढ़ती मांग को देखते हुए ब्राजील की कंपनियों को सोयाबीन महंगा मिलने लगा है, जिससे उनका मुनाफा घट रहा है।
 
 
एके/आईबी (एएफपी)
 
 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

सेल्फी के कारण मौतों में भारत अव्वल